साहित्य चक्र

22 December 2017

# योग की देवी...! रेखा नेगी..!





कौन कहता हैं..?  गांव की महिलाओं के सपनों को पंख नहीं लगते...। अगर हो हुनर और काबिलियत तो सपने जरूर पूरे होते हैं..। 

जी हाँ..! कुछ यहीं कहानी 'रेखा नेगी' की भी हैं..।  जो कुछ समय पहले एक गृहणी हुआ करती थी...। आज वहीं 'रेखा' योग देवी के रूप में पूरे उत्तराखंड में जानी जाती हैं..। वैसे आपको बता दूँ..। 'रेखा'  देवभूमि के कोटद्वार से हैं..। जो एक समाजसेवी भी हैं..। 'रेखा' उत्तराखंड के कोटद्वार जिले में योग को बढ़ावा देती हैं..। जिसके लिए 'रेखा' 'पतंजलि योग पीठ'  से जुड़कर काम करती है..। साल 2011 से 'रेखा' योग से जुड़ी हुई है..। इसी सिलसिले में हमने रेखा से कुछ खास बातचीत की...। 

आइए जानते हैं...।  उसी बातचीत के कुछ विशेष अंश...।

सवाल- योग हमारे लिए क्यों जरूरी है..?
जवाब-  योग हमारे शारीरिक-मानसिक विकास में मदद करता हैं...। योग हमारे मानसिक संतुलन को बरकरार रखता हैं..। आजकल के खान-पान को देखते हुए योग हमारे लिए बेहद ही जरूरी है..। योग करने से हमारे अंदर सकारात्मक विचार उत्पन्न होते हैं..। 

सवाल- आप योग से क्यों और कैसे जुड़ी..?
जवाब- मैं योग से इसलिए जुड़ी क्योंकि आजकल जिस तरह के रोग हो रहे हैं..। उन सभी रोगों से बचने के लिए योग सबसे अच्छा उपाय हैं..। मुझे अपने आप को स्वस्थ रखना है..। जिसके लिए योग एकमात्र प्रयोग किया गया उपाय है..। पतंजलि के माध्यम से मैं योग तक पहुंत पाई..। जिसके लिए में पतंजलि का धन्यवाद करना चाहूंगीं..।  

सवाल- आप योग में आपना गुरू किसे मानते है..? 
जवाब- मैं योग में अपना गुरु 'योग गुरु रामदेव बाबा' को ही अपना गुरु मानती हूं..। रामदेव बाबा से ही मैंने योग सिखा..। मैं उन्हीं की तरह योग को आगे बढ़ाना चाहती हूं..।

सवाल- योग देवी के साथ-साथ आप एक समाजसेविका भी है..। इस पर आपका क्या कहना है..?
जवाब- हाँ..। में एक समाजसेविका भी हूँ..। मैं योग शिविरों के जरिए..। कई लोगों की मदद भी करती हूं..। योग का प्रचार करना ही मेरा लिए सबसे बड़ी समाज सेवा है..। मेरा मानना है..। एक समाज सेवक के हमेशा सच्चा होना चाहिए..। 


सवाल- आप एक शादीशुदा महिला है..? क्या योग सिखाने के लिए कभी आपके परिवार वालों ने आपको रोका नहीं..? 
जवाब- मुझे मेरे परिवार वालों ने कई बार रोका..। मैंने कई बार अपने पति की डांट भी खाई..। लेकिन मेरे अंदर एक जुनून था..। योग करने का.. और सिखाने का...। साथ ही लोगों तक योग का प्रचार कर घर-घर तक योग पहुंचाने का..। 

सवाल- योग के बारे में आप हमारी 'जयदीप पत्रिका' के माध्यम से लोगों तक क्या संदेश देना चाहेगें..?
जवाब- सबसे पहले मैं 'जयदीप पत्रिका' का तहे दिल से धन्यवाद देना चाहूंगीं..। जिसने मेरे विचार और मेरी मन की बात आप लोगों तक पहुंचायी..। मैं आप सभी लोगों से एक छोटी विनती करूगीं..। आप भी योग करें..। सकारात्मक विचार ग्रहण कर जीवन का आनंद लें..। धन्यवाद..।।


                                                             रिपोर्ट- दीपक कोहली
   


11 December 2017

* क्या लोकतंत्र को मिलेगा..! ऑक्सीजन ?




देश में भ्रष्टाचार की नस जिस तरह मोटी होती जा रही है...। उसे देखकर यहीं लगता है..। अब लोकतंत्र को भी ऑक्सीजन की जरूरत है..। आज हर राजनेता देश के बारे में कम और पार्टी के बारे में ज्यादा सोच रहे है..।
जिससे देश की लोकतंत्र  की जड़ कमजोर होती जा रही है..। जिस तरह हर न्यूज़ चैनल में किसी ना किसी राजनेता या किसी राजनीति पार्टी का हाथ मिला होना.. यह साबित करता है...। कि कहीं ना कहीं लोकतंत्र का चौथा स्तंभ भी खोखला होता जा रहा है..। यह दुर्भाग्य है हमारे देश का..। जहां सरकार मीडिया के आकड़ों पर बनती है...। मीडिया जिसे खबरों में रखती है..। या फिर जिसे टाइम लाइट पर रखती है..। वहीं राजनेता देश की राजनीति में एक मुख्य रोल निभाता दिखता हैं...। 



क्या यहीं है लोकतंत्र...? वहीं आजकल की मीडिया टीआरपी के लिए काम करती दिखाई देती है..। जो जितना पैसा देगा उसकी उतनी तारीफ की जाएगी..। हर न्यूज़ चैनल की अपनी एक भाषा शैली बनी हुई है...। कभी देश में अफवाएं फैलाई जाती है...। तो कभी देशवासियों को डराया जाता है..। इससे यह साबित होता है..। क्या हमारे देश की पत्रकारिता की भी ऐसी हालत हो गई है...। मीडिया जो चाहे कर लें..। जिसकी चाहे उसकी सरकार बना दें...। कई सवाल मन में उठते है...।



हमें लगता हैं...। देश को ऑक्सीजन की जरूरत है..। हर मामले में देश का ऑक्सीजन खत्म होता दिख रहा है..। चाहे आप किसी भी व्यवस्था को उठाकर देख लें..। हर क्षेत्र में ऑक्सीजन कम होता दिख रहा है..। हमारी मीडिया आज टीआरपी के पीछे भागती है..। या फिर चाहे टीआरपी कैसे ही क्यों ना मिले...? प्राइम टाइम में डिबेट कम एक-दूसरे पार्टी का पक्ष लेना ज्यादा दिखाई देता है..। मीडिया काम तो करती है...। पर टीआरपी उसे करने नहीं देता..। जब देश में कुछ नया मामला आता है तो हर न्यूज़ चैनलों में वहीं मामला चलता है..। जब टीआरपी एक ही चैनल बटोर कर ले जाता है...। तो फिर मामला स्वाह हो जाता है..। यानि खब़र बदल दी जाती है..। इसे हमारे देश का दुर्भाग्य ही कहां जा सकता है..। जहां की मीडिया अपने आप को कहती तो है...लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ...। पर है टीआरपी  की बीमार...। 
देश में कई ऐसे मामले है....। जिन पर मीडिया देखते हुए भी काम नहीं करती...। क्योंकि उसे उन मामलों से कोई फायदा नहीं होता है..। जिससे मीडिया उन मामलों पर कुछ नहीं करता..। हमारे देश में जब कोई बड़ी घटना होती है...। तो उसे हर बड़े से बड़ा और हर छोटे से छोटा न्यूज़ चैनल दिखाता है...। जब उस खब़र से कोई लाभ नहीं होता है...। तो उस घटना की खोज - बिन बंद कर दी जाती है...। यानि हर जगह लोभ- लालच ही नजर आता हैं...। आखिर लोकतंत्र को कब मिलेगा...? 'ऑक्सीजन'...!




