"कैटरीना" उर्फ किट्टू जी हां ये किसी फिल्म की हीरोइन की कहानी नहीं है बल्कि ये कहानी है बरखा की बेटी की।
बरखा फिल्मों की शौकीन, रंगमिजाज महिला है और कैटरीना की बहुत बड़ी फैन है इसलिए अपनी बेटी का नाम ही कैटरीना रख दिया पर सब उसे किट्टू बुलाते हैं। बड़ी बड़ी इमारतों के बगल से जाते हुए रास्ते पर कुछ लोग झोपड़ी बनाकर रह रहे हैं। उन्हीं में से एक में रहती है बरखा । वो लोहे का काम करती है। उसका पति कालू पूरे दिन हथौड़े चला कर औजार बनाता है और बरखा किट्टू को साथ लेकर उन्हे बेच आती है।
आंखो के किनारों पर तिल गुदवाए हुए गजब ढहाते थे। गौरी चिट्टी बरखा सारा सामान बेचकर ही आती थी। लेकिन अगर कालू कुछ बेचने जाए तो एकाध ही सामान बेचकर आता है । किट्टू तेरह साल की बहुत ही सुन्दर धमा चौकड़ी, हाय हुल्ला, मौज मस्ती करने वाली लडकी है पूरी बरखा पर गई है । अंग्रेज की सी बेटी लगती है इसीलिए उसे वह कैटरीना कहती है ।
सुबह शाम किट्टू सड़क पर चली जाती है वहां गाडियां साफ कर कुछ पैसे ले आती है। आज एक साहिब अपनी बेटी के साथ गाड़ी से उतरे। बराबर वाली बिल्डिंग में गए । वह लडकी किट्टू की उम्र की ही होगी। बिना बाजू के घुटनों से ऊपर की ड्रेस पहनकर कितना कितनी इतरा कर चल रही थी किट्टू के मन में आया ये बड़े घर के लोग कितने अच्छे कपड़े पहनते हैं।
गर्मी बहुत थी सड़क तप रही थी ऊपर से धूप फिर भी उसके लौट के आने के इंतजार में वह वहीं खड़ी रही। जल्दी से उनकी कार पर कपड़ा मारा।
अरे ! नहीं बेटा रहने दो।
कर लेने दो न साहब। पढ़ती क्यूं नहीं ?
साहब पढ़ेंगे तो घर का खर्च कैसे चलेगा ?
क्यूं पापा नहीं कमाते तुम्हारे ?
करते हैं न साहब बुआ की शादी करनी है न और गुल्लू का ऑपरेशन भी तो कराना है।
ये गुल्लू कौन है उस लड़की ने पूछा ?
मेरा भाई है छोटा है मुझसे।
उसके दिल में छेद है ना इसलिए सब मिलकर काम करते हैं।
दोनों बाप बेटी उसे देखते रह गए।
क्या नाम है तुम्हारा ?
कैटरीना पर सब किट्टू कहते हैं मुझे।
उस लडकी ने गाल भींचते हुए कहा , ओह्ह्ह ! हीरोइन है । किट्टू जोर से खिलखिला कर हंस पड़ी ।
अक्सर वह लड़की अपने पापा के साथ पास वाली बिल्डिंग में आया करती है और किट्टू को खड़ा देख उससे बात कर लेती है। बातों बातों में पता चला उस बिल्डिंग में उसके चाचा चाची रहते हैं और साथ में उसकी दादी भी इसलिए उनसे मिलने आते रहते हैं।
उस लडकी का नाम सिया है मां नहीं है।
पापा बहुत बड़े बिज़नेस मेन है।
किट्टू क्या तुम हमारे यहां काम करोगी ?
नहीं साहब जी किसी के घर काम नहीं करना चाहिए।
क्यूं किट्टू ?
अम्मा कहती है जमाना बड़ा खराब है किसी का भरोसा नहीं करना चाहिए। लेकिन हमारे घर में तो सिर्फ सिया रहती है । बस छोटे मोटे काम में उसकी मदद कर दिया करना। बदले में तुम्हे पांच सौ रुपए महीने दूंगा। दरसल ये सिया की इच्छा थी मम्मी के जाने के बाद वह अकेली हो गई थी पापा बिजनेस में इतने व्यस्त थे कि सिया सिर्फ एक आया के साथ रह रही है।
उसे किट्टू पहली नजर में ही अच्छी लगने लगी और तभी मन में बना लिया कि वह उसके साथ रहे।
किट्टू उंगलियों पर हिसाब लगा रही थी कि पांच सौ रुपए का क्या क्या करना है ? मन ही मन कहा ये तो मैं अम्मा से भी ज्यादा कमा लूंगी। फिर भी नखरे दिखाते हुए कहा , नहीं साहब जी अम्मा से पूछे बिना कहीं नहीं जाऊंगी।
अच्छा तो बेटा कल पूछ कर आना।
किट्टू बहुत खुश थी आते ही वह अम्मा को लेकर नाचने लग गई।
अरे ! क्या हुआ छोरी पागल होगी के ?
