आयो रे आयो...!
आयो बंसत आयो..।
बदली सी ऋतु लायो..।।
प्रेम की गंगा, फूलों की सुंगध
हरियाली छाने लगी है..।
आयो आयो बंसत ऋतु आयो..।।
कलियों की मुस्कान, भवरों की उड़ान
चिड़ियों की चहक आने लगी है।
आयो बंसत ऋतु आयो..।।
दिलों का प्यार, मिलन की आश
होली आने लगी है..।
आयो बंसत ऋतु आयो..।।
आयो बंसत, आयो..।
बदली सी ऋतु लायो..।।
कवि- दीपक कोहली
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