                                                         संपादक- दीपक कोहली


07 December 2017

* छिल्लर के सपनों को लगे पंख...!

अगर आपके हौसले बुलंद हो...! आपको अपने सपनों की उड़ान जरूर मिलेगी..। जी हाँ...! अब आपके सपने भी होगें साकार...! आज हम बात करेगें...! 2017 की विश्व सुंदरी 'मानुषी छिल्लर' की...! कौन कहता है...? हमारे सपने सच नहीं होते..? अगर ठान लो...?  तो..! आसमां भी कदमों में नजर आता है..।



'मानुषी छिल्लर' पेशे से एक मेडिकल छात्रा है..। जो मूल रूप से हरियाणा की रहने वाली है..। 'मानुषी' ने देश को 17 सालों बाद विश्व सुंदर का खिताब दिलाया है...। 'मानुषी' यह खिताब जीतने वाली छठीं भारतीय सुंदरी है..। इससे पहले 1966 में पहली बार 'रीता फारिया' ने यह खिताब जीतकर विश्व में भारत का गौरव बढ़ाया था..। उसके बाद भारत को इस खिताब के लिए 27 सालों का इंतजार करना पड़ा...। जब 1994 में दूसरी बार 'ऐश्वर्या रॉय बच्चन' ने यह खिताब अपने नाम किया..। जिसके बाद भारतीय सुंदरियों ने इस खिताब की झड़ी लगा दी..। यानि लगातार एक-दो सालों के अंतराल के बीच इस खिताब को अपने नाम करती रही..। 

जब 1997 में 'डायना हेडेन', 1999 में 'युक्ता मुखी' और साल 2000 में 'प्रियंका चोपड़ा' ने यह खिताब जीतकर पूरे विश्व में भारत का मान बढ़ाया..। वहीं इस बार यानि 2017 का खिताब जीतकर 'मानुषी छिल्लर' ने एक बार फिर भारत का तिरंगा लहराया है..। 
आपको बता दूं...! भारत यह खिताब सबसे ज्यादा बार जीतने वाला एक मात्र देश हैं..। भारत की सुंदरियों ने यह खिताब अब तक छ: बार अपने नाम किया हैं...। 

'मानुषी' कहती है...! मैंने कभी नहीं सोचा था...! कि मैं कभी विश्व सुंदरी बनूंगी...। मुझे यकीन नहीं हो रहा...। मैंने विश्व सुंदरी का खिताब जीता हैं..। मैं शुक्रगुजार हूँ..। 'द् टाइम्स ग्रुप' व 'मिस इंडिया ऑर्गनाइजेशन' का जिन्होंने मुझे यह मौका दिया...। मेरा मार्गदर्शन किया मुझे विश्व सुंदरी बना दिया..। धन्यवाद पूरे देश का जिन्होंने मेरे लिए दुआएं कि और मेरा हौसला बढ़ाया..। 

आपको बता दूं...! 'मानुषी छिल्लर' ने यह खिताब पड़ोसी देश 'चीन' के 'सान्या' शहर के 'एरीना' में आयोजित समारोह में दुनिया के विभिन्न देशों के 108 सुंदरियों को पछाड़ते हुए यह खिताब अपने नाम कर..। इतिहास के पन्नों में अपना नाम स्वर्ण अक्षरों से दर्ज किया..। 'मानुषी' के इस अवतार को देखकर पूरे देश खुशी में डूब गया..। प्रधानमंत्री 'नरेंद्र मोदी' से लेकर बॉलीवुड महानायक 'अमिताभ बच्चन' तक ने 'मानुषी' की इस उपलब्धि पर उन्हें ट्वीट के जरिए बधाई दी..। 

वैसे इस बार का खिताब इसलिए भी विशेष है..। क्योंकि इस बार का खिताब 17 सालों बाद भारत की झोली में आया है..। जो हरियाणा की बेटी 'मानुषी छिल्लर' ने देश को दिलाया..। 'मानुषी' हरियाणा की पहली बेटी हैं जिन्होंने विश्व सुंदरी का खिताब हासिल किया हो..। अगर हरियाणा जैसे प्रदेश की बेटी...।  यानि जो प्रदेश छोरियों को गर्भ में ही मारने के लिए जाना जाता हो..। वहां की बेटी ऐसा कीर्तिमान रचे तो यह प्रदेश के लिए बहुत बढ़ा गौरव है...।    



                                                    संपादक- दीपक कोहली


06 December 2017

* बंसत आयो...!






आयो रे आयो...! 
आयो बंसत आयो..।
बदली सी ऋतु लायो..।।


प्रेम की गंगा, फूलों की सुंगध

हरियाली छाने लगी है..।
आयो आयो बंसत ऋतु आयो..।।


कलियों की मुस्कान, भवरों की उड़ान 

चिड़ियों की चहक आने लगी है।
आयो बंसत ऋतु आयो..।।



दिलों का प्यार, मिलन की आश 

होली आने लगी है..।
आयो बंसत ऋतु आयो..।।


आयो बंसत, आयो..। 

बदली सी ऋतु लायो..।।


                                
                                                 कवि- दीपक कोहली


16 November 2017

मणिपुर की लौह -स्त्री

              



मणिपुर यानी भारत की वो धरती जहां अलगावी और बेगानेपन काफी मजबूत हैं। जी हॉं...!  मैं उसी भूमि की बात कर रहा हूं...। जहां उस स्त्री का जन्म हुआ...। जिसने अपने जीवन के 16 साल से भी ज्यादा समय अनशन में लगा दिया..। वो एक स्त्री नहीं..! वो मणिपुर की लौह - स्त्री है..। जी..हाँ...। हम बात कर रहे हैं..। 'इरोम चानू शर्मिला' की...। जो अपनी भूख हड़ताल के लिए पूरे देश में ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में पहचानी जाती हैं..। आपको बता दूं...। इरोम लगभग 16 साल तक अनशन पर रहीं..। इरोम ने भूख हड़ताल तब की जब 2 नवंबर 2000 को 'इम्फाल' के 'मालोम' में 'असम राइफल्स' के कुछ जवानों ने 10 बेगुनाह लोगों को बेवजह मार गिराया था..। जिसके बाद 4 नवंबर से 'इरोम'  ने अनशन कर 'सशस्त्र बल विशेष शक्तियां  अधिनियम 1956 को हटाने' के खिलाफ खड़े होने का फैसला किया...। इस उम्मीद के साथ 'इरोम' ने अपना अनशन आगे बढ़ाने का फैसला लिया...। कि पूर्वीतर राज्यों से 'ऑर्म्ड फोर्स स्पेशल एक्ट' हटा दिया जाएगा...। जिसके लिए 'इरोम' 'महात्मा गांधी' के नक्शेकदमों पर चली..। लेकिन उन्हें असफलता ही प्राप्त हुई..। तभी 16 साल बाद 'शर्मिला' ने अचानक अपना अनशन तोड़ने का फैसला किया..। जी हाँ...। 'इरोम शर्मिला' ने  जुलाई 2016 में अपनी भूख हड़ताल समाप्त करने की घोषणा की..। 

