चंद्रकला |
बेटी..! मुझे भी जीने दो..।
देश की शान है बेटी.. पापा की जान है... बेटी..!
करती है रोशन.. दो कुलों का नाम है... बेटी..!
मायके का प्यार छोड़...
ससुराल के दर्द में कराहती है... बेटी..!
लक्ष्मी-दुर्गा-चण्डिका...
अन्य रूपों में पूजी जाती है... बेटी..!
आत्मविश्वास और शक्ति की कुंजी है...बेटी..!
दादी की लाडली..पापा की प्यारी है...बेटी..!
माँ की ममता..भाई के स्नेह से पलती है..बेटी..!
परिवार को एक सूत्र में बांधी रखती है..बेटी..!
सुंदरता और सुशीलता का भंडार है..बेटी..!
नन्हीं-सी कली है...बेटी..!
जरा बहार की बगियां में खेलने तो दो।
ना करो अत्याचार जब बहु बन जाती है...बेटी..!
ना करो दुराचार जब बाहर निकलती है...बेटी..!
ना लगाओ बनदिश...।
एक सम्मानीय जीवन बनाओ..। बेटी..!
*चंद्रकला*
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