साहित्य चक्र

09 July 2017

*बेटी-बेटी-बेटी*

  *खुशबू शर्मा*


जीवन अगर गीत है,

 तो साज है बेटी 
अपने बाबुल के सर 
का ताज है बेटी..। 



बेटी अगर सुरक्षित है तो,
 कल अपना सुनहरा है।
आज हर एक मुक़ाम
 पर तैनात है बेटी..।।
शक्ति भी है वो काली भी
 दुर्गा और चंडी भी..।।



 यूँ तो पूरा ब्रह्माण्ड है बेटी,
 हर एक भाई के लिए 
चिंतित वो बहिन है बेटी,
हर मां-बाप की शान है बेटी।।



                         *खुशबू शर्मा*

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