जी हाँ.. मैं बात कर रहा हूँ... उस बेटी की जो अपनी सोच और अपने इरादों के लिए पहचानी जाती है। वो कोई और नहीं उत्तराखंड की नंदिता है। नंदिता पोखरियाल उत्तराखंड की कोटद्वार की रहने वाली है। जो पेशे से एक डॉक्टर है। अपने काम के प्रति नंदिता बहुत ही निष्कपट रहती है। जो ठान लेती है, उसे नंदिता करके ही मानती है। उत्तराखंड की बेटी होने के नाते नंदिता कहती है। जब वो उत्तराखंड की बेटियों के बारे में सोचती है तो उन्हें लगता है, कि आज भी हमारे उत्तराखंड की बेटियां कॉफी पीछे हैं। और जातिवाद, रंगवाद, धर्मवाद हमारे देश को तोड़ने में लगा है। नंदिता एक एनजीओ के माध्यम से उन लोगों की सहायता करना चाहती हैं, जो मानसिक रूप से पूर्ण नहीं है या अपूर्ण हो गए। नंदिता उनके लिए काम करना चाहती है, जो सड़को पर आंवारा घूमते है। या कह सकते है, जो मानसिक कमजोरी के कारण घर छोड़ कर भाग आए हैं। नंदिता ने हाल ही में एक एनजीओ बनाने में लगी है। जो एनजीओ उन लोगों के लिए काम करेगी। जो मानसिक रूप से कमजोर या मजबूरन कमजोर बने है। जब हमारी पत्रिका ने नंदिता से जानने की कोशिश की, कि उन्हें ये विचार कहां से आया और वो ऐसा क्यों कर रही है...? तो नंदिता का जवाब था कि हमारे देश में सबसे ज्यादा मानसिक रूप से कमजोर और पीड़ित लोग है। जिसके लिए नंदिता ने सोच की मैं इसके लिए काम करू। जब हमने नंदिता से ये पूछा की कहीं आप पैसा कमाने और अपने नाम के लिए तो ऐसा तो नहीं कर रही है। तो नंदिता का जवाब था, कि मुझे उन लोगों की सहायता करनी है। देश के उन पीड़ितों को कम करना हैं। जो मानसिक रूप से ठीक नहीं हैं। क्योंकि उन लोगों के लिए सरकार भी कोई कदम नहीं उठाती है। जिसके चलते वे लोग आत्महत्या जैसे कदम उठाते है। जब मैंने नंदिता से ये पूछा की आप इतना बड़ा कदम कैसे उठाएगी। तो नंदिता ने मुझे अपनी पूरी सोच (प्लानिंग) बताई। तब नंदिता कहती है, कि वो एक रूपये हर हिंदुस्तानी से मांगेगी। उन लोगों के लिए, जिन लोगों के लिए नंदिता काम करना चाहती है। नंदिता की पूरी प्लानिंग सुनकर मैंने भी नंदिता को इस काम के लिए शुभकामनाएं दी। अगर आपको लगता है, यह कदम हमारे समाज के उन लोगों के लिए अच्छा है। तो आप भी इस मिशन में आपना पूरा सहयोग करें।।
संपादक- दीपक कोहली
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