वैसे आपको बता दूं कि 'इरोम' का यह अनशन पूर्वोतर राज्योंं से एक कानून को हटाने के लिए हुआ था..। इस कानून के तहत सेना को किसी को भी देखते ही गोली मारने या बिना वांरट गिरफ्तार करने का अधिकार हैं..। जो पूर्वोतर सहित जम्मू-कश्मीर में लागू हैं..। 'शर्मिला' इस कानून के खिलाफ लगभग 16 साल लड़ी...। लेकिन सरकार ने इस कानून को वापस लेने से साफ माना कर दिया..। अनशन के कुछ समय बाद सरकार ने 'शर्मिला' को आत्महत्या करने के प्रयास में गिरफ्तार कर लिया...। जिसके बाद 'इरोम शर्मिला' सरकार के कब्जे में 16 साल रहीं...। सरकार इरोम को हर साल रिहा करती और हर साल गिरफ्तार करती रहीं..। क्योंकि आत्महत्या के प्रयास में एक साल से ज्यादा गिरफ्तार नहीं होती..। जिसके लिए सरकार को यह कदम उठाने पड़े..। 

'शर्मिला' ने इस अनशन में खाना-पीना सब त्याग दिया..। जिसके बाद सरकार ने शर्मिला को जिंदा रखने के लिए अस्पताल में भर्ति करवाया..। अस्पताल में ही 'शर्मिला' के लिए अस्थायी जेल का निर्माण किया गया..। जहां शर्मिला की देख-रेख होने लगी..।   

साल 2014 में 'शर्मिला' को 'आम आदमी पार्टी' ने मणिपुर से लोकसभा चुनाव लड़ने का प्रस्ताव दिया..। जिसे 'शर्मिला' ने ठुकरा दिया..। अभी हाल ही में 'शर्मिला' ने शादी कर एक नई पार्टी का गठन किया..। जिसके माध्यम से इरोम अपने सपनें को पूरा करने में लगी हैं...। 'इरोम' का राजनीति में आने का मकशद मणिपुर में अपनी पार्टी के साथ सरकार बनाना हैं...। 'इरोम' का सपना राज्य की मुख्यमंत्री बनना है...। यह तो वक्त ही बता सकता है...। 'इरोम' राज्य की सीएम बनती है या फिर पूरे जीवन संघर्ष  ही करती रहती है...।  हम उम्मीद करते है 'इरोम' अपने सपनों को हकीकत में बदले और मणिपुर की दशा सुधारे...। आशा करते है...! मणिपुर की जनता 'इरोम' को एक मौका जरूर देगी...। प्रदेश में सरकार बनाने की...?  

    

                                                       संपादक- दीपक कोहली



15 November 2017

मैं भगवा समाजसेवी- 'पूर्णिमा'

             'मेरा कर्म ही मेरी पहचान है, मेरा धर्म ही मेरी पहचान है'।



हमारे देश में अलग-अगल प्रकार के व्यक्तित्व वाले लोग रहते हैं..। कोई अपना कर्म ही अपनी पहचान बना लेता हैं..। तो कोई पहचान को ही अपना कर्म बना लेता हैं..। चाहे वो उत्तराखंड में रहता हो या फिर महाराष्ट्र में क्यों ना रहता हो..। हमारे देश में कई ऐसे लोग हैं...। जो अपना धर्म सिर्फ समाजसेवा मानते हैं..। यानि समाज के लिए जीना और मरना..। इसी कड़ी में आज हम आपके लिए लेके आए हैं...। एक ऐसी महिला की पहचान जो अपना धर्म सिर्फ समाज सेवा समझती है...। 

जी हाँ..। हम बात कर रहे 'पूर्णिमा वर्मा' की...। जो एक भगवा समाजसेवी हैं..। अपने कामों के लिए 'पूर्णिमा' पूरे लखनऊ में जानी जाती है..। 'पूर्णिमा' एक समाजसेवी के साथ-साथ एक कुशल गृहणी और माँँ भी हैं..। जो कहती है...। समाजसेवा ही मेरी असली पहचान हैं...। जब हमने पूर्णिमा वर्मा से बात की....।  तो 'पूर्णिमा' ने बताया कि वो पिछले कई सालों से अपने क्षेत्र में गरीब-निर्धन लोगों की सहायता कर रही हैं..। उन गरीबों के लिए लोगों से पुराने कपड़े, जूतें आदि चीजें जमा करती हैं..। जिन पुरानी चीजों को लोग उपयोग नहीं करते, उन पुरानी चीजों को जमा कर 'पूर्णिमा' गरीब-निर्धन लोगों तक पहुंचती हैं..। इसी कड़ी में हमने 'पूर्णिमा' से कुछ सवालों के जवाब जनाने की कोशश की...। 

आइये जानते है 'पूर्णिमा वर्मा' के साथ हुई बातचीत के कुछ विशेष अंश..। 

सवाल- आप समाजसेवा क्यों करना चाहते हो..? 
जवाब- अपने लिए तो हर कोई जीते हैं..। लेकिन मुझे समाज के लिए जीना बेहद पंसद हैं..। खासकर अपने धर्म के लिए...। मैं अपने धर्म के लोगों की सेवा करना चाहती हूँ..। मैं भगवा वेश में समाज की सेवा करना चाहती हूँ..। मैं एक भगवा समाजसेवी हूँ..।

सवाल- भगवा समाजसेवी...? कहीं आप योगी-मोदी जी को खुश करने की कोशिश तो नहीं कर रहे हैं..? जिससे आपको एक नाम मिल जाए और एक फ्रेम मिल जाए...?  जो आपको राजनीति में आने के लिए चाहिए..?

जवाब- नहीं..! नहीं...! नहीं..! भगवा रंग तो संत समाज को प्रदर्शित करता हैं..। मैं सनातन धर्म को बहुत प्रेम करती हूँ..। इसलिए मैंने भगवाधारी वस्त्र धारण किए हैं..। तो मैं भगवा समाजसेवी हुई...। वैसे मैं सनातन धर्म के लिए काम करना चाहती थी.. और आज कर रही हूँ..। गौ रक्षा, गंगा सफाई, महिला जागरूकता, फैलाना ही हमारा सबसे बड़ा कर्तव्य हैं..। जिस तरह आज महिलाओं पर अत्याचार बढ़ रहे हैं। वो एक चिंता का विषय हैं...। 

सवाल- आज कल संत-बाबा के खुलासे  हो रहे हैं..? इस पर आपके क्या विचार है...?
जवाब-  आप देख सकते है...। जिन बाबाओं का खुलासा हो रहा है। वो कहीं ना कहीं किसी राजनीति पार्टी या फिर मल्टीप्लेस टाइप के हैं..। आज भी वो साधु-संत हैं..। जो हमारे सनातन धर्म की रक्षा कर रहे हैं..। उज्जैन, वाराणसी, इलाहाबाद, हरिद्वार में आज भी हमारे सनातन धर्म के साधु-संत मौजूद है...। मैं उन सभी बाबाओं का विरोध करती हूँ जो नारी का सम्मान नहीं करते हैं..।

सवाल- आप योगी जी को किसी श्रेणी में रखते है..?
जवाब-  मुझे लगता है...!  योगी जी सबसे पहले एक संत है...। उसके बाद वो एक राजनेता हैं...। शायद यही हकीकत भी है..। 

सवाल- आपको नहीं लगता...! जब से प्रदेश में योगी सरकार आई हैं। तब से प्रदेश में हिंदुत्व व भगवाधारियों का एक नया मंच तैयार हो रहा हैं...?  
जवाब- हां..। ये तो है..। जो हमारे हिंदू धर्म के लिए एक अच्छा संकेत कहा जा सकता हैं...। इससे पहले भी कई पार्टियों ने अलग-अलग धर्म के लिए काम किया हैं...। हां..! मैं इतना जरूर कहूंगी...। देशहित सबसे पहले आना चाहिए..। ना कि हिंदुत्व...। हम सबसे पहले एक भारतीय है..। 

