साहित्य चक्र

26 March 2017

- एक नारी गौरा देवी "चिपको" -

               
गौरा देवी देश की वे नारी थी जिसने  चिपको आंदोलन चलाया। अब आप सोच रहे होगें कि ये कहां कि होगी और चिपको आंदोलन क्या था..?  हर एक पहलूओं में प्रकाश डालेगें। सबसे पहले आपको मैं गौैरा देवी के बार में जानकारी दे दूं। गौरा देवी वो महिला है जिससे पेड़ों पर चिपक कर उन्हें काटने से बचाया या कहें रोका। गौरा देवी वैसे तो उत्तराखंड की रहने वाली थी। जो एक साधारण परिवार की सदस्य थी। इनका जन्म सन् 1925 में उत्तराखंड के चमोली जिले के लाता गांव मरछिया परिवार में हुआ था। जो पहले उत्तरप्रदेश का हिस्सा था। गौरा देवी ने कक्षा पांच तक की पढ़ाई भी ग्रहण की थी, जो बाद में उनके अदम्य साहस और उच्च विचारों का संबल बना। इनका विवाह पुरानी प्रथा के चलते बहुत ही जल्द हो गया। वैसे इनका विवाह रैंणी भोटिया के आवासीय गांव में हुआ था। यहां के लोगों अपना गुजारा-बसेरा के लिए पशुपालन, ऊनी कारोबार, खेती किया करते थे। वहीं 22 साल की उम्र में गौरा देवी के पति की मृत्यु हो गई। जिसके बाद गौरा देवी ने आपने परिवार की परवरिस की, और अपने एक बेटे को पढ़ाया-लिखाया। ये घटना उस वक्त की है जब उत्तराखंड में 1970 में अलकनंदा नदी में महाप्रलयकारी बाढ़ आई थी। जिससे बाद प्रदेश में जन- जीवन अस्त -व्यस्त हो गया। बाढ़ का मुख्य कारण 1962 के भारत-चीन युद्ध के बाद भारत सरकार ने सेना के लिए यहां से सुगम मार्ग बनाने का निर्णय लिया। जिसके लिए यहां पर पेड़ों का कटान तो हुआ, लेकिन जो पड़ों का कटान हुआ, उनकी भरपाई नहीं की गई थी। जिसने बाद में महाप्रलय का रूप लिया था। सन् 1974 में  जब अलाकांडा में चडी प्रसाद भट्ट और गोविंद सिंह रावत नामक व्यक्तियों ने एक अभियान के तहत 2500 देवदार के वृक्षों को काटने के लिए चिन्हित किया। लेकिन जब गौरा देवी को इसका पता चला, तो गौरा देवी ने इस अभियान का विरोध करने का फैसला लिया और पेड़ों की रक्षा करने के लिए एक अभियान चलाया। जिसका नाम बाद में चिपको आंदोलन पड़ा। वैसे गौरा देवी जंगल को अपना मायका या अपनी माता का घर मानती थी। गौरा देवी कहती थी कि जंगल हमें फल, फूल, लकड़ी, आदि चीजें देता है। क्यों ना हम इसकी रक्षा करें। गौरा देवी वेद, पुराण, रामायण, महाभारत जैसे कई धर्म ग्रंथों की जानकारी भी रखती थी। वर्ष 1991 में गौरा देवी का 66 साल की उम्र में निधन हो गया। गौरा देवी को आज भी पूरे भारत में चिपको वुमन के नाम से जाना जाता है। 

                                                                                            संपादक- दीपक कोहली

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