साहित्य चक्र

15 March 2017

मीरा की दिवानगी-


जब-जब भक्ति की बात होगी...। तब-तब मीरा का नाम जरूर लिया जाएगा..।। वहीं जब-जब श्री कृष्ण जी का नाम या बात की जाएगी, तो मीरा का जिक्र जरूर होगा। मीरा वो थी, जिसने संसार को प्रभु भक्ति का नया अध्याय सीखाया। अपना पूरा जीवन प्रभु की भक्ति में लीन करने वाली भक्त मीरा ही है। वहीं विष का प्याला चखने वाली भक्त मीरा को ही कहा जाता है। मीरा ने अपना पूरा जीवन कृष्णा भक्ति में त्याग दिया। जो ये दर्शाता है, कि एक भक्त ही अपने प्रभु को समझ सकता हैं।आइए आज हम आपको एक भक्त की दास्तां बताते है। वो भक्त कोई और नहीं मीराबाई है यानि मीरा- मीराबाई का जन्म 1504 में जोधपुर के कुरकी नामक गांव में हुआ। मीराबाई बचपन से ही श्रीकृष्ण से विशेष स्नेह रखती थी। जिससे मीराबाई के परिवार वाले  बहुत परेशान रहते थे। जब मीराबाई की शादी हुई, तो मीराबाई काफी दु:खी थी। उदयपुर के राजा महाराणा कुमार भोजराज के साथ मीरा का विवाह- बंधन हुआ। वैसे मीराबाई शादी नहीं करना चाहती थी। लेकिन अपने परिवार के चलते मीरा ने शादी की। विवाह के कुछ समय बाद ही मीरा बाई के पति का निधन हो गया। जिसके बाद मीरा बाई ने पति का घर त्याग, फिर कृष्ण की भक्ति शुरू कर दी। पति की मृत्यु के बाद मीराबाई का कृष्ण की ओर प्रेम, चाह और बढ़ गया। अब मीरा स्वतंत्र मन से भगवान कृष्ण की अराधना करने लगी। श्रीकृष्ण और मीरा की इस भक्ति ने कई कविताओं को जन्म दिया। जो मीराबाई द्वारा रची गई। इन्हीं कविताओं से मीराबाई पूरे विश्व में आज लोक प्रसिद्ध है। मीराबाई लिखती ही नहीं थी, बल्कि गाती भी थी। एक बार तो मुगल शहनशाह अकबर भी मीराबाई का दिवाना हो गया था। जब मीराबाई के बारे में अकबर ने सुना। कई बार अकबर, मीराबाई से मिलना चाहता था। लेकिन मीराबाई एक राजघराने की बहु होने के नाते अकबर से नहीं मिल सकीं। तब अकबर ने अपनी इच्छा पूरी करने के लिए, अपना वेष बदल कर एक मंदिर में मीराबाई के दर्शन किए। जब अकबर ने मीरा की सुरीली आवाज और कृष्ण भक्ति की झलक देखी, तो अकबर ने मीराबाई को एक हार अर्पित किया। जिसके बाद अकबर वहां से चला गया। जब लोगों ने देखा की एक सामान्य व्यक्ति इतना किमती हार देके गया है, तो लोगों को शक होने लगा। जब इसका पता लगाया तो पता चला कि, वह व्यक्ति कोई और नहीं बल्कि मुगल शासक अकबर है। वहीं कुछ लोग आज भी यह मानते है, कि मीरा का रूप एक देवी का रूप था। जिसके लिए कई स्थानों पर आज भी मीराबाई की पूजा की जाती है। 

                                                      ।। संपादक- दीपक कोहली।।

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