सवाल- अभी आपको क्या लगता है..? उत्तर प्रदेश की हालत क्या है...? प्रदेश की दिशा की ओर जा रहा है...? 
जवाब- चाहे प्रदेश में किसी की भी सरकार आ जाए बीजेपी, कांग्रेस, सपा...। जब तब राजनेता राजनीति से हटकर काम नहीं करेगें..। तब तक प्रदेश का विकास होना असंभव है...। हमें पार्टी हित से हटकर राष्ट्रहित में सोचना होगा..। तभी हमारे राष्ट्र और प्रदेश एक अच्छी दिशा की ओर अग्रसर होगा..। अभी हमारा प्रदेश एक अच्छी दिशा में की ओर अग्रसर है...। हमें उम्मीद हैं...कि योगी जी प्रदेश की दशा जरूर बदलेगें...।  

सवाल- आपको क्या लगता है देश में परिवर्तन हो रहा हैं...?
जवाब- जी हाँ...। मेरे अनुसार तो बहुत परिवर्तन हुआ है..। बस सरकार को गांव-देहात क्षेत्रों में विकास करने की जरूरत हैं..। एक सही कदम उठाकर वहां की जनता को सही सुविधा और सही दिशा देने की जरूरत है...। साथ ही किसानों के हित में ठोस और कड़े कदम उठाने की जरूरत है। 

सवाल- आप अपने आप को समाजसेवी कहते है..? आप किस तरह की समाजसेवा करते है..? क्या आप थोड़ा हमें समझाएगें..?   
जवाब- मैं अपने क्षेत्र (गांव) में गरीब-असहाय लोगों के लिए पुराने कपड़े, चप्पल, जूते जमा कर लखनऊ से गांव ले जाती हूं...। फिर वहां उन गरीब लोगों, बच्चों के बांटती हूं..। जिनके पास पहने के लिए कपड़े, जूते नहीं  हैं। मैं खुद एक रोज कमाने-रोज खाने वाली परिवार से हूँ...। जितना मेरे से होता है मैं उतनी उनकी सेवा करती हूँ..। आज भी उत्तरप्रदेश के गांवों का हाल बेहाल हैं..। अगर आपको विश्वास नहीं तो आप मेरे साथ आकर देख सकते हैं...। मैं आपको उन गांवों की हालात दिखा सकती हूँ...। हमारे देश में लोग मंदिरों में हजारों का भंडारा करते हैं...लेकिन गरीब-असहाय लोगों की कोई सहायता नहीं करता..। जो बेहद दुर्भाग्य हैं..। 

सवाल- अगर हमें प्रदेश के किसानों की बात करें तो आपको उनका हालात कैसे नजर आती हैं.. ?
जवाब- राज्य के किसानों की बात करें तो हाल बड़ा ही बेहाल है..। भले ही चाहे प्रदेश सरकार ने ऋण माफ कर किसानों को खुश करने की कोशिश की...। लेकिन आज भी किसानों के पास खाद खरीदने तक के लिए पैसे नहीं है..। जो यह दर्शाता हैं हमारा किसान हमारे लिए अपनी जान तक दे देता हैं..। फिर भी हमारे किसानों को कुछ नहीं मिल पाता हैं...। 

सवाल- आप 'भगवा रक्षा वाहिनी' के साथ जुड़े हैं..? आप इसकी प्रदेश प्रवक्ता भी है...? ऐसे में आपने उन गरीब गांवों के लिए क्या सोचा है और वहां कैसे काम किया जा सकता है...? 
जवाब- जी हाँ..! मैं  'भगवा रक्षा वाहिनी' से जुड़ी हूँ...। मैं  'भगवा रक्षा वाहिनी' की उत्तरप्रदेश की प्रवक्ता भी हूँ..। हमारी वाहिनी हमेशा से गरीब-असहाय लोगों के लिए काम करती आई है...। हमारा पहला कर्तव्य और पहला सपना ही गरीबों की सेवा करना हैं...। हम उन गांवों में जाकर काम कर रहे हैं...।  'भगवा रक्षा वाहिनी' हमेशा गरीब-निर्धन लोगों की सहायता करता रहेगा...।

'जयदीप पत्रिका' के संपादक 'दीपक कोहली ' से बातचीत करने के लिए 'पूर्णिमा वर्मा' जी का तहदिल से धन्यवाद...। 
  
  

                                                       
                                                         रिपोर्ट- दीपक कोहली


 

09 November 2017

*उत्तराखंड की याद*



कवि- दीपक कोहली


उत्तराखंड की याद

पर्वतों का प्रदेश, लहरों का आंगन,
फूलों की घाटी, नदियों का आंचल,
यहीं हमारी जन्मभूमि की पहचान।

हवा की लहरें, फलों की मीठास,
सुंदरता की चमक, वनों का सौन्दर्य,
यहीं हमारी तपोभूमि की पहचान।

खेतों की फसल, आंगन की सब्जी,
धारों में मंदिर, मंदिरों में मूर्तियां,
यहीं हमारी देवभूमि की पहचान।
 
                       कवि- दीपक कोहली 


06 November 2017

* नैनीताल का भगत...! ठेठ पहाड़ी नेता...! 'कोश्यारी'



अगर देवभमि की बात हो...! और नैनीताल के भगत का नाम ना आए...! शायद ही ऐसा हो...! जी हां...! कोश्यारी वो व्यक्ति है...! जिन्होंने अपना पूरा जीवन देवभूमि उत्तराखंड की राजनीति में लगा दिया...! 

भगत सिंह कोश्यारी का जन्म देवभूमि के 'बागेश्वर' जिले के 'पालनधूरा चेतबगढ़' में 17 जून 1942 में हुआ था..। इनकी माता का नाम 'मोतिमा देवी' और पिता का नाम 'गोपाल सिंह कोश्यारी' था...। इनकी प्रारंभिक शिक्षा 'अल्मोड़ा' से हुई थी...। आगरा विश्वविद्यालय से साहित्य में इन्होंने 'आचार्य '
की उपाधि प्राप्त की..। जिसके बाद कोश्यारी आरएसएस से जुड़े..। आपको बता दूं...। कोश्यारी अल्मोड़ा डिग्री कॉलेज में छात्र नेता भी रहे है..। आपने छात्र नेतृत्व के लिए कोश्यारी आज भी अल्मोड़ा कॉलेज  में याद किए जाते है...। 