अम्मा तुझे बताऊंगी तो तू भी खुश हो जायेगी।
अब बताएगी भी।
अम्मा मुझे काम मिल गया है और वो भी पांच सौ रुपए महीना।
ए ! दिमाग तो नहीं चल गया तेरा छोरी कौन देगा तुझे काम और वो भी पांच सौ रुपए में ?
अम्मा उन साहब और दीदी को बहुत दिनों से जानती हूं अरे वही जो दस रुपए देते थे और कार भी साफ नहीं करवाते थे बहुत ही भले हैं।
भेज दियो न अम्मा।
और तेरे बापू की गाली कौन खायेगा ?
बापू को भी समझा न अम्मा।
अम्मा देख सबसे पहले तो हम अपनी छत पक्की करेंगे बारिश के दिनों में इतना टपकती है ना सब भीग जाता है।
वैसे भी एक दो महीने बाद बारिश शुरू हो जाएगी।
गुल्लू का ऑपरेशन और उसके बाद बुआ की शादी।
चल छोरी दिमाग की दही न कर अपने बापू से पूछ ले।
किट्टू की आंखे जुगनू की तरह चमक रही थी।
गरीब आदमी के लिए पांच सौ रूपए बड़ी रकम होती है।
तेरह साल की बच्ची की आंखो में लाखों सपने थे।
और बेटियां तो उम्र से पहले ही बड़ी हो जाती हैं। यूं तो कालू बरखा से खुश नहीं रहता था क्योंकि उसके जलवों और अदाओं से बेवफाई झलकती थी। वह शोख जरूर थी लेकिन अपने पति के लिए बहुत वफादार थी। किसकी मजाल थी जो उसे आंख उठा कर देखता हमेशा पेटी में कटार दबा कर रखती थी। लेकिन उसके रूप को देखकर कालू डरता था। कि कहीं उसे कोई ले न जाए। लेकिन पैसों के लिए वह भी दिन रात हाड़ गलाता था।
बरखा घर में बैठ जाती तो गुजारा कैसे चलता। किट्टू उछलती हुई आई और कालू से बोली, बापू कल से काम पर जाया करूंगी।
अरी ! कहां जायेगी तू ?
काम पर बापू
क्यूं तुझे कमी है क्या कोई ?
नहीं बापू ये बात ना है वो साहब बहुत अच्छे हैं उनकी बेटी है न सिया हमे बस उसके साथ रहना है।कहां जाना पड़ेगा ? वो जो अगली कॉलोनी है ना जहां अम्मा समान बेचने जाती है वहीं पर है।
बापू पांच सौ रूपए मिलेंगे
कोई तेरा पागल तो नहीं बना रहा।
ना बापू बढ़िया लोग हैं वो।
अपनी अम्मा से पूछ ले।
किट्टू को हरी झंडी मिल चुकी थी। वह दौड़ कर गई और गुल्लू को प्यार किया।
अब मेरे राजा भैया जल्दी ठीक हो जाएगा।
सुबह के इंतजार में रात लंबी हो गई और न जाने कब किट्टू को नींद आ गई। रोज की तरह आज भी किट्टू सड़क पर जाने लगी तभी बरखा ने आवाज दी सुन छोरी ! मैं भी आती हूं। कुछ गाड़ियों से पंद्रह बीस रुपए इकट्ठे हो गए । तभी साहब की गाड़ी दिखाई दी। अम्मा आ गए साहब मैने कहा था ना जरूर आयेंगे। साहब गाड़ी से बाहर निकले किट्टू ने कहा , साहब ये हमारी अम्मा हैं काम के लिए बात करने आईं हैं। साहब उसकी सुंदरता देखते ही रह गए मन में सवाल आया कि कमल कीचड़ में ही क्यों खिलता है ?
