अगर देवभूमि की बाती हो और त्रिवेंद्र का नाम ना आए, ऐसा हो नहीं सकता। जी हां.. मैं बात कर रहा हूं, उस शख्स की जिसने देवभूमि की सेवा के लिए अपना सब कुछ त्याग दिया। वो कोई और नहीं बीजेपी नेता त्रिवेंद्र सिंह रावत है। जो डोईवाला सीट से इस बार बीजेपी के उम्मीदवार है। वैसे त्रिवेंद्र एक सामान्य परिवार से संबंध रखते है। जिन्होंने राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ(आरएसएस) के माध्यम से राजनीति में कदम रखा। राजनीति में कदम रखने से पहले त्रिवेंद्र उत्तराखंड आरएसएस संघ प्रचारक थे। 1981 में त्रिवेंद्र संघ प्रचारक बने। जिसके बाद 1985 में त्रिवेंद्र देहरादून महानगर प्रचारक बनें। सन् 1993 में रावत बीजेपी से संगठन मंत्री रहे। उत्तराखंड बनने के बाद सन् 2002 में पहले विधान चुनाव में बीजेपी ने इन्हें डोईवाला सीट से उम्मीदवार बनाया। जिसमें त्रिवेंद्र की जीत हुई। जिससे त्रिवेंद्र का कद और बढ़ गया। बाकि बचा काम 2007 से 12 तक कैबिनेट मंत्री रहकर त्रिवेंद्र ने पूरा की लिया। 2013 में त्रिवेंद्र बीजेपी के राष्ट्रीय सचिव रहे। साल 2014 के लोकसभा चुनावों में त्रिवेंद्र को बीजेपी राष्ट्र अध्यक्ष अमित शाह के साथ उत्तरप्रदेश का सह प्रभारी बनाया गया। वर्तमान में त्रिवेंद्र बीजेपी नमामि गंगे समिति योजना के राष्ट्रीय संयोजक है। वहीं एक बार फिर त्रिवेंद्र को बीजेपी ने उत्तराखंड के डोईवाला विधानसभा सीट से उम्मीदवार बनाकर कुछ संकेत जरूर दिए हैं। जहां एक ओर त्रिवेंद्र के समर्थक उन्हें मुख्यमंत्री का उम्मीदवार मान रहे है। वैसे त्रिवेंद्र का राजनीति जीवन बेहद रोचक रहा है। चाहे केंद्र हो या फिर उत्तराखंड की राजनीति हर जहां त्रिवेंद्र छाये रहते है। जहां विधानसभा चुनावों में त्रिवेंद्र मोदी के साथ उनके संसदीय क्षेत्र वाराणसी से लेकर उत्तराखंड में साथ नजर आए। जिससे यह साफ हो जाता है, कि इस बार का विधानसभा चुनाव त्रिवेंद्र के लिए काफी अहम होगा। जहां एक ओर बीजेपी नेतृत्व उत्तराखंड में सीएम उम्मीदवार को लेकर उलझी नजर आ रही है। क्योंकि उत्तराखंड मेंं बीजेपी के पास कई सीएम उम्मीदवार नजर आ रहे हैं। जिसमें कांग्रेस के बागी नेता यशपाल आर्य, हरक सिंह रावत, सतपाल महाराज, तो वहीं बीजेपी के अपने तीन पूर्व सीएम बैठे हैं। वैसे देखा जाए जितने भी बीजेपी के सीएम उम्मीदवार है, वो इस बार कुछ खास रंग में नजर नहीं आ रहे हैं। क्योंकि उन्हें उत्तराखंड की जनता भलीभांति जानती है। वैसे बीजेपी भी चाहेगी, कि एक साफ-सुथरे चेहरे को सीएम बनाया जाए। जिसमें त्रिवेंद्र फीट बैठते नज़र आ रहे है। जो पौड़ी के खैरासैंण गांव के मूलनिवासी हैं। जिनके पिता एक सैनिक और माता एक गृहणी थी। रावत की 12वी. तक की पढ़ाई रा. इ.का. एकेश्वर में हुई। जिसके बाद रावत ने श्रीनगर गढ़वाल से एमए से स्नातकोत्तर की डिग्री ली और बाद में पत्रकारिता से डिप्लोमा लिया। वैसे रावत पढ़ाई में अव्वल दर्जे के थे। त्रिवेंद्र रावत के आठ भाई व एक बहन है। जिसमें से तीन भाई व बहन का स्वर्गवास हो गया है। त्रिवेंद्र रावत की धर्मपत्नी सुनीत रावत एक अध्यापिका है। जिनके दो बेटियां भी है। जो इस समय स्नातक की पढ़ाई ग्रहण कर रही हैं। वैसे रावत जी शांत स्वभाव और धार्मिक विचारों वाले एक महान व्यक्ति है। जिन्होंने देवभूमि को अपना पूरा जीवन दिया है। हम आशा करते है कि रावत जी ही देवभूवि के मुख्यमंत्री बनें।।
संपादक- दीपक कोहली
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