अगर हम कोश्यारी की बात करें तो कोश्यारी को 'ठेठ पहाड़ी' नेता के नाम से भी जाना जाता है..। वहीं कोश्यारी पहाड़ के लोकप्रिय नेताओं में गिने जाते हैं...। अपने कामों और पहाड़ के प्रति प्रेम कोश्यारी को 'ठेठ' पहाड़ी नेता बनाता है...। कोश्यारी आज भी एक अलग छवि रखने वाले नेताओं में आते है..। अगर कोश्यारी के राजनीति जीवन की बात करें...। तो सबसे पहले भगत सिंह कोश्यारी 'राष्ट्रीय स्वंय सेवक' संघ से जुड़े...। वहीं सन् 1977 में कोश्यारी 'आपातकाल' के दौरा जेल भी गए थे..। जिसके बाद भगत सिंह कोश्यारी राजनीति में सक्रिय हुए...। उत्तराखंड राज्य बनाने में भगत सिंह कोश्यारी का एक अहम रोल रहा..। जिसके बाद भगत सिंह कोश्यारी उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र की राजनीति में बीजेपी की रीढ़ी बनकर उभरें....। सन् 2000 में जब उत्तराखंड की स्थापना हुई तो प्रथम मुख्यमंत्री नित्यानंद स्वामी बनें...। वहीं कोश्यारी को राज्य का ऊर्जा, सिंचाई, कानून मंत्री बनाया गया था...। उस समय कोश्यारी सीएम के दांए हाथ हुआ करते थे...। जिसके बाद 2001 में बीजेपी ने कोश्यारी को राज्य का दूसरा सीएम घोषित किया..। लगभग 6 महीने कोश्यारी प्रदेश के सीएम पद पर विराजमान रहे...। जिसके बाद राज्य में प्रथम विधानसभा चुनाव हुए..।  जिसमें कांग्रेस की जोरदार जीत हुई..। इसी बीच भगत सिंह कोश्यारी को विपक्ष का नेता चुना गया...। कोश्यारी 2002 से 2007 तक उत्तराखंड के विपक्ष नेता रहे...। कोश्यारी को प्रदेश बीजेपी की कमान यानि प्रदेश अध्यक्ष भी बनाया गया..। साल 2007 में एक बार फिर बीजेपी ने जोरदार वापसी करते हुए..। कोश्यारी के नेतृत्व में विधानसभा चुनाव लड़ा...। उस समय कोश्यारी सीएम पद के मजबूत दावेदार थे..। लेकिन केंद्र भाजपा को यह मंजूर नहीं था..। तभी केंद्र भाजपा ने 'भुवन चंद्र खंडूरी' को प्रदेश का सीएम बनाकर कोश्यारी का नेतृत्व नकारा था..। जिसका मलाला कोश्यारी को शायद आज भी होगा..। जिसके बाद कोश्यारी 2008 से 2014 तक उत्तराखंड के राज्यसभा सांसद रहे..। अभी वर्तमान में कोश्यारी नैनीताल-ऊधमसिंहनगर संसदीय क्षेत्र से सांसद है...। कोश्यारी का राजनीति जीवन एक 'ठेठ पहाड़ी' राजनेता के तौर पर याद किया जाता हैं..। हम उम्मीद करते हैं...। कोश्यारी अपने संसदीय क्षेत्र को सर्वपूर्ण विकसित बनाएगें..। अपने राजनीति जीवन को एक नई ऊर्जा के साथ एक नई ऊंचाई देगें..। वैसे पहाड़ इस  'ठेठ पहाड़ी' राजनेता को कभी नहीं भूलेगा....। जिसने पहाड़ को एक नई मंजिल दी...।  



                                                  संपादक- दीपक कोहली




27 October 2017

*प्रज्ञा रक्त रक्षक*



हमारी शक्ति- हमारा ताकत-हमारा रक्त ही हमारी पहचान है..। इसमें कोई दो राय नहीं की हमारी पहचान हमारे रक्त से होती है...। जी हां...। हर व्यकित का रक्त ग्रुप अलग -अलग होता हैं..। चाहे वह स्त्री हो या फिर पुरूष...। आज जिस तरह लगातार बीमारियां बढ़ रही हैं..। उसे देखते हुए देश में कई ब्लड बैंक बनें हैं...। आजकल की दुनियां में हादसे होना कोई बड़ी बात नहीं रह गई है...। हर दिन पूरे देश में कई हादसे होते है..और कई लोग मरते है...। इसी को देखते हुए...। दिल्ली के निवासी हरीश बहुगुणा जी ने एक रक्त समूह की स्थापना की..। जिसका नाम प्रज्ञा रक्त रक्षक रखा गया...। इस समूह में कई राज्यों के लोग जुड़े हुए है..। यह समूह हिंदू रक्त - हिंदू हेतु पर काम करता है...। इस समूह को गठित करने वाले श्री हरीश बहुगुणा जी है..। जो काफी सालों से इस विषय पर सोच रहे थे..। हरीश जी ने इस पर तेजी से काम करते हुए..। इसे आज आठ राज्यों तक पहुंचा दिया हैं...। जिसमें इस समूह के लोग अपना काम कर रहे है..और लोग तक रक्त की सेवा दे रहे है..।


हरीश बहुगुणा


वैसे हरीश बहुगुणा को यह आइडिया बहुत पहले आया था...। जब उन्होंने देखा की बहुत लोग ब्लड बैंकों में धक्का खाते है..। जिसके बाद बहुगुणा जी ने इस पर विचार किया और तेजी से इस यहां तक पहुंचाया..। आज हमारे देश में भाई-भतीजा वाद और भष्टाचार इतना बढ़ा चुका है..कि ब्लड बैंकों में भी उन्हीं को ब्लड मिलता हैं...। जिनके कोई जानने वाले होते है या फिर जिनके पास पैसा होता हैं...।  यह समूह दूर-दराज से आए लोगों के लिए और मजबूर लोगों की सहायता के लिए ही स्थापित किया गया हैं...। इस समूह में मात्र एक फोन कॉल और एक व्ट्सअप मैसेज या फोन मैसेज करने से रक्त की व्यवस्था हो सकती है..। चाहे फिर वो जरूरतमंद देवभूमि में हो या फिर दिल्ली के अस्पतालों में..। बस हां...वो हिंदू होना चाहिए...। यह समूह मूलरूप से हिंदू धर्म के लोगों के लिए ही काम करता है...।  इस समूह का मूल मंत्र ही 'हिंदू रक्त हिंदू हेतु' है..।
अगर आप रक्तदान और अंगदान करने वालों के आकंडे़ देखेंगे तो अधिकतर इसमें हिंदू समाज के लोग ज्यादा होगें..। हिंदू समाज पहले से ही एक पवित्र समाज के तौर पर जाना जाता है..। इसी को देखते हुए हिंदू समाज के लिए हरीश बहुगुणा जी ने प्रज्ञा रक्त रक्षक सेवा शुरू की है...। इस मुहिम के जरिए...। पीड़ित या जरूरतमंद को अगर रक्त की जरूरत हो...। तो प्रज्ञा रक्त रक्षक उसे रक्त उपलब्ध करने में मदद करता है..। 'प्रज्ञा रक्त रक्षक' सोशल मीडिया के माध्यम से हर जरूरतमंद हिंदू के लिए हर समय सेवा के लिए तत्पर है..। 'प्रज्ञा रक्त रक्षक' अभी दिल्ली सहित आठ-दस राज्यों में अपनी सेवा प्रदान कर रहा है..। जिससे आगे उम्मीद है कि 'प्रज्ञा रक्त रक्षक' पूरे भारत में अपने सेवा प्रदान करेगा..। आपको हम बता दें ..। इसकी संचालन की क्या व्यवस्था है..। 'प्रज्ञा रक्त रक्षक' पूर्ण रूप से नि:शुल्क सेवा प्रदान करती है..। उन सभी मित्रों से निवेदन हैं जो 'प्रज्ञा रक्त रक्षक' के माध्यम से हिंदू जन सेवा करना चाहते है...। 'प्रज्ञा रक्त रक्षक' का प्रयास संपूर्ण भारत में सुगम तरीके से रक्त उपलब्ध हो..।  जिससे स्वस्थ भारत का निर्माण हो..।
'प्रज्ञा रक्त रक्षक' सेवा हेल्पलाइन नम्बर- 9811469908

अगर आप भी 'प्रज्ञा रक्त रक्षक' से जुड़ना चाहते है...। तो 'प्रज्ञा रक्त रक्षक' से संपर्क करें..।
मो. न.- 9811469908
https://www.facebook.com/groups/115627842465337/
https://www.facebook.com/groups/532797287068062/



                                                                                                    रिपोर्ट- दीपक कोहली



24 October 2017

*आंगन*










आंगन खिल उठता जब बेटी घर मे आती है,
आते ही माँ की लाडली बन जाती है...।

घर की इज़्ज़त कहलाती है,

जब जब बेटी पढ़ने जाती ,
पिता की आंखे भर आती...।

पढ़ते ही जब वापस आती,
माँ को सारा हाल बताती।
भाई भी खुश हो जाता है,
हर पल बहन की खुशी मनाता है...।

बेटी बड़ी जब हो जाती है,
पिता को शादी की चिन्ता हो जाती है...।

माँ को नींद नही आती है,
भाई की भी आंखे सोच सोच भर आती है..।

शादी जब हो जाती है,
बेटी डोली में जाती है...।

सभी की आंखे भर आती है,
पहले पिता के घर की लक्ष्मी थी,
अब ससुराल के घर की लक्ष्मी है...।

बेटी भी चिड़िया की तरह बन जाती है,
फिर पिता के घर से 
ससुराल के लिए उड़ जाती है...।

पहले पिता के घर की इज़्ज़त थी,
अब ससुराल की इज़्ज़त बन जाती है...।

धन्य है वो मात पिता जिनके 
आंगन में बेटी आती है...।

बेटी कभी परायी नही होती,
ये तो दोनों घर का दीया जलाती है...।

ओर फिर हर पल, हर त्यौहार पर ,
दोनों घर के लिए खुशियां मनाती है...।
                     



                                                                                 कवि- अमन वशिष्ठ




* सत्य वचन...!





