इसरो ( भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ) दिन - प्रतिदिन ऊंचाइयों को छूता जा रहा है। जिससे हमारे देश का नाम पूरे विश्व में रोशन हो रहा है। आज जिस तरह इसरो अंतरिक्ष में अपनी मौजूदगी का इशारा दे रहा है। उससे ये लगता है, कि इसरो अपने आप में एक मजबूत संगठन के तौर पर पूरे दुनिया में अपनी पकड़ बना रहा है। जो भारतीय नागरिकों में एक नई ऊर्जा पैदा करती हैं। भारतीय होने के नाते मैं खुद गर्व महसूस कर रहा हूं।
जिस तरह आज इसरो अपनी ताकत का नजारा पूरी दुनिया को दिखा रहा है। इतना ही नहीं अमेरिका से लेकर फ्रांस तक इसरो का दबदबा मानने को तैयार है। जिस तरह इसरो ने 15 फरवरी 2017 को 104 उपग्रहों का सफल प्रक्षेपण किया और साथ ही 19 फरवरी 2017 को फिर 400 टन के रॉकेट के लिए सबसे बड़े क्रायोजेनिक इंजन का सफल परीक्षण किया। जो अपने आप में एक बड़ी उपलब्धि है। सन् 1962 में जब भारत सरकार द्वारा भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष समिति का गठन किया। तो तब भारत के कर्णधार डॉ. विक्रम साराभाई ने अंतरिक्ष में पहुंचने का निर्णय किया।
जिसके बाद भारत सरकार द्वारा ऊपरी वायुमंडलीय अनुसंधान के लिए तिरुवनतपुरम के थुंबा भू-मध्यरेखीय राकेट प्रमोचन केंद्र की स्थापना की गई। जो भारत की सबसे बड़ी उपलब्धि बनी। जिसके बाद सन् 1969 में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने तत्कालीन इन्कोस्पार का अधिकरण किया। भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संस्थान की स्थापना में देश के प्रथम प्रधानमंत्री पं. नेहरू और डॉ. विक्रम साराभाई का काफी सहयोग रहा। जिन्होंने देश को एक नया आयाम देने की कोशिश की और आज वहीं कोशिश देश का नाम रोशन कर रही है।
इसरो देश के लिए प्रसारण, संचार, सूचना प्रणाली, मानचित्रकला आदि सुविधा, उपकरणों के माध्यम से देश में अपनी सेवा प्रदान करता है। आपको बता दूं, इसरो का जनक डॉ. विक्रम साराभाई को माना जाता है। वहीं नेहरू जी का भी इसमें उतना ही योगदान रखा है जितना साराभाई का रहा। इसरो साराभाई की संकल्पना है। भारत का अंतरिक्ष इतिहास बहुत ही पुराना रहा हैं। जब टीपू सुल्तान ने मैसूर युद्ध में अग्रेजों को खधेड़ने के लिए राकेट का प्रयोग किया। तो उसके बाद ही 1804 में कंग्रीव राकेट का अविष्कार हुआ। जो भारत की देन कहीं जा सकती है। इसरो का मुख्यालय कर्नाटक के बेंगलुरु में स्थित है। जहां सत्रह हजार से भी ज्यादा कर्मचारी और वैज्ञानिक कार्यरत हैं। इसरो देश को अंतरिक्ष संबंधी तकनीक उपलब्ध करवाता है। जैसे उपग्रहों, प्रमोचक यानों, परिज्ञापी राकेटों आदि स्थापित करना हैं।
आपको बता दूं, देश का पहला उपग्रह आर्यभट्ट 19 अप्रैल 1974 में सोवियत संघ द्वारा शुरू किया गया। जिसका नाम महान गणितज्ञ आर्यभट्ट के नाम से रखा गया। जिसके बाद 1980 में भारत ने स्वदेशी निर्मित उपग्रह रोहिणी को स्थापित किया।
इसके बाद इसरो ने दो अन्य राकेट विकसित किए-
1)- स्त्रीय उपग्रह प्रक्षेपण यान, 2)- भूस्थिर उपग्रह प्रक्षेपण यान।
इसरो ने सन्- 22 अक्टूबर 2008 में पहला चंद्रयान भेजा।
24 सितम्बर 2014 में पहला मंगल यान भेजा।
इसरो के वर्तमान निदेशक - ए एस किरण कुमार है। जो एक वैज्ञानिक भी है। आज इसरो हमारे देश ही नहीं, बल्कि दूसरे देशों को भी अपनी अंतरिक्ष क्षमता से व्यापारिक और अन्य स्तरों पर सहयोग कर रहा हैं। जो हमारे देश के लिए एक गर्व की बात है।
संपादक- दीपक कोहली