साहित्य चक्र

03 August 2016

मैं तेरी अजन्मी बेटी

*मैं तेरी अजन्मी बेटी *


माँ.... ये मैं हूँ, तेरी अजन्मी बेटी, मत मरना माँ..... ।।

माँ..मैं भी तेरे शरीर का अंश हूँ, बला कैसे हो सकती हूँ, 
उस पिता का भी अंश हूँ,   जो मुझे आज बला कहता है। 
मत मरना माँ-मत मरना माँ........।।

माँ..दादा -दादी क्यों टुकुर - टुकुर तकते है, मुझे और, 
वो बुआ भी शब्दों से डंक मारती है,जो खुद एक बेटी है। 
मत मरना माँ-मत मरना माँ........।। 

माँ... मैं भी आना चाहती हूँ, इस संसार के खेल में,
और करना  चाहती हूँ,  तेरे गोद  से अपना  मेल। 
मत मरना माँ-मत मरना माँ........।। 

माँ...क्यों लोग धन की वासना करते है जबकि 
माँ लक्ष्मी  भी  एक स्त्री  रूपी देवी  महिला है। 
मत मरना माँ-मत मरना माँ........।।  

माँ... मैं जानती हूँ, तू मुझे जन्म देना चाहती है,
और बदन  चूमके  मुझे  प्यार करना चाहती है 
मत मरना माँ-मत मरना माँ........।। 


                                                                         दीपक कोहली  


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