पृथ्वी पर प्रकाश पड़ा सूर्य देव 
का, तो संसार झूम उठा..।

और जब होने लगा, चन्द्रग्रहण 
तो अंधकार उमड़ उठा..।

न जाने मनुष्य किस
बात से इतना विचलित है..।

अरे संसार तो प्रभु श्री राम का था, 
अब तो फिर से अंधकार हो चला..।

हाथ की लकीरें बता देती, 
जीवन भर की सच्चाई...।

अब तो खुद अपने हाथ से
मनुष्य अपना ही घर बसाने चला..।

मत करना बेर किसी से,
ये दुनिया एक बहाना है...।

कल सब आये थे, एक दिन 
कल ही सबको जाना है..।

बुरा लगे किसी की बात का,
तो खुद से बेर मत कर लेना।

उसको मित्र कहकर खुद को 
समझा लेना....।

               कवि- अमन वशिष्ठ

09 October 2017

* सड़क सुरक्षा *




सड़क सुरक्षा


तुम हैल्मेट पहन के जाओगे,तो क्या घट जायेगा!
 मेरे सजना रूल ट्रैफिक के ये कौन निभाएगा
कहना मानो राजा ज़ी रिश्ता तब ही निभ पायेगा!
मेरे सजना रूल ट्रैफिक के ये कौन निभाएगा।

सुना है मैने लापरवाही , हद से कर जाते है!
कितने घरोँ के दीपक ऐसे सडकों पे बुझ जाते है!
महंगी जाती है जल्दी ,जो भी कर जायेगा!
मेरे सजना रूल ट्रैफिक के ये कौन निभाएगा।

चुड़ी और सिन्दुर मुझको प्राणो से भी प्यारे है!
रखना हरदम याद हमें दिन इंतजार में गुजारे है!
देखेगें तब तक रस्ता,जब तक तु न आएगा!
मेरे सजना ट्रैफिक के ये कौन निभाएगा।

हर जगह है नाका बन्दी,हर जगह पर पुलिस खड़ी!
सड़क सुरक्षा जिम्मेदारी हम सब की है हर घड़ी!
जागो और जगाओ फिर वक्त न हाथ में आएगा!
मेरे सजना रूल ट्रैफिक के ये कौन निभाएगा।

हाथ जोड़कर विनती है रूल ट्रैफिक मत तोड़ो!
जिन्दगी मिली है एक बार तुम इससे मत तोड़ो!
कहे सुमन घमण्ड न करना मिट्टी में मिल जायेगा!
मेरे सजना रूल ट्रैफिक के ये कौन निभाएगा

                                                                 


                                     (सुमन जांगड़ा हांसी हिसार)


07 October 2017

* जिंदगी के मोड़ पर *



बालों में चांदी
दांतों में सोना आ गया
उम्र के इस पड़ाव में

तू साया बन मिल गया
शिकायत खुद से करूँ 
या करूँ रब से
तुझ बिन साथी मैं
तन्हा थी न जाने कब से
तेरी ताप न मिली तो क्या
तेरी छांव ही सही
कुछ तो मिला सार्थक
इस निर्रथक जीवन में
अंतस के रसातल में
ग़मों का कारोबार था
फैला हर तरफ 
आंसुओं का बाजार था
खारे अश्कों का वृहद् 
समंदर था जिसने
कभी डूबने भी न दिया
शायद इसलिए ही कि
मिलना तय था तुमसे
जीवन के अंतिम मोड़ पर


                                                                आरती लोहनी

"करवा चौथ "




सासु माँ बडे प्यार से बोली
बहू करवा चौथ है कल
पति की लंबी उम्र के लिए
व्रत करना
बहू ने सिर झुका कर कहा
जी माँ जी
ओर चल दी अपने कमरे की ओर
बंद कमरे में जाकर सोचने लगी
रोज रोज की यातना
जिस्म को नोचता जानवर
बात बात पर गालियाँ
देता
शराब की दुर्गन्ध को
 बिखेरता सेज पर रात भर
साल भर नोचता खसोटता
फिर भी व्रत रखे उसके लिए
क्योकी वो पति है
ओर पति परमेश्वर माना जाता है
पत्नी के अरमानो को
कुचलता वो
अपने पुरुष होने पर गर्वित होकर
लहू लुहान कर देता
पत्नी की हर इच्छा को
दिखावे की खातिर फ़िर
क्युँ रखे करवा चौथ
आंखो में भरकर आँसु वो
कमरे से बाहर निकल आयी
सासु माँ से बोली
माँ व्रत करूँगी लंबी उम्र के लिय नही
जुल्मो से
छुटकारा पाने के लिए
पति रुप में हैवान पाकर
कैसे उसकी लंबी उम्र की कामना करू
बोलो तो माँ जावब दो माँ
सास बहू के सामने निरुतर हो गयी




                                                                                रामेश्वरी नादान


* प्रेम *




प्रेम अब एफ.बी  पर दिखता है
अहसास वटसप पर चलता है
व्यस्त सब अपनी अपनी दुनिया में
अनजाना भी पहचाना सा लगता है।।

विश्वास लाइक कमेंट में बिकता है
कोई तन्हा है, कोई अकेला हँसता है
गुरूप गुरूप के खेल में
कोई गिरता कोई संभलता है।।

अपनो के लिए वक्त नहीं निकलता है
गैरो से अटूट बना रिश्ता है
चार दीवारो से बना मकान
घर सा नहीं लगता है।।

डी.पी पर प्यार छलकता है
सैल्फी का नशा सिर चढता है
साथ बैठा पूरा परिवार
परिवार सा नहीं दिखता है 
परिवार सा नहीं दिखता है।।




                                                                    कवियात्री- रामेश्वरी नादान


05 October 2017

# एक कदम स्वच्छता की और...!


 
हम सबकी हो सांझेदारी
मीलों तक हो नहीं बीमारी
देखा हमने सपना प्यारा,
भारत देश हो स्वच्छ हमारा...।

साफ़ सुथरे हो स्कूल विद्यालय
जहा सोच हो वही शौचालय
हर घर में गूँजे ये नारा
भारत देश हो स्वच्छ हमारा..।

हम निभाएं सब जिम्मेदारी
पेड़-पौधे और बगिया क्यारी
महक उठे ये गुलशन सारा
भारत देश हो स्वच्छ हमारा....।

गाँधी जी का था ये सपना,
स्वर्ग से सुन्दर भारत अपना,
इनका सिदांत है सबसे न्यारा
भारत देश हो स्वच्छ हमारा....।

      
                                                   ( सुमन जांगड़ा)

* सयाली छंद- करवा चौथ

गुंजन गुप्ता


करवाचौथ
पूजन को
सजी है थाल
बनाई है
चौक  ॥

दो 
वरदान माता
सुखी रहे जीवन
अमर हो
सुहाग  ॥


सजाये
हैं  हाथ
मेहँदी से मैंने
तुम्हारे प्यार
 में  ॥

 करके
सोलह श्रृंगार
उतारूँ आरती तुम्हारी
जनम-जनम
सजना  ॥

तुमको
 निहारती हूँ
चाँद में  प्रिय
उपवास तोड़ने
को  ॥

चाँद
सा शीतल
बने हमारा प्रेम
चहुँ ओर
 चमके  ॥

 करूँ
पूजन मैं
बढ़े आयु तुम्हारी
प्रार्थना है
हमारी  ॥

                                                गुंजन गुप्ता
                                                प्रतापगढ़ (उ.प्र.)