झोपड़ पट्टी में इतने गजब का रूप। तभी बरखा ने साहब का ध्यान तोड़ा , कहां खो गए साहब जी।आप पांच सौ रुपए में मेरी छोरी से काम कराना चाहवें हैं। अभी ये बच्ची है ज्यादा काम वाम नहीं आता इसे और पांच सौ रुपए से ज्यादा का चारा म्हारे डांगर खा जाते हैं। लेकिन मैं इससे काम नहीं करवा रहा बस सिया के साथ रहे इतना काम है।
इसकी मां का पिछले साल देहांत हो गया तब से अकेली हो गई है। मुझे बताया किट्टू ने कि तुम्हें पैसे की जरूरत है। चलो दो सौ रूपए और ले लेना पर इससे ज्यादा नहीं क्योंकि मेरी सिया को किट्टू से बहुत लगाव हो गया है। बरखा अंदर ही अंदर बहुत खुश थी। उसने तो ऐसे ही कहा था लेकिन साहब जी ने तो सच में पैसे बढ़ा दिए।
अब तो मना करने की कोई वजह ही नहीं थी। साहब जी मैं उधर अपना सामान बेचने जाती हूं अपने साथ ही ले आया करूंगी। ठीक है अभी चलो किट्टू तुम्हे घर दिखा देता हूं। किट्टू उनके साथ चली गई। बरखा के पैर जमीन पर नहीं पड़ रहे थे वह बहुत खुश थी। किट्टू नियमित समय से जाती है और शाम होने से पहले आ जाती है। दो महीने गुजर चुके हैं ना तो अभी गुल्लू के ऑपरेशन के लिए पैसे जुड़े हैं न छत पक्की हो पाई है।
बरसात का मौसम आ गया है बारिश की चिंता खाए जाती है। पिछली बार जो पुराना ठिकाना था वहां बारिश में आई बाढ़ में सब बह गया था। सरकार ने कहा था पक्के घर बनवाएगी पर कुछ नहीं किया।
रात में सब सो रहे थे बादलों की गड़गड़ाहट बेचैन कर रही थी। बरखा उठ बैठी और प्रार्थना करने लगी कि बारिश नहीं होनी चाहिए जबसे ये बिल्डिंग बनी हैं। इन झोपड़ियों में पानी भर जाता है। कल कैसे भी छत टपकने की रोक थाम तो करनी ही पड़ेगी।
भगवान ने बरखा की सुन ली और तेज हवा बादलों को उड़ाकर ले गई। किट्टू जाने लगी तो बरखा ने कहा , छोरी आज काम पर ना जा थोड़ी मिट्टी और पन्नी लगाकर इस झोपड़ी को सही कर लूं नहीं तो आंधी मेह सब बहा ले जायेंगे। ना अम्मा आज तो सिया दीदी का जन्मदिन है तू बुआ से करा ले और बापू भी तो है। जा तू मैं देख लूंगी आज तो गुल्लू की तबीयत भी ठीक नहीं है।
बचपन से ही उसके दिल में छेद है डॉक्टर ने कहा जब तक पांच साल का नहीं हो जाता तब तक ऑपरेशन नहीं होगा लेकिन अब तो वह आठ साल का हो गया है। पिछले साल सोचा तो बाढ़ में सब बर्बाद हो गया। और सपना की शादी कैसे भी करनी ही पड़ेगी लडके वालों को बहुत जल् इजीदी पड़ी है। किट्टू सिया के जन्मदिन के लिए बहुत उत्साहित थी उसने ऐसा जन्मदिन सिर्फ टीवी पर देखा था साहब उसके लिए भी एक ड्रेस दिलवा लाएं जिसे पहन किट्टू फूली नहीं समा रही।
केक कटा ,नाच गाना हुआ मेहमान चले गए तभी मौसम बिगड़ने लगा। समय ज्यादा हो चुका था साहब बोले, चलो किट्टू तुम्हे घर छोड़ दूं । जैसे वो बाहर निकली मौसम को देख उसका चेहरा उतर गया वह उदास हो गई। तभी सिया ने आवाज दी रुक जाओ किट्टू बारिश होने वाली है बारिश में नहाएंगे खूब मस्ती करेंगे । मैं आंटी से बोलकर पकौड़े बनवा देती हूं।
किट्टू की आंखो में आंसू आ गए , वह बोली दीदी अगर बारिश हुई तो हमारी झोपड़ी में पानी भर जाएगा पिछली साल बढ़ में हमारा सब कुछ बह गया था यहां तक कि अम्मा बापू के पाई पाई करके जोड़े हुए पैसे भी।
मैं बारिश में कैसे मस्ती कर सकती हूं।
किट्टू को आज इतने समय में पहली बार उदास देखा था।
वह इतने कमजोर दिल की नहीं थी जरूर उसका दिल दुखा होगा।
तभी उसकी आंखो में आंसू थे।
साहब मुझे जल्दी घर छोड़ दो।
चलता हूं।
बारिश तेज हो चुकी थी किट्टू का दिल बैठा जा रहा था आज कहा था अम्मा ने मुझे रुकने लिए ,काश! मैं रुक जाती यहां पर कौन सा मैं कोई काम करती हूं वो तो साहब भले मानस हैं जो मुझे घर में रहने के लिए भी पैसे दे रहे हैं।
उसकी सांसे तेज चल रही थी साहब उसे बार बार देख रहे थे।
क्या हुआ बेटा इतनी परेशान क्यों हो ?
