साहित्य चक्र

14 October 2020

क्या रेप और यौन उत्पीड़न के लिए पॉर्न और नशा जिम्मेदार है..?

भले ही आपने बड़े बड़े लेखकों और बुद्धिजीवी को यह कहते हुए सुना होगा कि पोर्न साइट व नशे के कारण देश में रेप केस बढ़ रहे हैं। मगर मैं इन बुद्धिजीवी और लेखकों से बिल्कुल भी सहमत नहीं हूं। मुझे बताइए आप 2019 की रिपोर्ट कहती है भारत में 80% लोग नियमित व कभी-कभी पोर्न देखते हैं। इस आंकड़े में महिला और पुरुषों दोनों की संख्या बराबर है। मुझे व्यक्तिगत तौर पर लगता है कि भारत के लोगों में सेक्स से संबंधित जानकारी बहुत कम है।



इसी कम जानकारी के चक्कर में भारत में रेप केस होते हैं। हमारे यहां शादी करने के बाद भी युवक-युवतियों को सेक्स के बारे में सही से जानकारी नहीं होती है। जो हमारे समाज के लिए एक समस्या है। इसके लिए कहीं ना कहीं हमारी परंपरा और सामाजिक परिदृश्यता भी जिम्मेदार है। कई विशेषज्ञ बताते हैं अगर नियमित रूप से सेक्स सही तरीके से किया जाए तो सेक्स सबसे बड़ा योग है। मगर ऐसी जानकारियां बहुत कम लोगों के पास उपलब्ध होंगी। हमें सेक्सी संबंधित सवालों से भागना नहीं चाहिए बल्कि उन्हें जानने का प्रयास करना चाहिए और हमें सेक्स के बारे में अपने बच्चों को भी थोड़ा बहुत जानकारी प्रदान करनी चाहिए। जिससे उसके मन में सेक्स को लेकर सवाल पैदा ना हो। अगर उसके मन में सवाल पैदा होगा भी तो वह आपसे या हमसे सीधे उस सवाल का जवाब पूछेगा। मैं उन बुद्धिजीवियों और लेखकों को इतना बताना चाहता हूं कि मोबाइल और इंटरनेट आने से पहले का सरकारी आंकड़ा देख लीजिए और अपने इतिहास को एक बार पलट कर देखिए। आपको हकीकत पता चल जाएगी।

हां मैं यह स्वीकार करता हूं कि आज के युवाओं में पोर्न का एक नशा यानी एडिशन हो रहा है। जो उन्हें शारीरिक और मानसिक रूप से कमजोर कर रहा है। मेरा यहां पर सरकार को एक सुझाव है कि सभी स्कूलों में सेक्स से संबंधित विषय या कुछ ऐसी व्यवस्था की जाए जिससे बच्चों में सेक्स का सही ज्ञान हो सके। जिससे उनके मन में सेक्स को लेकर प्रश्न खड़ा ना हो। यह प्रकृति का नियम है, कि जब-जब हमारे मन में सवाल पैदा होंगे हम उन्हें जाने काम बहुत सारा प्रयत्न करेंगे। इसी प्रयत्न के चक्कर में हमारे देश की युवा कभी कभी गलत मार्ग व कदम उठा लेते हैं। भारत में रेप केस शहरों से ज्यादा गांव में होते हैं। क्या मुझे वह लेखक बता सकते हैं कि ऐसा क्यों है..? अगर आप सभी लोग मानते हैं की पोर्न देखना गलत है तो फिर मैं कामसूत्र और कई मंदिरों में बने सेक्स करते हुए मूर्तियों को भी गलत मानता हूं। भले ही वह आपकी संस्कृति सभ्यता का प्रतीक ही क्यों ना हो। रेप, यौन उत्पीड़न जैसी घटनाओं के लिए कई सारी चीजें जिम्मेदार है सिर्फ पोर्न साइट और नशा को जिम्मेदार ठहराना गलत है।

चलो मैं मान लेता हूं पोर्न देखना यानी रेप को बढ़ावा देना जैसा है, तो फिर हमारी सरकार इन साइटों पर बैन क्यों नहीं लगाती है। जिस प्रकार हमारी सरकार ने चाइनीस एप्लीकेशन पर बैन लगाया ठीक उसी तरीके से पॉर्न साइट और संपूर्ण देश में नशे पर बैन लगा देना चाहिए। आपकी जानकारी के लिए बता दूं- पोर्न साइड और नशे पर पूर्ण रूप से बैन किसी भी हिसाब से नहीं लग सकता है। नशा और पोर्न साइटों से सरकार को बहुत सारी आमदनी होती है। वैसे मुझे लगता है रेप, यौन उत्पीड़न, घरेलू हिंसा के लिए कई सारी चीजें जिम्मेदार है जैसी हमारा खान-पान, हमारा रहन सहन, हमारे कपड़े और कुछ हमारी संस्कृति जहां पुरुष प्रधानता का वर्चस्व है। जब कोई शादीशुदा मर्द अपनी पत्नी की इच्छा के विरुद्ध जाकर सेक्स करता है तो मैं उसे भी रेप कहता हूं। भारतीय संस्कृति में ऐसा हजारों सालों से होता रहा है। हमारे देश के राजा लोग सैकड़ों सैकड़ों रानियां रखते थे, अंदाजा लगाइए क्या वह सभी रानियां अपने अनुसार सेक्स करती होंगी..? या फिर जब राजा का मन करता होगा वह राजा किसी एक रानी के साथ सेक्स करता होगा..!

दूसरा मुझे लगता है- धर्म, जाति और छुआछूत रेप, यौन उत्पीड़न और हिंसा का सबसे बड़ा रक्षक है। अब आपके मन में सवाल उठेगा आखिर कैसे और क्यों..? इसका जवाब यह है कि आपके देश में आज भी रेप और हिंसा होने पर सबसे पहले आरोपी और पीड़िता की जाति और धर्म देखा जाता है। बाकी आप समझदार है मैं क्या कहना चाहता हूं क्योंकि आप सोशल मीडिया चला रहे हैं। मैं भारतीय संस्कृति की स्त्रियों पोशाक साड़ी को सबसे गंदा मानता हूं। आप बोलेंगे क्यों...? ज़रा आप सोचिए जींस, सूट सही है या फिर साड़ी..? मुझे लगता है जींस और सूट स्त्रियों के लिए सबसे अच्छे हैं। उनकी व्यक्तिगत सुरक्षा के लिए भी और सामाजिक परिदृश्य के लिए भी, बाकी हमारे देश की नारी शक्ति स्वतंत्र हैं उनका जो मन करें वह वो पहन सकती है।

अंतिम में मैं यह कहना चाहूंगा- आप सभी अपने बच्चों को सेक्स से संबंधित जानकारी प्रदान करें और उनके सवालों का सही जवाब उन्हें दें। ताकि आपके बच्चे को अपने सवालों को खोजने के लिए कोई गंदा रास्ता ना अपनाना पड़े। सामाजिक और पारिवारिक जागरूकता में ही हम सब की जागरूकता है। इसलिए मेरा आपसे निवेदन है कि अपने परिवार के सभी सदस्यों को जागरूक रहने के लिए प्रेरित करें।



#दीपक_कोहली


No comments:

Post a Comment