साहित्य चक्र

08 August 2017

बेटियां...।



क्यों कहते हैं, लोग बेटियां बोझ होती हैं,
क्यों कहते हैं, लोग बेटियां बदनसीब होती हैं।

बड़ी अजीब है ना ये बेटियां..
दुख-सुख सब देखती है बेटियां..
दोनों घरों को संभालती है बेटियां..
अपने गमों को छिपाकर हंसती है।

दूसरों की खुशी के लिए सिर झुकाती है बेटियां,
पर फिर भी क्यों बोझ है...बेटियां..।।

इस धरती में आने से पहले ही,
क्यों उन्हें मार दिया जाता है...?
इस धरती में आने के बाद ,
क्यों उन्हें सताया जाता है...?

क्या इतनी बदनसीब है ये बेटियां..।
बड़ी अजीब है ना ये बेटियां...।

जब उम्र थी पढ़ने की, तो पढ़ाया नहीं,
जब लगन थी सीखने की, सीखाया नहीं।
नजर अटकी थी माता- पिता पे,
पर उन्होंने भी अपनाया नहीं..।

कितना कुछ सहती है बेटियां
फिर भी मुस्कराती है बेटियां।
दूसरों की खुशी के लिए...
शीश झुकाती है ये बेटियां...।

बड़ी अजीब है ना ये बेटियां...।


                                                                                       * कवियत्री- गंगा जोशी *

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