साहित्य चक्र

28 May 2022

अब भारत में वेश्यावृत्ति पेशा माना जाएगा!



भारत की सर्वोच्च न्यायालय सुप्रीम कोर्ट ने वेश्यावृत्ति को अब पेशा मान लिया है। सर्वोच्च न्यायालय ने साफ साफ शब्दों में कहा है कि अब पुलिस इस में दखलंदाजी नहीं कर सकती और ना ही अपनी सहमति से कार्य करने वाले सेक्स वर्करों के ऊपर कोई कार्रवाई कर सकती है। माननीय सुप्रीम कोर्ट ने देश के सभी राज्यों की पुलिस को वेश्यावृत्ति के क्षेत्र में कार्य करने वाले लोगों और उनके बच्चों के साथ सम्मान पूर्वक व्यवहार करने के निर्देश जारी किए हैं। 



सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अब पुलिस इनके साथ गरिमा पूर्ण तरीके से पेश आएं और इन लोगों के खिलाफ अभद्र भाषा का प्रयोग ना करें। मीडिया सेक्स वर्करों और उनके क्लाइंट की तस्वीर ना ही दिखाएं और ना ही छापें। भारतीय दंड संहिता धारा 354-सी के तहत सेक्स वर्करों को भी सुरक्षा मिली हुई है। इसके तहत प्रावधान है कि किसी की निजी तस्वीर ना ही ली जा सकती है और ना ही छापी जा सकती है। सेक्स वर्करों और उनके बच्चों की बुनियादी मानवीय मर्यादा और गरिमा की रक्षा की जानी चाहिए। 





सुप्रीम कोर्ट ने अन्य सिफारिश पर केंद्र और राज्य से जवाब दाखिल करने को कहा है। 8 हफ्ते में उन सिफारिशों पर जवाब दें, जिनमें कहा गया है कि सेक्स वर्करों को क्रिमिनल लॉ में समान अधिकार मिले हुए हैं। उम्र के हिसाब से सहमति का मामला है और ऐसे में पुलिस आपराधिक कार्रवाई से परहेज करे। उन्हें गिरफ्तार नहीं किया जाना चाहिए।




यौन उत्पीड़न की शिकार सेक्स वर्करों को सहूलियतें के साथ-साथ मेडिकल से लेकर कानूनी सहायता दी जाए। राज्य सरकार आईटीपीए प्रॉटेक्टिव होम का सर्वे करवाए। यह देखें कि वहां कितनी बालिग महिलाएं हैं, जो अपनी मर्जी के बिना रखी गई हैंऔर उन सभी को समयबद्ध तरीके से रिहा किया जाए। पुलिस के रवैये से ऐसा लगता है कि सेक्स वर्करों का कोई अधिकार ही नहीं होता। पुलिस और अन्य जांच एजेंसियों को संवेदनशील बनाया जाए। 



जस्टिस एल नागेश्वर राव की अध्यक्षता वाली जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस एएस बोपन्ना की तीन जजों की बेंच ने कहा, "वेश्यावृत्ति एक पेशा है और सेक्स वर्कर्स कानून के तहत सम्मान और समान सुरक्षा के हकदार हैं।"


कोर्ट ने कहा- ''सेक्स वर्कर्स कानून के समान संरक्षण के हकदार हैं। जब यह स्पष्ट हो जाए कि सेक्स वर्कर एडल्ट है और सहमति से वेश्यावृत्ति में है, तो पुलिस को इसमें हस्तक्षेप करने या उसके खिलाफ कोई आपराधिक कार्रवाई करने से बचना चाहिए। इस देश के प्रत्येक व्यक्ति को संविधान के आर्टिकल 21 के तहत सम्मानजनक जीवन का अधिकार है।"




सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में महत्वपूर्ण दिशा-निर्देश जारी किए-