कुछ नहीं साहब ऐसे ही।
अच्छा अपने भाई गुल्लू का ऑपरेशन कब करा रहे हो ?
साहब पांच साल होने पर कहा था डॉक्टर ने।
10 हजार रूपए का खर्चा बताया था अम्मा बापू ने पिछले साल जोड़ लिए थे,
पर बहुत तेज बरसात होने के कारण बाढ़ आ गई और सब बह गए।
उसकी बातें सुनकर साहब का दिल भी दुखी होने लगा।
तुम चिंता मत करो बेटा मैं कराऊंगा उसका ऑपरेशन।
एक डॉक्टर हैं मेरे जानने वाले उनसे बात करता हूं।
किट्टू के चेहरे पर फिर से वही रौनक आ गई।
साहब की गाड़ी किट्टू के झोपडी के आगे रुकी तेज बारिश होने के कारण वो गाड़ी से बाहर नहीं निकले। लेकिन उन्होंने देखा वो लोग बैठे हुए थे और जहां जहां पानी गिर रहा था वहां उन्होंने बर्तन लगाए हुए हैं। सामने ही एक तख्त सा पड़ा था जिस पर गुल्लू लेटा हुआ था बस इतना ही देख पाए और भारी मन से वापिस लौट गए।
कल सुबह ही डॉक्टर प्रताप से बात करता हूं जितनी मदद हो सकेगी करूंगा।
बारिश रुक चुकी थी आज किट्टू घर पर ही रुकी आज झोपड़ी पर पन्नी डाली गई।
सपना और किट्टू ने मिट्टी पत्थर जो भी मिला उस पर सब डाल उसे सही कर दिया।
बरखा सब ठीक कर रही थी कालू छत को बराबर कर रहा था।
किट्टू ने साहब वाली बात बताई की उन्होंने कहा है, कि मैं करवाऊंगा गुल्लू का ऑपरेशन।
जैसे सब के चेहरे खिल उठे।
दो दिन बाद साहब आए और कालू और बरखा के साथ अस्पताल ले गए। सारी औपचारिकताएं के बाद चार दिन बाद गुल्लू का ऑपरेशन हुआ। सारा खर्चा साहब ने दिया। बरखा और कालू बार बार उनके पैर छू रहे थे।
बरखा बोली साहब जी आप का बहुत बड़ा अहसान हैं हम लोगों पर।
आप देवता हो। भगवान आपको लंबी उम्र दे और खूब तरक्की दे।
बरखा जी न जाने क्या बात है आपकी बेटी में कुछ ही दिनों में वह मुझे सिया की तरह लगने लगी है।
बहुत लगाव सा हो गया है उससे।
उसका दुख देखा नहीं जाता वह अपने घर और गुल्लू के लिए बहुत परेशान रहती है।
बस ये सब मैने किट्टू के लिए किया है।
अच्छा कालू मैं चलता हूं गुल्लू का ख्याल रखना।
कालू दोनो हाथ जोड़े हुए नतमस्तक खड़ा रहा।
बरखा और कालू को अस्पताल में एक सप्ताह हो चुका था अभी डॉक्टर गुल्लू को घर नहीं भेज रहे थे।
एक ये बारिश तीन दिन से रुकने का नाम ही नहीं ले रही।
रात में कालू अपनी झोपड़ी पर आ जाता है।
दोनो लडकियां अकेली रहती हैं।
रात के तीन बजे थे बादलों की तेज गड़गड़ाहट डरा रही थी। तेज आंधी के साथ बारिश। कालू बरखा और सपना तीनों सोए हुए थे तभी काल रूपी बारिश ने झोपड़ी गिरा दी। किसी को उठ पाने का मौका भी नहीं मिला । सुबह होने तक बाहर काफी भीड़ जमा हो गई। टीवी पर दिखाया गया, आज की ब्रेकिंग न्यूज़ तीन दिन की तेज मूसलाधार बारिश में झुग्गियां गिरी। साहब जैसे थे वैसे ही बदहवास दौड़ लिए।
बार बार यही प्रार्थना कर रहे थे कि मेरी किट्टू सही सलामत हो।
जैसे ही वहां पहुंचे दिल धक से रह गया क्योंकि उनमें से एक किट्टू की झोपड़ी भी गिरी हुई थी।