04 October 2017

* हरिद्वार का रमेश- 'निशंक'

जब उत्तराखंड की बात हो और 'निशंक' का नाम ना हो...ऐसा हो ही नहीं सकता..। देवभूमि के भूतपूर्व सीएम रमेश पोखरियाल 'निशंक' की हकीकत और हैसियत क्या है...? हम आपको बताएगें 'निशंक' की पूरी कहानी...। एक शिक्षक से कैसे एक राजनेता बने 'निशंक'...। हर बिंदु से होगी हमारी जांच - पड़ताल...। 




जी हाँ...! हर हकीकत से रूबरू कराएगें..। आपको...! आपको हर वो हकीकत बताएगें...। जो आपने कभी ना देखी होगीं और ना ही कभी सुनी होगीं...। चलिए आपको कराते  है...। 'निशंक'  की हकीकत से वाकिफ...।

'निशंक' का जन्म 15 अगस्त 1958 में पौड़ी जिले के चौकट्टाखाल तहसील के 'पिनानी' गांव के एक सामान्य परिवार में हुआ...। इनका जीवन बहुत ही संघर्षमय रहा..। संघर्षमय जीवन के बावजूद इन्होंने अपनी पढ़ाई पूरी की...। इनके पिता श्री 'प्रेमानंद पोखरियाल' एक सामान्य व्यक्ति थे...। इनकी माता श्रीमती 'विशम्भरी देवी' एक कुशल गृहणी थी...। अगर इनकी जीवन संगिनी की बात करें तो 'कुसुमकांत पोखरियाल' इनकी धर्मपत्नी है...। 'निशंक' को बचपन से ही पाठन-लेखन का बहुत ही शौक हुआ करता था...। इन्होंने हिंदी साहित्य में कई विधाएं लिखी है..। चाहे फिर वो कविताएं हो या फिर उपन्यास हो...। 'निशंक' ने कई साहित्य संग्रह लिखे है...।  


'निशंक' की पढाई की बात करें तो इनकी पढ़ाई हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय से हुई...। इन्होंने कला से 'स्नातकोत्तर' और 'पीएचडी', 'डी लिट' की डिग्री प्राप्त की है..। आपको बता दूं...! 'रमेश पोखरियाल' उत्तराखंड के पांचवें सीएम भी रह चुकें है..। 'निशंक' उत्तराखंड बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं में गिने जाते हैं...। रमेश जितने परिपक्व राजनेता है...। उतने ही सरल - शोभित हिंदी साहित्यकार भी है...। अगर इनकी राजनीति जीवन की बात करें तो...। सन् 1991 में इन्होंने राजनीति में कदम रखा...। जिसमें इन्होंने पहली बार उत्तरप्रदेश विधानसभा के लिए कर्णप्रयाग से चुनाव लड़ा था...। 'निशंक' कभी भी राजनीति में नहीं आना चाहते थे...। राजनीति में आने से पहले 'निशंक' एक शिक्षक की भूमिका निभाया करते थे...। 'निशंक' की पहली किताब 'समर्पण' थी..। जो सन् 1982-83 में प्रकाशित हुई थी...। तब 'निशंक' जोशीमठ के एक शिशुमंदिर में प्रधानाचार्य हुआ करते थे..। आज एक सांसद या एक राजनेता हुआ करते है..। 1991 से 2012 तक 'निशंक' पांच बार विधानसभा में विधायक रहे है...। इनके उत्कृष्ट कामों के लिए इन्हें कई बार सम्मानित भी किया जा चुका है...। 27 जून 2009 से 11 सितम्बर 2012 तक 'निशंक' देवभूमि के सीएम या मुख्यमंत्री भी रह चुके है..। 2002 में उत्तराखंड के थालिसियां निर्वाचन क्षेत्र से 'निशंक' ने विधानसभा चुनाव लड़ा..। जिसमें 'निशंक' की करारी हार हुई..या कहे 'निशंक' के हार का सामना करना पड़ा...। 'निशंक' उत्तराखंड बनने से भी पहले उत्तरप्रदेश की राजनीति में अहम रोल में निभाया करते थे..। चाहे फिर उत्तराखंड निर्माण में सक्रिय भूमिका की ही बात क्यों ना हो...। रमेश पोखरियाल 'निशंक' का हरिद्वार और ऊधमसिंह नगर को उत्तरप्रदेश से उत्तराखंड में मिलाने में एक अहम योगदान रहा है...। 

'निशंक' एक राजनीतिज्ञ के साथ-साथ एक हिन्दी साहित्यकार भी है...। जिन्होंने अब तक कई कविताएं, उपन्यास, लिखें हैं...। वहीं आज इनकी साहित्य रचनाओं पर शोध भी हो रहा है...। 'निशंक' पिछले 25 सालों से पत्रकारिता से भी जुड़े हुए है...। जिसमें 'नई चेतना, नई राह - नई चेतना' जैसे कई पत्र-पत्रिकाओं का संपादन कर रहे हैं...। 'निशंक' 'दैनिक सीमांत वार्ता' पत्रिका से पिछले कई सालों से जुड़े है...। वहीं वर्तमान में 'निशंक' लगभग दो दर्जन से अधिक साहित्यक, सामाजिक,  सांस्कृतिक संस्थाओं से भी जुड़े हुए है..। 

'देश हम जलनें ने देंगे' कृति के लिए राष्ट्रपति श्री ज्ञानी जैल सिंह द्वारा सम्मानित किए गए...। वहीं 'मातृभूमि के लिए' कृति हेतु राष्ट्रपति डॉ. शंकर दयाल शर्मा, 'ऐ वतन तेरे लिए' कृति के लिए डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम द्वारा 'साहित्य गौरव' से सम्मानित किया गया...। 

'खड़े हुए प्रश्न' कृति के लिए भूतपूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी द्वारा 'साहित्य भारती' पुरस्कार से सम्मान करना..। 'हिमालय रक्षा मंच' द्वारा 'हिमपुत्र' पुरस्कार से सम्मानित किया गया...। वहीं भारत अंतर्राष्ट्रीय मैत्री समिति द्वारा 'भारत गौरव सम्मान- 2007' भी दिया गया..। उत्तराखंड उत्थान समिति द्वारा 'गढ़ रत्न' और हिमालय लोक कला संस्थान द्वारा 'साहित्य भूषण' पुरस्कार से सम्मानित किया गया...। इसके अतिरिक्त देश-विदेश में स्थित 300 से अधिक सामाजिक, सांस्कृतिक और साहित्यिक संस्थाओं द्वारा कई बार 'निशंक' को सम्मानित किया जा चुका है..। कई कविता संग्रह और कथा संग्रह अभी तक प्रकाशित हो चुके है...। वर्तमान में 'निशंक' बीजेपी से हरकी की पौड़ी 'हरिद्वार' से सांसद है...। 'निशंक' अपने आप में एक महान राजनेता के साथ-साथ एक अच्छे अध्यापक और कवि भी है...। हम कामना करते है..। 'निशंक' ऐसे ही राजनीति में अपना दम दिखते रहे और देवभूमि को एक नये आयाम तक ले जाए....।   


