साहित्य चक्र

25 March 2017

फौजी बेटा- रवीन्द्र


देवभूमि के चमोली जिले के मेहलचौरी गांव के रहने वाले रवीन्द्र की कहानी रवीन्द्र की जुबानी..आइये आपको बताते है......।। 

रवीन्द्र होने को एक फौजी सैनिक है। जो इन्हें बेहद ही रोचक बनाती है। रवीन्द्र एक सामान्य परिवार से संबंध रखते है। जब रवीन्द्र कक्षा 12वीं में थे, तो तभी रवींद्र आर्मी में भर्ती हो गए। अपनी जीवन की पहली भर्ती में रवींद्र देहरादून के गढ़ीकैंच में गए थे। जहां रवींद्र को सफलता मिली और आर्मी में भर्ती हो गए।  वैसे होने को रवींद्र के पिता जी भी आर्मी के (असम राइफल) में थे। रवींद्र की माता एक गृहणी थी, जो खेती-बाड़ी किया करती थी। आज रवींद्र अपनी मेहनत और लगन के बुते गढ़वाल रेजिमेंट के सैनिक हैं। रवींद्र हमारी पत्रिका के माध्यम से उन युवाओं को प्रेरित करना चाहते है। जो आर्मी और फौज में जाना चाहतेे हैं या अपना कैरियर बनाना चाहते है। 
रवींद्र कहते है- हमारे देवभूमि उत्तराखंड के युवाओं को अच्छी शिक्षा प्राप्त करनी चाहिए। आर्मी ही नहीं बल्कि अच्छी पोस्ट पर जाना चाहिए। अगर जो युवा फौज में जाना चाहते है, तो उन्हें अपने दिमाग भर लेना चाहिए, कि मुझे देश की वर्दी पहनी हैं। चाहे कुछ भी हो जाए..। मैं देश की सेवा करूगां। जब आप किसी आर्मी भर्ती में जाते है तो आप वहां मजाक-मस्ती, घूमने के लिए ना जाए। क्योंकि आप अपनों और अपने-आप को धोखा दे रहे हैं। 
रवींद्र के सफल सूत्र- अपनों को देखते हुए आगे बढ़ो, कष्ट सहने की आदत डालो, अपने घर की प्रस्थिति देख- आगे बढ़, अपनी सोच बदलो और बढ़ाओ, भविष्य के बारे में सोचो..।।
रवींद्र आगे कहता है जब कोई युवा पहली बार आर्मी टेर्निंग के लिए जब जाता है, या जब वह पहली बार वर्दी पहनता है। तो वह पल उस युवा के लिए काफी गर्व और खुशी भरा होता है। जो आपने आप में एक बेहतरीन पल होते हैं। रवींद्र यह संदेश इसलिए देना चाहते है, क्योंकि रवींद्र भी उन युवाओं में से एक है, जो देश के लिए मर मिटने की कसम खाते है। 
अब उठो और जागो मेरे देश के युवा, नहीं तो देर हो जाएगी।। कई मेरे देश के युवा पीछे ना छुट जाए।।

                                    संपादक- दीपक कोहली

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