बड़ी मेहनत मशक्कत से मलबा हटाया गया।
कालू और सपना बेहोशी की अवस्था में बाहर निकाले गए।
अभी किट्टू दबी हुई थी।
बड़ी सावधानी से मिट्टी पत्थर हटाए जा रहे थे किट्टू नजर आने लगी
साहब की आंखो से आंसू बह रहे थे क्योंकि किट्टू के जीवित रहने की कोई उम्मीद नजर नहीं आ रही थी। जाने कौन सा रिश्ता था जिसके लिए बेचैनी बढ़ती जा रही थी। तभी किट्टू को बाहर निकाल लिया गया । मिट्टी में लथ पथ कितनी मासूम नजर आ रही थी दौड़ कर साहब ने उसको गोद में उठा लिया और अस्पताल लेकर पहुंच गए बाकी लोगों को एम्बुलेंस लेकर जा चुकी।
डॉक्टर मेरी बेटी को बचा लीजिए !
आपकी बेटी! डॉक्टर हैरान था।
हांजी मेरी बेटी।
जांच करने के बाद पता चला वह अभी जिंदा है सिर में चोट लगने के कारण काफी खून बह गया है होश आने में समय लगेगा । कुछ भी करो डॉक्टर पैसों की चिंता मत करो। आप इलाज करो।
ओके मिस्टर सिंह।
हम अपनी तरफ से पूरी कोशिश करेंगे।
अपने परिवार की खबर सुन बरखा अस्पताल से गुल्लू को लेकर भागी चली आई रोते रोते उसका बुरा हाल था। आस पास के लोगों से पता चला किट्टू जिनके पास काम करती है उसे वही ले गए हैं।
सपना और कालू को सरकारी अस्पताल ले जाया गया था।
वो दोनो खतरे से बाहर हैं ।
पता लगाते हुए जब वह किट्टू के पास पहुंची तो वहां देखा की किट्टू आईसीयू में भर्ती है।
बरखा और कालू दोनो रो रहे थे आज उनकी कैटरीना उनकी हीरोइन जिंदगी और मौत से लड़ रही है। साहब जी जरूर आपसे कुछ पिछले जन्म का नाता रहा होगा वरना इतना किसी के लिए कौन करता है। बरखा की बात काटते हुए साहब ने कहा , कालू जब तक तुम्हारा रहने का इंतजाम नहीं हो जाता तब तक तुम अपने परिवार के साथ मेरे यहां रह सकते हो।
अभी गुल्लू और किट्टू दोनों को ही आराम की जरूरत होगी।
इसलिए बेझिझक मेरे घर चले जाओ।
तभी डॉक्टर ने खुशखबरी दी , मिस्टर सिंह आपकी बेटी को होश आ गया है।
साहब दौड़े गए और उसे देख बहुत खुश हुए।
किट्टू इतना कुछ होने के बाद भी मुस्कुरा रही थी।
उसकी मुस्कान ने सारी चिंता गायब कर दी।
किट्टू जल्दी ठीक हो जाओ सिया का तुम्हारे बिना मन नहीं लगता।
साहब अगर मैं मर गई होती तो !
तो क्या ? हम तुम्हें मरने नहीं देते।
बरखा और कालू ने आकर किट्टू को खूब प्यार किया।
अम्मा बारिश अब भी हो रही है ?
हां किट्टू ,लेकिन कम है
बापू अब हम कहां रहेंगे ?हमारी झुग्गी तो ढह गई।
साहब बोले हमारे यहां रहोगे तुम जब तक तुम्हारा रहने का इंतजाम नहीं हो जाता।
किट्टू अस्पताल से साहब के घर आ गई। कुछ दिनों बाद साहब की मदद से झुग्गी की जगह दो पक्के कमरे बना लिए गए । अब सब अपने घर में रहने लगे।
और फिर से वही दिनचर्या शुरू हो गई ।
बारिश गरीब लोगों के लिए नहीं होती । गरीबों की दुश्मन होती है बारिश।
लेखिका- मंजू सागर
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