                                                     रिपोर्ट- दीपक कोहली



03 October 2017

* महान अर्थशास्त्रीय 'डॉ. मनमोहन'

जब-जब हमारे देश की अर्थव्यवस्था की बात होती है...। डॉ. मनमोहन सिंह का नाम तब-तब सबसे आगे आता है..। देश के 13वें प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह अपनी योग्यता के लिए पूरे विश्व में विख्यात है...। चाहे फिर यूएन में सेवा देने की बात हो या फिर देश की अर्थव्यवस्था को एक नया आयाम देने की बात हो...। हर मोड़ पर डॉ. मनमोहन देश के काम आए है...। 




डॉ. मनमोहन सिंह का जन्म 26 सितम्बर 1923 में पंजाब प्रांत में हुआ..। इनके पिता का नाम 'गुरूमुख सिंह' तो वहीं माता का नाम 'अमृत कौर' था..। डॉ. सिंह के परिवार में उनकी पत्नी 'गुरशरण कौर' और उनकी तीन बेटियां हैं...। वैसे ये पाकिस्तान प्रांत पंजाब में रहते थे..। विभाजन के समय इनके पिता भारत चले आए...। पंजाब विश्वविद्यालय से डॉ. मनमोहन ने स्नातक और स्नातकोत्तर की पढ़ाई की..। जिसके बाद डॉ. मनमोहन पढ़ाई के लिए कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय गए..। जहां से डॉ. मनमोहन ने पीएचडी की पढ़ाई की...। उसके बाद डॉ. सिंह आक्सफोर्ड विश्वविद्यालय गए..। जहां से डॉ. सिंह ने डी. फिल की डिग्री प्राप्त की...। जिसके बाद डॉ. सिंह ने पंजाब विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र के अध्यापक के रूप में काम करना शुरू कर दिया...। कुछ समय बाद डॉ. सिंह दिल्ली चले आए...। जहां डॉ. सिंह ने प्रतिष्ठित 'दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स' विद्यालय में प्राध्यापक पदभार पर कार्य किया..। इसी बीच डॉ. सिंह 'संयुक्त राष्ट्र व्यापार और विकास सम्मेलन'  के सचिवालय में सलाहकार चुने गए...।

सन् 1987 से 1990 तक डॉ. सिंह 'जेनेवा' 'साउथ कमीशन' के सचिव भी चुने गए..। वहीं सन् 1971 में मनमोहन 'भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय' में बतौर आर्थिक सलाहकार भी रहे...। इसके तुरंत बाद डॉ. सिंह को 'वित्त मंत्रालय' का मुख्य आर्थिक सलाहकार बनाया गया..। वहीं कुछ वर्षों बाद डॉ. मनमोहन 'योजना आयोग' के उपाध्यक्ष और 'आरबीआई' (भारतीय रिजर्व बैंक) के गवर्नर भी बनाया गया...। डॉ. सिंह प्रधानमंत्री के 'आर्थिक सलाहकार' और 'विश्वविद्यालय अनुदान आयोग' के भी अध्यक्ष रहे हैं...। देश के इतिहास में सबसे बड़ा मोड़ तब आया जब डॉ. सिंह सन् 1991 से 1996 तक 'वित्त मंत्री' रहे..। जिस पद पर रहकर डॉ. सिंह देश की आर्थिक स्थिति सुधार डाली...। डॉ. सिंह को देश का आर्थिक सुधारों का 'प्रणेता' भी माना जाता है..। आम जनता डॉ. सिंह को 'मौन प्रधानमंत्री' के तौर पर याद करती है..। डॉ. सिंह अपने स्वभाव के लिए पूरे विश्व में लोक प्रसिद्ध है..। डॉ सिंह ने 'अतंर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष' और 'एशियाई विकास बैंक' के लिए काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है..। जिसके लिए उन्हें आज भी याद किया जाता है...। डॉ. सिंह एकमात्र ऐसे व्यक्ति है जिन्होंने कई राष्ट्रीय और अतंर्राष्ट्रीय संगठनों में देश का प्रतिनिधित्व किया है..।


आइए एक नज़र डॉ. सिंह के जीवन उपाधि पर डालते है..। 

  • 1957 से 1965 तक चंडीगढ़ में स्थित पंजाब विश्वविद्यालय में अध्यापक रहे।
  • 1969 से 1971 तक दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के प्रोफेसर रहे...। 
  • 1976 में दिल्ली के जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के मानद प्रोफेसर रहे।
  • 1982 से 1985 तक भारतीय रिज़र्व बैंक के गवर्नर रहे..।
  • 1985 से1987 तक योजना आयोग के उपाध्यक्ष रहे...। 
  • 1990 से 1991 तक भारतीय प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार रहे..।
  • 1991 में प्रधानमंत्री नरसिंहराव के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार में वित्त मंत्री रहे..।
  • 1991 में पहली बार असम से राज्यसभा सदस्य रहे..।
  • 1994 में दूसरी बार राज्यसभा सदस्य रहे..।
  • 1996 में दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में मानद प्रोफेसर रहे..।
  • 1999 में पहली बार (दक्षिण दिल्ली) लोकसभा चुनाव लड़ा और हार गए..। 
  • 2001 में तीसरी बार राज्यसभा सदस्य और सदन में विपक्ष नेता रहे..।
  • 2004 में देश के 13वें प्रधानमंत्री बने..।
  • 2009 में लगातार दूसरी बार प्रधानमंत्री बने..।


आइए एक नज़र डॉ. सिंह के सम्मान एवं पुरस्कारों में डालते है..।

  • 1987 में डॉ. सिंह को 'पद्य विभूषण' से सम्मानित किया गया..। 
  • 2002 में 'सर्वश्रेष्ठ सांसद' पुरस्कार से सम्मानित किया गया..।
  • 1994 में 'इंडियन साइंस कांग्रेस' का जवाहरलाल नेहरू पुरस्कार1993 और 1994 में 'एशिया मनी अवार्ड फॉर फाइनेंस मिनिस्टर ऑफ द ईयर' पुरस्कार से सम्मानित किया गया...।
  • 1994 में 'यूरो मनी अवार्ड फॉर द फाइनेंस मिनिस्टर ऑफ द ईयर' से सम्मानित किया गया...।
  • 1956 में कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय ने 'ए़डम स्मिथ पुरस्कार' से सम्मानिक किया...।  

डॉ. सिंह ने आर्थिक उदारीकरण को आर्थिक उपचार के रूप में प्रस्तुत किया...। जिससे भारतीय अर्थव्यवस्था को विश्व के बाजार से जोड़ा गया..। जिससे आयात और निर्यात करना बहुत ही सरल हो गया...। जिसका लाभ आज हमारे देश को मिल रहा है..।  जब हमारी देश की नई अर्थव्यवस्था घुटने टेक रही थी... तब डॉ. सिंह ने ही हमारी देश की अर्थव्यवस्था को एक नया आयाम के साथ मजबूत जोड़ भी दिया...। पंडित नेहरू के बाद मनमोहन एक मात्र ऐसे प्रधानमंत्री है...जिन्होंने अपना पहला कार्यकाल पूरा कर दूसरा कार्यकाल भी पूर्ण रूप से पूरा किया...। 'मनमोहन' को एक महान अर्थशास्त्री के रूप में पूरे विश्व में पहचाना जाता है..। इन्हें देश का मन भी कहा जाता है..। ये देश के महान अर्थशास्त्रियोंं में गिने जाते हैं...।  

                                                       संपादक- दीपक कोहली