जयदीप पत्रिका
हिंदी साहित्य की पहचान
साहित्य चक्र
21 July 2024
कविताः बदलाव
बरसती बारिश की तरह
बरस मत जाना।
रंगो के साथ खेलते हुए
मोहब्बत के रंग
रंग मत जाना।
जिस्म की चाहत में
रूह से मोहब्बत
कर न बैठना।
दिल्लगी करते-करते
कही दिलदार
बन न बैठना।
आबाद करते हुए
लोगो को इश्क़ में
खुद महोब्बत में
बर्बाद न हो जाना।
- डॉ.राजीव डोगरा
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