'डेरा सच्चा सौदा' एक संत आश्रम है..। जो हरियाणा के सिरसा में स्थित है..। जिसकी स्थापना 1948 में संत शाह मस्ताना जी ने की थी..। शंहशाह मस्ताना ने एक झोपड़ी में आध्यात्मिक कार्यक्रमों का आयोजन करके डेरा सच्चा सौदा की शुरूआत की...। जिसके साथ-साथ धारे-धीरे डेरा में अनुयायियों की संख्या बढ़ती गई..। एक छोटे-सी झोपड़ी से मस्ताना महाराज ने समाज में एक नई पहल तो की... लेकिन जिस तरह आज गुरमीत राम रहीम ने इसका दुरुप्रयोग कर लोगों व समाज में बाबाओं के प्रति एक विरोध पैदा कर दिया है..। लोग का विश्वास धार्मिक बाबाओं और गुरूओं से टूटने लगा है..। वैसे आपको बताते चलूं...कि महाराज मस्ताना के बाद डेरा के प्रमुख शाह-सतनाम महराज बनें..। सतनाम ने डेरा की कमान 1990 में अपने अनुयायी गुरमीत सिंह को गद्दी सौंपी..। जब गुरमीत सिंह मात्र सात साल का था..तो सतनाम महाराज ने उनका नाम बदल कर 'गुरमीत राम रहीम सिंह इंसां' नया नाम दिया..। डेरा सच्चा सौदा पिछले 68 सालों से चला आ रहा है..। इसकी शाखाएं अमेरिका, कनाडा, इंग्लैण्ड जैसे आदि देशों में भी फैले है..। इस संगठन से करीब-करीब पांच करोड़ से ज्यादा लोग जुड़े हुए है..। इस संस्था में सिख धर्म के लोग, हिंदू धर्म के लोगों के साथ - साथ कई और धर्मों के लोग भी जुड़े हुए है..। इस संगठन की मुख्य विशेषता यहां पर किसी भी धर्म व जाति के साथ भेदभाव नहीं होता है...। डेरा समर्थक इस आश्रम को 'सच्चा धार्मिक आश्रम' कहते है..। डेरा समर्थक मीट-मांस, मदिरा का सेवन नहीं करते है...। डेरा समर्थक समाजसेवा करने में सक्रिय रहते है..। डेरा संगठन ने कई बार रक्तदान शिविर, कई नेत्र शिविर व कई बार बाढ़-सूखा ग्रस्त क्षेत्रों की मदद की है..। 'डेरा सच्चा सौदा' एक एनजीओ की तरह काम करती है...। जो मस्ताना जी ने बनाया था..। मस्ताना जी का मकशद था... कि वह एक संगठन के माध्यम से जनता की सेवा करें..। जिस तरह राम रहीम की पोल खुली है...उसे देख कर लगता है...। अब लोगों का भरोसा सभी धार्मिक संगठनों से उठ जाएगा...। जो हमारे धार्मिक गतिविधियों के लिए खतरनाक साबित भी हो सकता है..। हाँ...! हमारा देश पहले से ही धार्मिक गतिविधियों से जुड़ा देश रहा है..। कुछ दुष्ट पापियों ने धार्मिक गतिविधियों को भी नष्ट कर दिया है..। अत: हमें अब खुद पर भरोसा करने ही होगा...और हमें खुद पूजा-पाठ और धार्मिक ग्रंथों का पाठ करना शुरू कर देना चाहिए..। हमें जानना चाहिए...हमारे ग्रंथ, हमारी कुरान, हमारी बाइबल में क्या लिख है..? ना कि किसी बाबा, मौलवी, मुनि के कहे अनुसार चलना चाहिए..। हमें खुद के अनुसार चलना चाहिए..। चाहे वह हिंदू हो या फिर किसी और धर्म का व्यक्ति हो..। हमारी पहचान ही हमारा मूल अधिकार है...।
रिपोर्ट- दीपक कोहली
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