मैं अभी और
ऊंचा उठूंगा
याद रखना।
ये तख़्त-ओ-ताज
अपने नाम करुँगा
याद रखना।
जो मोहब्बत हारी थी
वो भी अपने
नाम करुँगा
याद रखना।
जो चेहरे आते हैं न
दूर-दूर नज़र
उनको भी अपने
करीब करुँगा
याद रखना।
बहते थे न
जो अश्क
आंखों में
उनको कोहिनूर करूंगा
याद रखना।
- डॉ.राजीव डोगरा
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