साहित्य चक्र

21 July 2024

कविताः हवा का झोंका




तेरी यादों को लेकर एक हवा का झोंका आया,
पूरे तन मन को सहला गया है,
हवा का झोंका कह रहा हो,
मैं तुम्हें तुम्हीं से चुरा ले जाऊँगा,
उड़ा ले जाऊँगा तुम्हें इतनी दूर,
जहाँ पर सकून के दो पल हो,
जहाँ हम हो और तुम हो,
एक ऐसे जहाँ में,
जहाँ चारो ओर प्यार ही प्यार हो,
हवा का झोंका मेरे मन मस्तिष्क को ताजगी दे रहा हो,
हवा का झोंका मानो मुझसे बातें कर रहा हो, 
तुम्हारी लट गालों पर कितनी खूबसूरत लग रही है,
तुम इस जहाँ में खुशिया बिखराओ,
तुम रोते हुए लोगों को हसाओ,
हवा का झोंका तेरी यादों को लेकर संग आया है।

                                                              - गरिमा लखनवी


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