साहित्य चक्र

11 December 2017

* क्या लोकतंत्र को मिलेगा..! ऑक्सीजन ?




देश में भ्रष्टाचार की नस जिस तरह मोटी होती जा रही है...। उसे देखकर यहीं लगता है..। अब लोकतंत्र को भी ऑक्सीजन की जरूरत है..। आज हर राजनेता देश के बारे में कम और पार्टी के बारे में ज्यादा सोच रहे है..।
जिससे देश की लोकतंत्र  की जड़ कमजोर होती जा रही है..। जिस तरह हर न्यूज़ चैनल में किसी ना किसी राजनेता या किसी राजनीति पार्टी का हाथ मिला होना.. यह साबित करता है...। कि कहीं ना कहीं लोकतंत्र का चौथा स्तंभ भी खोखला होता जा रहा है..। यह दुर्भाग्य है हमारे देश का..। जहां सरकार मीडिया के आकड़ों पर बनती है...। मीडिया जिसे खबरों में रखती है..। या फिर जिसे टाइम लाइट पर रखती है..। वहीं राजनेता देश की राजनीति में एक मुख्य रोल निभाता दिखता हैं...। 



क्या यहीं है लोकतंत्र...? वहीं आजकल की मीडिया टीआरपी के लिए काम करती दिखाई देती है..। जो जितना पैसा देगा उसकी उतनी तारीफ की जाएगी..। हर न्यूज़ चैनल की अपनी एक भाषा शैली बनी हुई है...। कभी देश में अफवाएं फैलाई जाती है...। तो कभी देशवासियों को डराया जाता है..। इससे यह साबित होता है..। क्या हमारे देश की पत्रकारिता की भी ऐसी हालत हो गई है...। मीडिया जो चाहे कर लें..। जिसकी चाहे उसकी सरकार बना दें...। कई सवाल मन में उठते है...।



हमें लगता हैं...। देश को ऑक्सीजन की जरूरत है..। हर मामले में देश का ऑक्सीजन खत्म होता दिख रहा है..। चाहे आप किसी भी व्यवस्था को उठाकर देख लें..। हर क्षेत्र में ऑक्सीजन कम होता दिख रहा है..। हमारी मीडिया आज टीआरपी के पीछे भागती है..। या फिर चाहे टीआरपी कैसे ही क्यों ना मिले...? प्राइम टाइम में डिबेट कम एक-दूसरे पार्टी का पक्ष लेना ज्यादा दिखाई देता है..। मीडिया काम तो करती है...। पर टीआरपी उसे करने नहीं देता..। जब देश में कुछ नया मामला आता है तो हर न्यूज़ चैनलों में वहीं मामला चलता है..। जब टीआरपी एक ही चैनल बटोर कर ले जाता है...। तो फिर मामला स्वाह हो जाता है..। यानि खब़र बदल दी जाती है..। इसे हमारे देश का दुर्भाग्य ही कहां जा सकता है..। जहां की मीडिया अपने आप को कहती तो है...लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ...। पर है टीआरपी  की बीमार...। 
देश में कई ऐसे मामले है....। जिन पर मीडिया देखते हुए भी काम नहीं करती...। क्योंकि उसे उन मामलों से कोई फायदा नहीं होता है..। जिससे मीडिया उन मामलों पर कुछ नहीं करता..। हमारे देश में जब कोई बड़ी घटना होती है...। तो उसे हर बड़े से बड़ा और हर छोटे से छोटा न्यूज़ चैनल दिखाता है...। जब उस खब़र से कोई लाभ नहीं होता है...। तो उस घटना की खोज - बिन बंद कर दी जाती है...। यानि हर जगह लोभ- लालच ही नजर आता हैं...। आखिर लोकतंत्र को कब मिलेगा...? 'ऑक्सीजन'...!




                                                         संपादक- दीपक कोहली


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