साहित्य चक्र

15 November 2017

मैं भगवा समाजसेवी- 'पूर्णिमा'

             'मेरा कर्म ही मेरी पहचान है, मेरा धर्म ही मेरी पहचान है'।



हमारे देश में अलग-अगल प्रकार के व्यक्तित्व वाले लोग रहते हैं..। कोई अपना कर्म ही अपनी पहचान बना लेता हैं..। तो कोई पहचान को ही अपना कर्म बना लेता हैं..। चाहे वो उत्तराखंड में रहता हो या फिर महाराष्ट्र में क्यों ना रहता हो..। हमारे देश में कई ऐसे लोग हैं...। जो अपना धर्म सिर्फ समाजसेवा मानते हैं..। यानि समाज के लिए जीना और मरना..। इसी कड़ी में आज हम आपके लिए लेके आए हैं...। एक ऐसी महिला की पहचान जो अपना धर्म सिर्फ समाज सेवा समझती है...। 

जी हाँ..। हम बात कर रहे 'पूर्णिमा वर्मा' की...। जो एक भगवा समाजसेवी हैं..। अपने कामों के लिए 'पूर्णिमा' पूरे लखनऊ में जानी जाती है..। 'पूर्णिमा' एक समाजसेवी के साथ-साथ एक कुशल गृहणी और माँँ भी हैं..। जो कहती है...। समाजसेवा ही मेरी असली पहचान हैं...। जब हमने पूर्णिमा वर्मा से बात की....।  तो 'पूर्णिमा' ने बताया कि वो पिछले कई सालों से अपने क्षेत्र में गरीब-निर्धन लोगों की सहायता कर रही हैं..। उन गरीबों के लिए लोगों से पुराने कपड़े, जूतें आदि चीजें जमा करती हैं..। जिन पुरानी चीजों को लोग उपयोग नहीं करते, उन पुरानी चीजों को जमा कर 'पूर्णिमा' गरीब-निर्धन लोगों तक पहुंचती हैं..। इसी कड़ी में हमने 'पूर्णिमा' से कुछ सवालों के जवाब जनाने की कोशश की...। 

आइये जानते है 'पूर्णिमा वर्मा' के साथ हुई बातचीत के कुछ विशेष अंश..। 

सवाल- आप समाजसेवा क्यों करना चाहते हो..? 
जवाब- अपने लिए तो हर कोई जीते हैं..। लेकिन मुझे समाज के लिए जीना बेहद पंसद हैं..। खासकर अपने धर्म के लिए...। मैं अपने धर्म के लोगों की सेवा करना चाहती हूँ..। मैं भगवा वेश में समाज की सेवा करना चाहती हूँ..। मैं एक भगवा समाजसेवी हूँ..।

सवाल- भगवा समाजसेवी...? कहीं आप योगी-मोदी जी को खुश करने की कोशिश तो नहीं कर रहे हैं..? जिससे आपको एक नाम मिल जाए और एक फ्रेम मिल जाए...?  जो आपको राजनीति में आने के लिए चाहिए..?

जवाब- नहीं..! नहीं...! नहीं..! भगवा रंग तो संत समाज को प्रदर्शित करता हैं..। मैं सनातन धर्म को बहुत प्रेम करती हूँ..। इसलिए मैंने भगवाधारी वस्त्र धारण किए हैं..। तो मैं भगवा समाजसेवी हुई...। वैसे मैं सनातन धर्म के लिए काम करना चाहती थी.. और आज कर रही हूँ..। गौ रक्षा, गंगा सफाई, महिला जागरूकता, फैलाना ही हमारा सबसे बड़ा कर्तव्य हैं..। जिस तरह आज महिलाओं पर अत्याचार बढ़ रहे हैं। वो एक चिंता का विषय हैं...। 

सवाल- आज कल संत-बाबा के खुलासे  हो रहे हैं..? इस पर आपके क्या विचार है...?
जवाब-  आप देख सकते है...। जिन बाबाओं का खुलासा हो रहा है। वो कहीं ना कहीं किसी राजनीति पार्टी या फिर मल्टीप्लेस टाइप के हैं..। आज भी वो साधु-संत हैं..। जो हमारे सनातन धर्म की रक्षा कर रहे हैं..। उज्जैन, वाराणसी, इलाहाबाद, हरिद्वार में आज भी हमारे सनातन धर्म के साधु-संत मौजूद है...। मैं उन सभी बाबाओं का विरोध करती हूँ जो नारी का सम्मान नहीं करते हैं..।

सवाल- आप योगी जी को किसी श्रेणी में रखते है..?
जवाब-  मुझे लगता है...!  योगी जी सबसे पहले एक संत है...। उसके बाद वो एक राजनेता हैं...। शायद यही हकीकत भी है..। 

