साहित्य चक्र

17 August 2017

* माँ *


माँ एक एहसास है,
माँ मेरे पास है..।
माँ एक साया है,
माँ में ही सारी माया है।

माँ सोच है,
माँ सच है,
माँ शहनाई है,
माँ गूंज है..।

माँ अविकल है,
माँ मेरा आजकल है,
माँ अगर मौन है,
शून्य सारा कल है...।
                             कवियत्री- नूतन शर्मा

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