साहित्य चक्र

13 July 2024

कविताः उडूँगा




मैं अभी और
ऊंचा उठूंगा 
याद रखना।

ये तख़्त-ओ-ताज
अपने नाम करुँगा 
याद रखना।

जो मोहब्बत हारी थी 
वो भी अपने 
नाम करुँगा 
याद रखना।

जो चेहरे आते हैं न
 दूर-दूर नज़र 
उनको भी अपने 
करीब करुँगा 
याद रखना।

बहते थे न 
जो अश्क 
आंखों में 
उनको कोहिनूर करूंगा 
याद रखना।


                                                         - डॉ.राजीव डोगरा


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