साहित्य चक्र

27 July 2017

-बेटी-



* बेटी * 
               
                     
धन्य है वह आँगन, जहाँ बेटी की किलकारी है, 
और हर बेटी को बचाना, हम सबकी जिम्मेदारी है। 
                  
                      
भारत की हर बेटी पढ़े, ये पावन कर्तव्य हमारा है, 
क्योकि बेटियों ने तिरंगे,  का गौरव सम्मान बढ़ाया है।
बेटी वो है जो, दो परिवारों की आन, बान और शान है, 
और बेटी होना आज, अभिशाप नहीं, अभिमान है ।
     
                      
स्वच्छ भारत का नारा, आज हर भारतीय को अपनाना है, 
, बेटियों को संरक्षण दे, कचरे का अस्तित्व मिटाना है।
पूर्ण स्वच्छ रहे भारत, पुष्पित हो, पल्लिवत हो,
'बेटी बचाओ -बेटी पढाओ', केवल दीवारों पे ना अंकित हो।
                       
  इस नारे को हृदय से, हर भारतवासी को अपनाना है, 
हर बेटी कोई उसका स्थान मिले, उसे सारा जहाँ दिखाना है, 
कोई अरमान बाकी ना रहे, जीवन उसका महकाना है, 
शादी के बाद ना जाने, उसे किस तरह निभाना है।
                      

एक बार बेटी को जीवन दो, आलम्बन दो, संस्कार दो,
सारा जीवन उसके सिर पर, प्यार से निसार दो।
, एक बार मौका दो उसे, जीने का, कुछ करने का,
नाम ऊँचा कर देगी, विश्व में, अपने भारत वर्ष का।

                       
बेटी  को बचाओगे,   तो वो सभ्यता बचाएगी, 
एक ही नही  वो,  दो परिवार महकाएगी
अपना  सब कुछ  छोड़कर, वो हमारे  काम बनाएगी, 
और आपके  इस  कर्ज  को  वो जीवन  भर चुकाएगी।  

धन्‍यवाद सहित प्राप्‍त करें ! 

                                            विदुषी शर्मा 

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