आज मैं जिस महिला की बात करूंगा या कर रहा हूं। वो कोई और नहीं एक समाजसेवी है। हल्द्वानी की रहने वाली प्रियंका गोस्वामी एक सामान्य परिवार से है। जब वो मात्र 10 साल की थी, तो उनकी माता का देहांत हो गया। जिससे प्रियंका के ऊपर घर की पूरी जिम्मेदारी आ गई। जिसके चलते प्रियंका एक परिपक्व नारी के रूप में आगे बढ़ी। जिससे आज प्रियंका एक समाजसेवी के रूप में काम करती नज़र आ रही है। प्रियंका अपने पिता "दीवान नाथ गोस्वामी" को अपना आर्दश मानती है। जब हमने प्रियंका से पूछा की आपने समाजसेवा करने की प्ररेणा कहां से ली। तो प्रियंका का जबाव मिला कि उन्होंने अपने पिता से यह प्ररेणा ली। जो बचपन में उनके पिता किया करते थे। शादी जल्दी होने के कारण प्रियंका और जिम्मेदार बन गई। वैसे प्रियंका गरीब बच्चों की सहायता और उन्हें पढ़ने के लिए प्रेरित करती है। जैसे गरीब बच्चों की फीस भरना और उनके लिए कॉपी, पैन आदि खरीदने में सहायता करना। प्रियंका इसे आपना धर्म मानती है। इतना ही नहीं प्रियंका स्वयं सहायता समूह के लिए भी काम करती है। तीन साल पहले प्रियंका ने अपने नेत्र भी दान करवा दिया है। जिसके लिए प्रियंका को हल्द्वानी में सम्मानित भी किया गया। प्रियंका पिछले 12 सालों से समाजसेवा कर रही है। जिसमें प्रियंका उन महिलाओं की भी काउंसिलिंग करती है। जो महिलाएं घरेलू हिंसा और उत्पीड़न का शिकार होती है। प्रियंका पखुड़िया नाम की एनजीओ के जरिए काम करती है। जिसमें बेसहारे बच्चों और दिव्यागों बच्चों की मदद किया करती है।
प्रियंका उन महिलाओं के लिए एक उदाहरण है। जो कुछ करना चाहती हैं। वैसे प्रियंका जैसी महिलाएं कम ही होती है, जो दूसरों के लिए जीते हैं। प्रियंका हमारे समाज के लिए एक प्ररेणा की स्रोत है, जिससे हमारे समाज को कुछ सीखने की जरूरत है। उन युवा-युवतियों को जो देश- राज्य के भविष्य हैं। समाज को एक नई उमंग देना ही प्रियंका का सपना है।।
संपादक- दीपक कोहली
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