साहित्य चक्र

24 October 2017

* सत्य वचन...!





पृथ्वी पर प्रकाश पड़ा सूर्य देव 
का, तो संसार झूम उठा..।

और जब होने लगा, चन्द्रग्रहण 
तो अंधकार उमड़ उठा..।

न जाने मनुष्य किस
बात से इतना विचलित है..।

अरे संसार तो प्रभु श्री राम का था, 
अब तो फिर से अंधकार हो चला..।

हाथ की लकीरें बता देती, 
जीवन भर की सच्चाई...।

अब तो खुद अपने हाथ से
मनुष्य अपना ही घर बसाने चला..।

मत करना बेर किसी से,
ये दुनिया एक बहाना है...।

कल सब आये थे, एक दिन 
कल ही सबको जाना है..।

बुरा लगे किसी की बात का,
तो खुद से बेर मत कर लेना।

उसको मित्र कहकर खुद को 
समझा लेना....।

               कवि- अमन वशिष्ठ

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