साहित्य चक्र

11 October 2020

फिर तू प्रयास कर




मुश्किलों से भरी राह तेरी है, तू इसे आसान कर
हार नहीं तूने मानी, ये अंतिम चरण है
जीत की ध्वनि गुंजा कर, फिर तू प्रयास कर
जीत तेरी निश्चित कर, फिर तू प्रयास कर।


ये अंतिम प्रयास तेरा है , निश्चित ही जीत तेरी होगी,
आज ना सही तो कल होगी, जीत तेरी हर पल होगी
फिर तू प्रयास कर, निश्चित ही जीत तेरी होगी।
जीत तेरी निश्चित कर, तू मन में एक आस धर
जीत तेरी निश्चित कर, फिर तू प्रयास कर।


सूख रहे हैं अधर तेरे, प्यास तेरी मंजिल है
हार कर बैठा है क्यों, कर रही प्रतीक्षा जीत तेरी
जीत तेरी निश्चित कर फिर तू प्रयास कर।
मंजिल तेरे प्रयास, की मोहताज है
ताज लिए खड़ी मंजिल है, फिर तू एक प्रयास कर।


आसमान को दहाड़ कर, धरा को गुंजा कर
राह को पार कर, मंजिल को आगाह कर
आसमान भी कांपेगा, धरा भी गूंजेगी 
जीत तेरी निश्चित कर, फिर तू प्रयास कर। 


                                        हार्दिक आढा


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