साहित्य चक्र

23 August 2017

# नशे की लत #



कितने खुश किस्मत वो बच्चे,
हो जिनके मम्मी -पापा अच्छे
आप नशे में रहते हो हर दम
घुट घुट कर जीते रहते हम।

हमें किस बात की सजा दे रहे हो,
अंधेरे से डरते हैं फिर भी अंधेरा दे रहे हो,
  आपसे खपा भी नही रह सकते है,
पर हद हो गई चुप भी नही रह सकते है,

  पीकर आप हमें जिन्दा ही मार रहे हो,
लेकिन कुछ फायदा नही खुद से ही हार रहे हो,
    बच्चों की जिंदगी पर क्यों ग्रहण लगाते हो,
क्या हमे जीने का हक़ नही जो इतना सताते हो,

आपकी फ़िक्र हैं हमे इसलिए मना करते है,
बीमारी न घेर ले कहीँ इसी बात से डरते है।
आपकी वजह से बहुत कुछ सहना पड़ रहा है,
शराब के कारण बच्चों का भविष्य बिगड़ रहा है।


पिने में नुकसान है फिर भी  समझ नही पाते
मान जाओ पापा क्यों इतना कहर हो ढाते,
आप शराब न पीते तो कितना अच्छा होता?
हम हँसते-हँसते जीते तो कितना अच्छा होता?

* सुमन जांगड़ा *

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