साहित्य चक्र

02 July 2017

* शुक्रिया..शुक्रिया..मेरी जान..हिन्दुस्तान..।








शुक्रिया-शुक्रिया..। 
ओ.. मेरी जान - ओ.. मेरी जान..।
हिन्दुस्तान...हिन्दुस्तान...।।


कोई ऐसा काम नहीं, 
जिसमें तेरा नाम नहीं..।
ओ..मेरी जान - ओ.. मेरी जान..।
हिन्दुस्तान...हिन्दुस्तान...।।


कोई ऐसा धर्म नहीं, 
जिसमें तेरा नाम नहीं..।
ओ..मेरी जान - ओ..मेरी जान..।
हिन्दुस्तान...हिन्दुस्तान...।।


कोई ऐसा कर्म नहीं,
जिसमें तेरा नाम नहीं..।
ओ..मेरी जान - ओ.. मेरी जान..।
हिन्दुस्तान...हिन्दुस्तान...।।


कोई ऐसी जाति नहीं, 
जिसमें तेरा नाम नहीं..।
ओ..मेरी जान - ओ.. मेरी जान..।
हिन्दुस्तान...हिन्दुस्तान...।।

मुस्कुरा-मुस्कुरा..। 
ओ... मेरी जान - मेरी जान..।
हिन्दुस्तान...हिन्दुस्तान...।।

                                            *कवि- दीपक कोहली*

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