साहित्य चक्र

03 October 2017

* महान अर्थशास्त्रीय 'डॉ. मनमोहन'

जब-जब हमारे देश की अर्थव्यवस्था की बात होती है...। डॉ. मनमोहन सिंह का नाम तब-तब सबसे आगे आता है..। देश के 13वें प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह अपनी योग्यता के लिए पूरे विश्व में विख्यात है...। चाहे फिर यूएन में सेवा देने की बात हो या फिर देश की अर्थव्यवस्था को एक नया आयाम देने की बात हो...। हर मोड़ पर डॉ. मनमोहन देश के काम आए है...। 




डॉ. मनमोहन सिंह का जन्म 26 सितम्बर 1923 में पंजाब प्रांत में हुआ..। इनके पिता का नाम 'गुरूमुख सिंह' तो वहीं माता का नाम 'अमृत कौर' था..। डॉ. सिंह के परिवार में उनकी पत्नी 'गुरशरण कौर' और उनकी तीन बेटियां हैं...। वैसे ये पाकिस्तान प्रांत पंजाब में रहते थे..। विभाजन के समय इनके पिता भारत चले आए...। पंजाब विश्वविद्यालय से डॉ. मनमोहन ने स्नातक और स्नातकोत्तर की पढ़ाई की..। जिसके बाद डॉ. मनमोहन पढ़ाई के लिए कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय गए..। जहां से डॉ. मनमोहन ने पीएचडी की पढ़ाई की...। उसके बाद डॉ. सिंह आक्सफोर्ड विश्वविद्यालय गए..। जहां से डॉ. सिंह ने डी. फिल की डिग्री प्राप्त की...। जिसके बाद डॉ. सिंह ने पंजाब विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र के अध्यापक के रूप में काम करना शुरू कर दिया...। कुछ समय बाद डॉ. सिंह दिल्ली चले आए...। जहां डॉ. सिंह ने प्रतिष्ठित 'दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स' विद्यालय में प्राध्यापक पदभार पर कार्य किया..। इसी बीच डॉ. सिंह 'संयुक्त राष्ट्र व्यापार और विकास सम्मेलन'  के सचिवालय में सलाहकार चुने गए...।

सन् 1987 से 1990 तक डॉ. सिंह 'जेनेवा' 'साउथ कमीशन' के सचिव भी चुने गए..। वहीं सन् 1971 में मनमोहन 'भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय' में बतौर आर्थिक सलाहकार भी रहे...। इसके तुरंत बाद डॉ. सिंह को 'वित्त मंत्रालय' का मुख्य आर्थिक सलाहकार बनाया गया..। वहीं कुछ वर्षों बाद डॉ. मनमोहन 'योजना आयोग' के उपाध्यक्ष और 'आरबीआई' (भारतीय रिजर्व बैंक) के गवर्नर भी बनाया गया...। डॉ. सिंह प्रधानमंत्री के 'आर्थिक सलाहकार' और 'विश्वविद्यालय अनुदान आयोग' के भी अध्यक्ष रहे हैं...। देश के इतिहास में सबसे बड़ा मोड़ तब आया जब डॉ. सिंह सन् 1991 से 1996 तक 'वित्त मंत्री' रहे..। जिस पद पर रहकर डॉ. सिंह देश की आर्थिक स्थिति सुधार डाली...। डॉ. सिंह को देश का आर्थिक सुधारों का 'प्रणेता' भी माना जाता है..। आम जनता डॉ. सिंह को 'मौन प्रधानमंत्री' के तौर पर याद करती है..। डॉ. सिंह अपने स्वभाव के लिए पूरे विश्व में लोक प्रसिद्ध है..। डॉ सिंह ने 'अतंर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष' और 'एशियाई विकास बैंक' के लिए काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है..। जिसके लिए उन्हें आज भी याद किया जाता है...। डॉ. सिंह एकमात्र ऐसे व्यक्ति है जिन्होंने कई राष्ट्रीय और अतंर्राष्ट्रीय संगठनों में देश का प्रतिनिधित्व किया है..।


आइए एक नज़र डॉ. सिंह के जीवन उपाधि पर डालते है..। 

  • 1957 से 1965 तक चंडीगढ़ में स्थित पंजाब विश्वविद्यालय में अध्यापक रहे।
  • 1969 से 1971 तक दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के प्रोफेसर रहे...। 
  • 1976 में दिल्ली के जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के मानद प्रोफेसर रहे।
  • 1982 से 1985 तक भारतीय रिज़र्व बैंक के गवर्नर रहे..।
  • 1985 से1987 तक योजना आयोग के उपाध्यक्ष रहे...। 
  • 1990 से 1991 तक भारतीय प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार रहे..।
  • 1991 में प्रधानमंत्री नरसिंहराव के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार में वित्त मंत्री रहे..।
  • 1991 में पहली बार असम से राज्यसभा सदस्य रहे..।
  • 1994 में दूसरी बार राज्यसभा सदस्य रहे..।
  • 1996 में दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में मानद प्रोफेसर रहे..।
  • 1999 में पहली बार (दक्षिण दिल्ली) लोकसभा चुनाव लड़ा और हार गए..। 
  • 2001 में तीसरी बार राज्यसभा सदस्य और सदन में विपक्ष नेता रहे..।
  • 2004 में देश के 13वें प्रधानमंत्री बने..।
  • 2009 में लगातार दूसरी बार प्रधानमंत्री बने..।


आइए एक नज़र डॉ. सिंह के सम्मान एवं पुरस्कारों में डालते है..।

  • 1987 में डॉ. सिंह को 'पद्य विभूषण' से सम्मानित किया गया..। 
  • 2002 में 'सर्वश्रेष्ठ सांसद' पुरस्कार से सम्मानित किया गया..।
  • 1994 में 'इंडियन साइंस कांग्रेस' का जवाहरलाल नेहरू पुरस्कार1993 और 1994 में 'एशिया मनी अवार्ड फॉर फाइनेंस मिनिस्टर ऑफ द ईयर' पुरस्कार से सम्मानित किया गया...।
  • 1994 में 'यूरो मनी अवार्ड फॉर द फाइनेंस मिनिस्टर ऑफ द ईयर' से सम्मानित किया गया...।
  • 1956 में कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय ने 'ए़डम स्मिथ पुरस्कार' से सम्मानिक किया...।  

डॉ. सिंह ने आर्थिक उदारीकरण को आर्थिक उपचार के रूप में प्रस्तुत किया...। जिससे भारतीय अर्थव्यवस्था को विश्व के बाजार से जोड़ा गया..। जिससे आयात और निर्यात करना बहुत ही सरल हो गया...। जिसका लाभ आज हमारे देश को मिल रहा है..।  जब हमारी देश की नई अर्थव्यवस्था घुटने टेक रही थी... तब डॉ. सिंह ने ही हमारी देश की अर्थव्यवस्था को एक नया आयाम के साथ मजबूत जोड़ भी दिया...। पंडित नेहरू के बाद मनमोहन एक मात्र ऐसे प्रधानमंत्री है...जिन्होंने अपना पहला कार्यकाल पूरा कर दूसरा कार्यकाल भी पूर्ण रूप से पूरा किया...। 'मनमोहन' को एक महान अर्थशास्त्री के रूप में पूरे विश्व में पहचाना जाता है..। इन्हें देश का मन भी कहा जाता है..। ये देश के महान अर्थशास्त्रियोंं में गिने जाते हैं...।  

                                                       संपादक- दीपक कोहली

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