साहित्य चक्र

04 October 2017

* हरिद्वार का रमेश- 'निशंक'

जब उत्तराखंड की बात हो और 'निशंक' का नाम ना हो...ऐसा हो ही नहीं सकता..। देवभूमि के भूतपूर्व सीएम रमेश पोखरियाल 'निशंक' की हकीकत और हैसियत क्या है...? हम आपको बताएगें 'निशंक' की पूरी कहानी...। एक शिक्षक से कैसे एक राजनेता बने 'निशंक'...। हर बिंदु से होगी हमारी जांच - पड़ताल...। 




जी हाँ...! हर हकीकत से रूबरू कराएगें..। आपको...! आपको हर वो हकीकत बताएगें...। जो आपने कभी ना देखी होगीं और ना ही कभी सुनी होगीं...। चलिए आपको कराते  है...। 'निशंक'  की हकीकत से वाकिफ...।

'निशंक' का जन्म 15 अगस्त 1958 में पौड़ी जिले के चौकट्टाखाल तहसील के 'पिनानी' गांव के एक सामान्य परिवार में हुआ...। इनका जीवन बहुत ही संघर्षमय रहा..। संघर्षमय जीवन के बावजूद इन्होंने अपनी पढ़ाई पूरी की...। इनके पिता श्री 'प्रेमानंद पोखरियाल' एक सामान्य व्यक्ति थे...। इनकी माता श्रीमती 'विशम्भरी देवी' एक कुशल गृहणी थी...। अगर इनकी जीवन संगिनी की बात करें तो 'कुसुमकांत पोखरियाल' इनकी धर्मपत्नी है...। 'निशंक' को बचपन से ही पाठन-लेखन का बहुत ही शौक हुआ करता था...। इन्होंने हिंदी साहित्य में कई विधाएं लिखी है..। चाहे फिर वो कविताएं हो या फिर उपन्यास हो...। 'निशंक' ने कई साहित्य संग्रह लिखे है...।  


'निशंक' की पढाई की बात करें तो इनकी पढ़ाई हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय से हुई...। इन्होंने कला से 'स्नातकोत्तर' और 'पीएचडी', 'डी लिट' की डिग्री प्राप्त की है..। आपको बता दूं...! 'रमेश पोखरियाल' उत्तराखंड के पांचवें सीएम भी रह चुकें है..। 'निशंक' उत्तराखंड बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं में गिने जाते हैं...। रमेश जितने परिपक्व राजनेता है...। उतने ही सरल - शोभित हिंदी साहित्यकार भी है...। अगर इनकी राजनीति जीवन की बात करें तो...। सन् 1991 में इन्होंने राजनीति में कदम रखा...। जिसमें इन्होंने पहली बार उत्तरप्रदेश विधानसभा के लिए कर्णप्रयाग से चुनाव लड़ा था...। 'निशंक' कभी भी राजनीति में नहीं आना चाहते थे...। राजनीति में आने से पहले 'निशंक' एक शिक्षक की भूमिका निभाया करते थे...। 'निशंक' की पहली किताब 'समर्पण' थी..। जो सन् 1982-83 में प्रकाशित हुई थी...। तब 'निशंक' जोशीमठ के एक शिशुमंदिर में प्रधानाचार्य हुआ करते थे..। आज एक सांसद या एक राजनेता हुआ करते है..। 1991 से 2012 तक 'निशंक' पांच बार विधानसभा में विधायक रहे है...। इनके उत्कृष्ट कामों के लिए इन्हें कई बार सम्मानित भी किया जा चुका है...। 27 जून 2009 से 11 सितम्बर 2012 तक 'निशंक' देवभूमि के सीएम या मुख्यमंत्री भी रह चुके है..। 2002 में उत्तराखंड के थालिसियां निर्वाचन क्षेत्र से 'निशंक' ने विधानसभा चुनाव लड़ा..। जिसमें 'निशंक' की करारी हार हुई..या कहे 'निशंक' के हार का सामना करना पड़ा...। 'निशंक' उत्तराखंड बनने से भी पहले उत्तरप्रदेश की राजनीति में अहम रोल में निभाया करते थे..। चाहे फिर उत्तराखंड निर्माण में सक्रिय भूमिका की ही बात क्यों ना हो...। रमेश पोखरियाल 'निशंक' का हरिद्वार और ऊधमसिंह नगर को उत्तरप्रदेश से उत्तराखंड में मिलाने में एक अहम योगदान रहा है...। 

'निशंक' एक राजनीतिज्ञ के साथ-साथ एक हिन्दी साहित्यकार भी है...। जिन्होंने अब तक कई कविताएं, उपन्यास, लिखें हैं...। वहीं आज इनकी साहित्य रचनाओं पर शोध भी हो रहा है...। 'निशंक' पिछले 25 सालों से पत्रकारिता से भी जुड़े हुए है...। जिसमें 'नई चेतना, नई राह - नई चेतना' जैसे कई पत्र-पत्रिकाओं का संपादन कर रहे हैं...। 'निशंक' 'दैनिक सीमांत वार्ता' पत्रिका से पिछले कई सालों से जुड़े है...। वहीं वर्तमान में 'निशंक' लगभग दो दर्जन से अधिक साहित्यक, सामाजिक,  सांस्कृतिक संस्थाओं से भी जुड़े हुए है..। 

'देश हम जलनें ने देंगे' कृति के लिए राष्ट्रपति श्री ज्ञानी जैल सिंह द्वारा सम्मानित किए गए...। वहीं 'मातृभूमि के लिए' कृति हेतु राष्ट्रपति डॉ. शंकर दयाल शर्मा, 'ऐ वतन तेरे लिए' कृति के लिए डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम द्वारा 'साहित्य गौरव' से सम्मानित किया गया...। 

'खड़े हुए प्रश्न' कृति के लिए भूतपूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी द्वारा 'साहित्य भारती' पुरस्कार से सम्मान करना..। 'हिमालय रक्षा मंच' द्वारा 'हिमपुत्र' पुरस्कार से सम्मानित किया गया...। वहीं भारत अंतर्राष्ट्रीय मैत्री समिति द्वारा 'भारत गौरव सम्मान- 2007' भी दिया गया..। उत्तराखंड उत्थान समिति द्वारा 'गढ़ रत्न' और हिमालय लोक कला संस्थान द्वारा 'साहित्य भूषण' पुरस्कार से सम्मानित किया गया...। इसके अतिरिक्त देश-विदेश में स्थित 300 से अधिक सामाजिक, सांस्कृतिक और साहित्यिक संस्थाओं द्वारा कई बार 'निशंक' को सम्मानित किया जा चुका है..। कई कविता संग्रह और कथा संग्रह अभी तक प्रकाशित हो चुके है...। वर्तमान में 'निशंक' बीजेपी से हरकी की पौड़ी 'हरिद्वार' से सांसद है...। 'निशंक' अपने आप में एक महान राजनेता के साथ-साथ एक अच्छे अध्यापक और कवि भी है...। हम कामना करते है..। 'निशंक' ऐसे ही राजनीति में अपना दम दिखते रहे और देवभूमि को एक नये आयाम तक ले जाए....।   


                                                     रिपोर्ट- दीपक कोहली



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