साहित्य चक्र

13 July 2024

कहानी- बुजुर्ग महिला



पानी-पानी कहकर वो बुजुर्ग महिला आखरी सांस गिन रही थी, 
तभी उसका बड़ा बेटा मनोहर अपने भाई को बुलाकर कहा
सज्जन मां ने गाय का दान करने को बोला था,
शायद अब वक्त आ गया है.
सज्जन बोला"अच्छा ठीक अभी पंडित जी को बुलाता हूँ,
तब तक गोदान के खर्चे का हिसाब कर लिया जाये.
मनोहर " सज्जनवा कितना गिरेगा मां के मौत का वक्त आ गया 
और तू हिसाब की बात कर रहा है.
दोनों भाईयो में गाली-गलौज आरम्भ हो गया,
मामला हाथापाई की तक आ जाता
अगर पड़ोसी बीच में ना आते, 
दोनों भाईयो की पत्नी दूर से एक दूसरे पर शब्दों की बौछार कर रही थी.
उस बुजुर्ग महिला के आँखो में आंसू के बूंद की रेखा नजर आ रही थी, 
वो मृत्य के शैय्या से ज्यादा अपने बेटो की उन हरकत पर दुःखी थी.
बेजान शरीर में थोड़ी सी हलचल हुआ, 
वो इशारों से मनोहर को पास बुलाया और धीरे से कान में कुछ कहा.
इसी के साथ बुजुर्ग महिला दम तोड़ दिया.
रोते-धोते अंतिम संस्कार हुआ, 

     (2)
अगले दिन बड़े भाई मनोहर ने सबको बताया मां ने आखरी 
वक्त में उसे बताया कि सबके चोरी से डाकघर में 10 लाख जमा है, 
पहले लोगो को विश्वास नहीं हुआ.
मगर वो बुजुर्ग महिला कर्मठ और मेंनहती थी,
जो पति के मरने के बाद 2 छोटे बच्चो और खेतबारी को अच्छे से संभाला.
काफी धार्मिक स्वभाव की होने के बाद सभी ने विश्वास कर लिया.
जब छोटे भाई सज्जन भाई को पता चला कि मां ने 
10 लाख रुपये उन दोनों भाईयो के लिये छोड़ गई हैं, 
फिर क्या दोनों भाई का प्रेम बढ़ गया.
अब रात-दिन 5 लाख के सपने आने लगे,
पत्नी को गहने से लाद दूंगा, 
पत्नी की मुस्कान पुरानी मुस्कान वापस आ जायेगी, 
जब पहली बार गौना आया था.
सरसों के तेल से आँखों तक महकती और मछली की तरह छटकती,
शर्म मानो इनके लिये बना हैं.
अब तो गांव के सभी महिलाओं की सज्जन बहु एक तरफ से जुबान बंद कर सकती हैं.
सज्जन दिन-रात यही सोचता और खुश होता, 
दोनों भाईयों ने मिलकर तय किया कि तेरहवीं के बाद 
पैसा निकाल कर आपस में बांट लिया जायेगा,
पूरे कार्यक्रम एक बार भी रुपये का हिसाब नहीं हुआ,
दोनों भाईयो ने मिलकर खूब खर्चे किये मां के अंतिम कार्यक्रम में.. 
                 
(3)

सभी कार्यक्रम बीत चुके थे,
सज्जन ने बड़े भाई मनोहर के पास आकर कहा 
"भैया चलिये डाकघर वो पैसे निकाल लेते हैं, 
मनोहर मुस्कुराकर बोला"कैसा पैसा मां का कोई बचत नहीं था, 
सज्जन के तोते उड़ गये एकदम सन्न मानों पांव से जमीन खिसक गया,
वो जोर लगाकर बोला" भैया मजाक मत करो, 
मां ने मरते दम क्या बोला आपकी कान में,
मनोहर ने मार्मिक होकर बोला "नहीं कुछ नहीं कहा 
बस आखरी बार गले लगाकर स्नेह देना चाहती थी,
अरे तू भूल गया कि हमारी मां.
उनके आँखों में एक आशा की किरण जो मेरे हृदय को जगा दिया,
कितने दुखों से हमे बड़ा किया.
आँसू की धारा फूट पड़ा, 
अब छोटा भाई सज्जन टूट चुका था
बचपना याद आ गया मां की वो आँचल जिसमे वो छिप जाता
अब उसका बाल हृदय फूट पड़ा वही जमीन पर लेट कर 
जोर-जोर से मां को याद करके छोटे बच्चे के भांति रोने लगा l 

पीछे सज्जन की पत्नी दरवाजे पर आ गई, 
वो बुजुर्ग महिला को जोर-जोर गाली बकने लगी लाखों रुपये खा गई, 
मरने के बाद बुढ़िया चैन से नहीं रहने दे रही हैं,
सज्जन उठकर अपने बेलगाम पत्नी को पीटना शुरू कर दिया.
पर्दा गिर जाता है।


                                                                     - अभिषेक राज शर्मा



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