साहित्य चक्र

07 July 2017

उत्तराखंड की एक अभिनेत्री - 'सुमन'


जब - जब देव भूमि की बात होती है, तो तब - तब वहां की संस्कृति और लोक गीतों के बारे में भी बात होती हैं..। जिस तरह आज उत्तराखंड की संस्कृति आगे बढ़ रही है, उसे देखकर लगता है, कि आने वाले दिनों में देवभूमि की लोकप्रियता पूरे विश्व में बढ़ेगी..। हम उम्मीद करते है कि हमारे उत्तराखंड की संस्कृति विश्व विख्यात हो...। उत्तराखंड की संस्कृति से जुड़े लोग आज भी यहां की संस्कृति को कुछ अलग अंदाजों में पिरोते नज़र आते है..। हमारा उत्तराखंड देश ही नहीं विदेशों को भी कई कलाकार दें, चुका है..।  वहीं हमारे पहाड़ी कलाकार भी लोगों के दिलों में राज करते है..। जी हां उन्हीं में से एक है, हमारी पहाड़ी कलाकार सुमन गौड़...। जो हर उत्तराखंडी के दिलों में राज करती है..। इसी को लेकर जयदीप पत्रिका ने सुमन गौड़ से बातचीत करने की कोशिश की..। 


आइए जानते है...। सुमन गौड़ और जयदीप पत्रिका के संपादक दीपक कोहली की खास बातचीत..। 


सवाल- आप देवभूमि उत्तराखंड में एक सुपर स्टार की तरह पहचान रखते है..। इसे बावजूद भी आप एक साधारण सोच रखती है..? 
जवाब- मैं सबसे पहले एक उत्तराखंडी हूं..। उसके बाद में एक कलाकार हूं..। मैं उत्तराखंड वासियों का  धन्यवाद करना चाहूंगी..जिन्होंने मुझे इतना प्यार दिया..। हां मैं एक साधारण नारी के साथ - साथ एक अच्छी मां और एक गृहणी भी हूं..। इतना जरूर कहूंगी.. कि हमारा उत्तराखंड देवभूमि है और रहेगा..।

सवाल- आपको क्या लगता है..? क्या हमारी संस्कृति, हमारे लोकगीत, हमारी हस्य परंपरा कही खोती जा रही है..?
जवाब- हां..यह सत्य है..। आज हमारी संस्कृति कही खोती दिख रही है..। इतना जरूर है कि लोग लोक गीत, हस्य - कविताएं सुनना चाहते है, मगर आजकल के युवा कही इससे हटते जा रहे है..। जो विशेष चिंता है..।  राज्य सरकार और स्थानीय नागरिकों को इस विषय पर गंभीरता से सोचना होगा..। तभी कुछ हो सकता है...। युवाओं को लोक- गीत- संगीत के लिए प्रेरित करना होगा..। तभी हमारा लोक-संगीत बचा रहेगा..। 

सवाल- आपको क्या लगता है...?  क्या हमारे उत्तराखंडी लोक गायक, कलाकार, संगीकार आदि लोगों को वो पहचान मिल पाती है...? जो एक बॉलीवुड कलाकार, संगीतकार को मिलता है..या.. और राज्यों के कलाकारों को मिलती है..?
जवाब- नहीं..। वो पहचान अभी बाकी है..। जो और राज्यों के कलाकारों, संगीतकारों को मिलती है..। हां इतना जरूर है...।  कुछ गायकों और संगीतकारों को लगभग कई देशों में भी जाना जाता है..। जैसे गढ़वाली गायक नरेंद्र सिंह नेगी, कुमांऊनी गायक ललित मोहन, पप्पू कार्की, आदि। 

सवाल- आपको अभिनय और एक्टिंग का शौक कहां से और कब आया..?
जवाब- जी..मैं बचपन से ही एक्टिंग करती थी...। जब मैं कक्षा 8 में पढ़ती थी। तब से में रामलीला और संस्कृतिक कार्यक्रमों में प्रतिभाग करती थी..। तब से मेरे अंदर एक्टिंग का भूत सवार है..। हां इस क्षेत्र में काफी संघर्ष का सामना करना पड़ता है..। मैं पहाड़ के युवाओं से एक बात जरूर कहूंगी..कि आप कहीं जाए या कही भी रहें पर अपना लोक-संगीत सुनाना बंद ना करें..। हमारी लोक-संस्कृतिक ही हमारी पहचान है..। 

सवाल- आपको क्या लगता है...क्या प्रदेश सरकार को हमारे गीत-संगीतकारों या कलाकारों को सम्मानित करना चाहिए..? जैसे कबूतरी देवी, नरेंद्र नेगी...आदि।
जवाब- हां प्रदेश सरकार को इस विषय पर सोचना चाहिए..। आखिर उन लोगों ने प्रदेश का नाम रोशन किया है। हमारी संस्कृति को एक अलग आयाम दिया है..। जो सबसे पहले कबूतरी देवी जी ने दिया था..।प्रदेश सरकार को राज्य में संगीत संस्थानों का गठन करना चाहिए..। जिनसे नई पीढ़ी को अपनी संस्कृति का ज्ञान मिल सके..। 


सवाल- आप देवभूमि के बारे में क्या कहना चाहेंगे..? वहां के वासियों को क्या संदेश देना पसंद करेंगे..?
जवाब- देवभूमि अपने - आप में स्वर्ग है..। जितना कहोंगे उतना कम है..। मैं देवभूमि को नमन करती हूं। जहां मुझे पैदा होने मौका मिला..। देवभूमि ही इस पृथ्वी का स्वर्ग है...। वहां के वासियों को प्रणाम करते हुए..। उनका धन्यवाद करूंगी..। जिन्होंने हमें इतना प्यार दिया..। उनका प्यार ही हमारी पहचान है..। 
मैं प्रदेशवासियों से यहीं कहूंगी...आप हमें अपना प्यार देते रहें...।

सवाल- आप कबूतरी देवी, गिर्दा तिवारी, नरेंद्र नेगी को  इस नज़रिए से देखते है..?
जवाब- कबूतरी देवी, गिर्दा तिवारी व नरेंद्र नेगी आपने-आप में महान हैं..। हर प्रदेशवासी इनका सम्मान करता है..। ऐसे लोग प्रदेश को बहुत कम मिलेंगे..। जो प्रदेश के बारे में सोचता हैं..। 

सवाल- आप एक कलाकर है..। प्रदेश में कई युवाओं की रोल मॉडल भी होगी..। आप प्रदेश के युवाओं को इस क्षेत्र के बारे में क्या ज्ञान देना चाहेंगी..?
जवाब- मेरा प्रदेश के युवाओं से निवेदन है..कि आप इस क्षेत्र में आए और प्रदेश की संस्कृति को बरकरार रखें..या आगे ले जाए। जिससे हमारी संस्कृति बरकरार रहेंगी..।
  
सवाल- आप हमारी जयदीप पत्रिका के बारे में क्या कहेंगी..?
जवाब- जयदीप पत्रिका जिस तरीके से काम कर रहीं है..। उसे देख कर लगता है कि देश- प्रदेश में कई गुम चेहरे सामने आइगे..। जो देश-प्रदेश का मान बढ़ा रहे हैं..। मैं धन्यवाद देना चाहूंगी... जयदीप पत्रिका और दीपक कोहली को जिन्होंने मुझे अपने मंच पर आमंत्रित किया...। 

                                                    रिपोर्ट- दीपक कोहली   

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