लगता है तेरी जुदाई हमें मार डालेगी,
आँसूओं की ये बरसात डूबों डालेगी,
सावन में आने का वादा था तुम्हारा,
लगता है यूँ ही ये विरह मार डालेगी।
ये दुनियाँ तेरे मेरे प्रेम की थी दुश्मन,
आज ये हम पर तुम पर उड़ाती हँसी,
तुमने बिसार दिये सारे वो रात- दिन,
आज हमें याद आती है वो तारें गिन।
इस तरह किसी के प्यार को भूलाना,
आसान नहीं होता मेरे दिलवर जाना,
है मुहब्बत खूदा की नेमत याद है ना,
दिल से दिल को तोड़कर चले जाना।
डॉ कन्हैयालाल गुप्त किशन
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