साहित्य चक्र

06 November 2017

* नैनीताल का भगत...! ठेठ पहाड़ी नेता...! 'कोश्यारी'



अगर देवभमि की बात हो...! और नैनीताल के भगत का नाम ना आए...! शायद ही ऐसा हो...! जी हां...! कोश्यारी वो व्यक्ति है...! जिन्होंने अपना पूरा जीवन देवभूमि उत्तराखंड की राजनीति में लगा दिया...! 

भगत सिंह कोश्यारी का जन्म देवभूमि के 'बागेश्वर' जिले के 'पालनधूरा चेतबगढ़' में 17 जून 1942 में हुआ था..। इनकी माता का नाम 'मोतिमा देवी' और पिता का नाम 'गोपाल सिंह कोश्यारी' था...। इनकी प्रारंभिक शिक्षा 'अल्मोड़ा' से हुई थी...। आगरा विश्वविद्यालय से साहित्य में इन्होंने 'आचार्य '
की उपाधि प्राप्त की..। जिसके बाद कोश्यारी आरएसएस से जुड़े..। आपको बता दूं...। कोश्यारी अल्मोड़ा डिग्री कॉलेज में छात्र नेता भी रहे है..। आपने छात्र नेतृत्व के लिए कोश्यारी आज भी अल्मोड़ा कॉलेज  में याद किए जाते है...। 

अगर हम कोश्यारी की बात करें तो कोश्यारी को 'ठेठ पहाड़ी' नेता के नाम से भी जाना जाता है..। वहीं कोश्यारी पहाड़ के लोकप्रिय नेताओं में गिने जाते हैं...। अपने कामों और पहाड़ के प्रति प्रेम कोश्यारी को 'ठेठ' पहाड़ी नेता बनाता है...। कोश्यारी आज भी एक अलग छवि रखने वाले नेताओं में आते है..। अगर कोश्यारी के राजनीति जीवन की बात करें...। तो सबसे पहले भगत सिंह कोश्यारी 'राष्ट्रीय स्वंय सेवक' संघ से जुड़े...। वहीं सन् 1977 में कोश्यारी 'आपातकाल' के दौरा जेल भी गए थे..। जिसके बाद भगत सिंह कोश्यारी राजनीति में सक्रिय हुए...। उत्तराखंड राज्य बनाने में भगत सिंह कोश्यारी का एक अहम रोल रहा..। जिसके बाद भगत सिंह कोश्यारी उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र की राजनीति में बीजेपी की रीढ़ी बनकर उभरें....। सन् 2000 में जब उत्तराखंड की स्थापना हुई तो प्रथम मुख्यमंत्री नित्यानंद स्वामी बनें...। वहीं कोश्यारी को राज्य का ऊर्जा, सिंचाई, कानून मंत्री बनाया गया था...। उस समय कोश्यारी सीएम के दांए हाथ हुआ करते थे...। जिसके बाद 2001 में बीजेपी ने कोश्यारी को राज्य का दूसरा सीएम घोषित किया..। लगभग 6 महीने कोश्यारी प्रदेश के सीएम पद पर विराजमान रहे...। जिसके बाद राज्य में प्रथम विधानसभा चुनाव हुए..।  जिसमें कांग्रेस की जोरदार जीत हुई..। इसी बीच भगत सिंह कोश्यारी को विपक्ष का नेता चुना गया...। कोश्यारी 2002 से 2007 तक उत्तराखंड के विपक्ष नेता रहे...। कोश्यारी को प्रदेश बीजेपी की कमान यानि प्रदेश अध्यक्ष भी बनाया गया..। साल 2007 में एक बार फिर बीजेपी ने जोरदार वापसी करते हुए..। कोश्यारी के नेतृत्व में विधानसभा चुनाव लड़ा...। उस समय कोश्यारी सीएम पद के मजबूत दावेदार थे..। लेकिन केंद्र भाजपा को यह मंजूर नहीं था..। तभी केंद्र भाजपा ने 'भुवन चंद्र खंडूरी' को प्रदेश का सीएम बनाकर कोश्यारी का नेतृत्व नकारा था..। जिसका मलाला कोश्यारी को शायद आज भी होगा..। जिसके बाद कोश्यारी 2008 से 2014 तक उत्तराखंड के राज्यसभा सांसद रहे..। अभी वर्तमान में कोश्यारी नैनीताल-ऊधमसिंहनगर संसदीय क्षेत्र से सांसद है...। कोश्यारी का राजनीति जीवन एक 'ठेठ पहाड़ी' राजनेता के तौर पर याद किया जाता हैं..। हम उम्मीद करते हैं...। कोश्यारी अपने संसदीय क्षेत्र को सर्वपूर्ण विकसित बनाएगें..। अपने राजनीति जीवन को एक नई ऊर्जा के साथ एक नई ऊंचाई देगें..। वैसे पहाड़ इस  'ठेठ पहाड़ी' राजनेता को कभी नहीं भूलेगा....। जिसने पहाड़ को एक नई मंजिल दी...।  



                                                  संपादक- दीपक कोहली




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