आषाढ़ के बादल आए।
पूरे गगन काले-काले बादल छाए।
उमड़-घूमड़ कर,
बादल इधर-उधर घूमे।
कहीं थमें तो गरज-गरज,
बिजली चमके ध्वनि करें।
छम छम घनघोर वर्षा करें।
बरसे पानी।
बीच-बीच में बिजली,
चमके चम-चम-चम।
बारिश करें छम-छम।
प्रेमी और प्रेमिका उर मिलन,
व्याकुल बादल उमड़े।
मिलन की प्रतीक्षा करें।
मयूर पंख फैला नृत्य करें।
पपीहा पीहू-पीहू करें।
दादुर टर्र-टर्र करें।
चातक पक्षी स्वाति बूंद,
अपनी प्यास बुझाऍं।
- संगीता सूर्यप्रकाश मुरसेनिया
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