सवाल- आपको नहीं लगता...! जब से प्रदेश में योगी सरकार आई हैं। तब से प्रदेश में हिंदुत्व व भगवाधारियों का एक नया मंच तैयार हो रहा हैं...?  
जवाब- हां..। ये तो है..। जो हमारे हिंदू धर्म के लिए एक अच्छा संकेत कहा जा सकता हैं...। इससे पहले भी कई पार्टियों ने अलग-अलग धर्म के लिए काम किया हैं...। हां..! मैं इतना जरूर कहूंगी...। देशहित सबसे पहले आना चाहिए..। ना कि हिंदुत्व...। हम सबसे पहले एक भारतीय है..। 

सवाल- अभी आपको क्या लगता है..? उत्तर प्रदेश की हालत क्या है...? प्रदेश की दिशा की ओर जा रहा है...? 
जवाब- चाहे प्रदेश में किसी की भी सरकार आ जाए बीजेपी, कांग्रेस, सपा...। जब तब राजनेता राजनीति से हटकर काम नहीं करेगें..। तब तक प्रदेश का विकास होना असंभव है...। हमें पार्टी हित से हटकर राष्ट्रहित में सोचना होगा..। तभी हमारे राष्ट्र और प्रदेश एक अच्छी दिशा की ओर अग्रसर होगा..। अभी हमारा प्रदेश एक अच्छी दिशा में की ओर अग्रसर है...। हमें उम्मीद हैं...कि योगी जी प्रदेश की दशा जरूर बदलेगें...।  

सवाल- आपको क्या लगता है देश में परिवर्तन हो रहा हैं...?
जवाब- जी हाँ...। मेरे अनुसार तो बहुत परिवर्तन हुआ है..। बस सरकार को गांव-देहात क्षेत्रों में विकास करने की जरूरत हैं..। एक सही कदम उठाकर वहां की जनता को सही सुविधा और सही दिशा देने की जरूरत है...। साथ ही किसानों के हित में ठोस और कड़े कदम उठाने की जरूरत है। 

सवाल- आप अपने आप को समाजसेवी कहते है..? आप किस तरह की समाजसेवा करते है..? क्या आप थोड़ा हमें समझाएगें..?   
जवाब- मैं अपने क्षेत्र (गांव) में गरीब-असहाय लोगों के लिए पुराने कपड़े, चप्पल, जूते जमा कर लखनऊ से गांव ले जाती हूं...। फिर वहां उन गरीब लोगों, बच्चों के बांटती हूं..। जिनके पास पहने के लिए कपड़े, जूते नहीं  हैं। मैं खुद एक रोज कमाने-रोज खाने वाली परिवार से हूँ...। जितना मेरे से होता है मैं उतनी उनकी सेवा करती हूँ..। आज भी उत्तरप्रदेश के गांवों का हाल बेहाल हैं..। अगर आपको विश्वास नहीं तो आप मेरे साथ आकर देख सकते हैं...। मैं आपको उन गांवों की हालात दिखा सकती हूँ...। हमारे देश में लोग मंदिरों में हजारों का भंडारा करते हैं...लेकिन गरीब-असहाय लोगों की कोई सहायता नहीं करता..। जो बेहद दुर्भाग्य हैं..। 

सवाल- अगर हमें प्रदेश के किसानों की बात करें तो आपको उनका हालात कैसे नजर आती हैं.. ?
जवाब- राज्य के किसानों की बात करें तो हाल बड़ा ही बेहाल है..। भले ही चाहे प्रदेश सरकार ने ऋण माफ कर किसानों को खुश करने की कोशिश की...। लेकिन आज भी किसानों के पास खाद खरीदने तक के लिए पैसे नहीं है..। जो यह दर्शाता हैं हमारा किसान हमारे लिए अपनी जान तक दे देता हैं..। फिर भी हमारे किसानों को कुछ नहीं मिल पाता हैं...। 

सवाल- आप 'भगवा रक्षा वाहिनी' के साथ जुड़े हैं..? आप इसकी प्रदेश प्रवक्ता भी है...? ऐसे में आपने उन गरीब गांवों के लिए क्या सोचा है और वहां कैसे काम किया जा सकता है...? 
जवाब- जी हाँ..! मैं  'भगवा रक्षा वाहिनी' से जुड़ी हूँ...। मैं  'भगवा रक्षा वाहिनी' की उत्तरप्रदेश की प्रवक्ता भी हूँ..। हमारी वाहिनी हमेशा से गरीब-असहाय लोगों के लिए काम करती आई है...। हमारा पहला कर्तव्य और पहला सपना ही गरीबों की सेवा करना हैं...। हम उन गांवों में जाकर काम कर रहे हैं...।  'भगवा रक्षा वाहिनी' हमेशा गरीब-निर्धन लोगों की सहायता करता रहेगा...।

'जयदीप पत्रिका' के संपादक 'दीपक कोहली ' से बातचीत करने के लिए 'पूर्णिमा वर्मा' जी का तहदिल से धन्यवाद...। 
  
  

                                                       
                                                         रिपोर्ट- दीपक कोहली


 

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