सेर्क्स वर्कर्स को सहमति से यौन संबंध बनाने के लिए अरेस्ट, दंडित, परेशान या छापेमारी के जरिए पीड़ित नहीं किया जाना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि वेश्यालयों पर छापे के दौरान सेक्स वर्कर्स को अरेस्ट, परेशान नहीं करना चाहिए और जुर्माना नहीं लगाना चाहिए, क्योंकि स्वैच्छिक रूप से सेक्स वर्क अवैध नहीं है, केवल वेश्यालय चलाना गैरकानूनी है। सेक्स वर्कर्स की उनके खिलाफ यौन उत्पीड़न की शिकायतों पर पुलिस को सेक्स वर्कर्स के साथ भेदभाव नहीं करना चाहिए। यौन उत्पीड़न के शिकार सेक्स वर्कर्स को हर सहायता उपलब्ध कराई जानी चाहिए, जिनमें तुरंत मेडिकल और कानूनी सहायता उपलब्ध कराना शामिल है।



सेक्स वर्कर के बच्चे को उसकी मां की देखभाल से वंचित नहीं किया जाना चाहिए। अगर किसी नाबालिग को वेश्यालय या सेक्स वर्कर्स के साथ रहते हुए पाया जाता है तो ये नहीं माना जाना चाहिए कि उसकी तस्करी की गई है। अगर सेक्स वर्कर ये दावा करे कि नाबालिग उसका बेटा/बेटी है, तो इसे सुनिश्चित करने के लिए टेस्ट कराया जा सकता है। अगर दावा सही है तो नाबालिग को जबर्दस्ती अलग नहीं करना चाहिए। अरेस्ट, रेड और रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान मीडिया को सेक्स वर्कर्स की पहचान उजागर नहीं करनी चाहिए। पुलिस को कंडोम के इस्तेमाल को सेक्स वर्कर्स के अपराध का सबूत नहीं समझना चाहिए। बचाए गए सेक्स वर्कर्स को कम से कम 2-3 सालों के लिए सुधार गृहों में भेजा जाना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि अगर मजिस्ट्रेट फैसला करता है कि सेक्स वर्कर ने अपनी सहमति दी है, तो उन्हें सुधार गृहों से जाने दिया जा सकता है।


केंद्र सरकार और राज्य सरकारों को सेक्स वर्कर्स को उनसे जुड़े किसी भी पॉलिसी या प्रोग्राम को लागू करने या सेक्स वर्क से जुड़े किसी कानून/सुधार को बनाने समेत सभी डिसिजन मेकिंग प्रोसेस में शामिल करना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक महत्वपूर्ण आदेश में कहा है कि वेश्यावृत्ति भी एक प्रोफेशन है, ऐसे में अपनी मर्जी से पेशा अपनाने वाले सेक्स वर्कर्स को सम्मानीय जीवन जीने का हक है, इसलिए पुलिस ऐसे लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई न करे। शीर्ष अदालत ने इस मामले को लेकर केंद्र और राज्य सरकारों के साथ पुलिस को भी कई दिशा-निर्देश जारी किए हैं। सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश का मतलब है कि अब पुलिस सेक्स वर्कर्स के काम में साधारण परिस्थितियों में बाधा नहीं डाल सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में केंद्र सरकार को अपना जवाब देने को कहा है। मामले की अगली सुनवाई 27 जुलाई को होनी है।




यह फैसला सुप्रीम कोर्ट ने क्यों दिया ?


