साहित्य चक्र

18 August 2017

* स्त्रियों की सुरक्षा *


नूतन शर्मा


आज न्यूज़ में चंडीगढ़ की बलात्कार बच्ची के बारे देखा...कि एक 10 वर्ष की बच्ची ने एक बच्चे को जन्म दिया..। इस खब़र को सुनकर मन बहुत विचलित हो गया..। और सोचने को मजबूर हुआ कि उस 10 वर्षीय बच्ची का क्या कसूर था...। कि इस उम्र में उसे माँ बनना पड़ा...। जबकि उसकी खुद खेलने की उम्र थी..। सुप्रीम कोर्ट ने उसके गर्भपात की याचिका को खारिज कर दिया था..। क्योंकि  इससे उसकी जान को खतरा था...। अब सोचने की बात यह है कि एक 10 साल की बच्ची क्या एक नवजात बच्ची को संभाल पाएगी..। क्या यह समझ पाएगी कि उसके साथ क्या हुआ..? क्यों हुआ...? डरी सहमी उस नवजात के लिए भी कही न कही उसके मन में डर होगा..। इस पुरूषवादी समाज में क्या स्त्री सिर्फ एक देह मार्ग हैं..। 10 वर्ष की बच्ची अपनी गोद में एक बच्चे को लेकर कैसे जीएगी..? 

अपनी स्कूल जाने की उम्र में और खेलने की उम्र में एक बच्चे की जिम्मेदारी...। कैसी मनोदशा होगी उसकी..? क्या समाज उसे अपना पाएगा..? उम्र चाहे पांच साल हो या 25 साल हो या फिर 55 साल ही क्यों ना हो..। आज स्त्री कहीं भी सुरक्षित नहीं है..।  ऐ मेरे देश के ठेकेदारों अब तो जागो....? अब तो स्त्रियों की सुरक्षा के लिए कोई उचित कदम उठाओ...।

                                                              रिपोर्ट- नूतन शर्मा

No comments:

Post a Comment