साहित्य चक्र

11 July 2017

*नारी तुझे सलाम*


*सुमन जांगड़ा*


रुकना नही है तुझे,बस चलते जाना है।

कदम दर कदम आगे, बढ़ते जाना है।
🏇🏇🏇🏇🏇🏇🏇🏇🏇🏇

मत हिम्मत हारना,चाहे पर्वत सी ऊंचाई हो।
लक्ष्य तेरा अटल है कितनी भी कठिनाई हो। 
🏇🏇🏇🏇🏇🏇🏇🏇🏇🏇

 होंसलो की उड़ान तुझे ,बन दिखलाना है।
आगे आगे तुम चलो ,पीछे जमाना है।
🏇🏇🏇🏇🏇🏇🏇🏇🏇🏇🏇🏇

 चिर दो दुश्मन का सीना,जो राहो में आ जाये।
भारत की तुम निडर बेटी,न कभी घबरा पाये। 
🏇🏇🏇🏇🏇🏇🏇🏇🏇🏇🏇🏇 

मौत से भी लड़ जाओ अगर जरूरत पड़ती है।
आँच न आये अपने हिन्द पर,जब तू आगे बढ़ती है।
🏇🏇🏇🏇🏇🏇🏇🏇🏇🏇🏇
     
कभी दुर्गा कभी लक्ष्मी,काली का अवतार है तू।
वतन के ऊपर जान झोंकना,हर समय तैयार है तू।
🏇🏇🏇🏇🏇🏇🏇🏇🏇🏇🏇

गर्व है तुम पर इस देश को ,कर दिखलाया ऐसा काम।
हे,मर्दानी -हिंदुस्तानी देश की नारी तुझे सलाम।
जय हिन्द  
🏇🏇🏇🏇🏇🏇🏇🏇🏇🏇🏇🏇 
                                                         
                                                                   *सुमन जांगड़ा*

No comments:

Post a Comment