साहित्य चक्र

22 July 2017

* वीर जवान *

सुमन जांगड़ा



* वीर जवान *


गर्व करे या अश्क बहायें, हम इनके बलिदान पर।
जान गवादी पर आंच न आई,जिनसे हिंदुस्तान पर।।

जंजीरो से बंध कर भी जो अपना फर्ज न भूले थे।
हँसते हँसते भारत माँ के वीर लाडले झूले थे।।

सिर नही झुकने दिया कभी किसी शैतान पर।
जान गवादी पर आंच न आई जिनसे हिंदुस्तान पर।।

आजादी का ये चोला हम सब को पहना गए ।
बिना किसी स्वार्थ के देश के ऊपर छा गए।।

हम को बड़ा अभिमान है अपने वीर जवान पर।
जान गवादी पर आँच न आई जिनसे हिंदुस्तान पर।।

सुनो भारतीयो याद करेंगे हम सब इनकी कुर्बानी।
दिलों में जिनके देश प्रेम हो वो थे सच्चे बलिदानी।।

हम भी सीखेंगे कुछ इनसे देशभक्त सम्मान पर।
जान गवादी पर आँच न आई,जिनसे हिंदुस्तान पर।।
                                     
                                   *सुमन जांगड़ा*

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