भारत दुनिया के उन देशों में शामिल है, जहां वेश्यावृत्ति वैध है, बशर्ते वो सेक्स वर्कर की रजामंदी से हो। दुनिया के टॉप-100 देशों में से जिन 53 देशों में वेश्यावृत्ति वैध है, भारत भी उनमें से एक है। भारत में सेक्स वर्कर्स के साथ आमतौर पर पुलिस का रवैया बेहद क्रूर रहता है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में भी इसका जिक्र करते हुए कहा, ‘’ये देखा गया है कि सेक्स वर्कर्स के प्रति पुलिस का रवैया बेहद निर्दयी और हिंसक रहता है। ये ऐसा है जैसे ये एक ऐसा वर्ग है, जिनके अधिकारों को मान्यता नहीं है।’’


कोर्ट ने साफ किया कि सेक्स वर्कर्स को भी संविधान में सभी नागरिकों को मिले बुनियादी मानवाधिकार और अन्य अधिकार प्राप्त हैं। कोर्ट ने साफ किया है पुलिस को सभी सेक्स वर्कर्स के साथ सम्मानजनक व्यवहार करना चाहिए और उन्हें मौखिक या शारीरिक रूप से प्रताड़ित, उनके साथ हिंसा या उन्हें जबरन सेक्शुअल एक्टिविटी में शामिल होने के लिए मजबूर नहीं करना चाहिए।




निम्न देशों में वेश्यावृत्ति को कानूनी दर्जा-


जर्मनी में भी वेश्यावृति एक कानूनी पेशा है। यहां पर सभी यौनकर्मियों के पास टैक्स आईडी नंबर होना जरूरी है, क्योंकि किसी भी अन्य कर्मचारी की तरह उन्हें भी अपनी आय पर टैक्स देना पड़ता है। हालांकि वेश्यावृत्ति को नियंत्रित करने के लिए कड़े नियम हैं। जर्मनी के कुछ शहरों में यौनकर्मियों को सड़कों पर ग्राहक खोजने के लिए खड़े होने की अनुमति नहीं है। फ्रांस में वेश्यावृत्ति कानूनी है। हालांकि 2014 में नया कानून लागू किया गया जिसके तहत सेक्स के लिए पैसे देना अपराध है। ऐसा करने पर ग्राहको पर 2 से 4 लाख रुपए तक का जुमार्ना लगाया जा सकता है। ग्रीस में भी वेश्यावृति एक कानूनी पेशा है। अन्य लोगों की तरह यौनकर्मियों को अपना मेडिकल बीमा भी कराना होता है। यहां पर भी वेश्यावृत्ति कानूनी पेशा है। यहां पर यौनकर्मियों के लिए खुद को पंजीकृत कराना और आईडी कार्ड बनवाना अनिवार्य है। ब्रिटेन में भी यौनकर्मियों के पास अधिकार हैं। गैर सरकारी संगठनों के विरोध के चलते वक्त के साथ कुछ नियम बदले गए हैं। मिसाल के तौर पर किसी यौनकर्मी की तलाश में रेड लाइट इलाके में धीमी गति पर गाड़ी चलाने की इजाजत नहीं है। स्पेन में किसी अन्य व्यक्ति को देह व्यापार में धकेलना या उससे मुनाफा कमाना अपराध है। व्यक्ति अपनी इच्छा से इस पेशे से जुड़ सकता है। यहां भी वेश्यावृत्ति कानूनी पेशा है।


लगभग सभी लैटिन अमेरिकी देशों में देह व्यापार की अनुमति है। हालांकि सुनियोजित रूप से सेक्स रैकेट चलाना अपराध है लेकिन फिर भी यहां ऐसा आम है। जहां पूरे न्यूजीलैंड में देह व्यापार की अनुमति है, वहीं पड़ोसी ऑस्ट्रेलिया के अलग-अलग हिस्सों में अलग-अलग कानून हैं। न्यूजीलैंड में 2003 में बदले गए कानून के बाद से बालिगों के लिए यह व्यापार कानूनी हो गया है। देह व्यापार में एम्सटर्डम का रेड लाइट एरिया शायद दुनिया का सबसे मशहूर हिस्सा है। अन्य देशों से विपरीत, जहां लोग छिप छिपा कर रेड लाइट एरिया में जाते हैं, एम्सटर्डम में टूरिस्ट खास तौर से इस इलाके को देखने पहुंचते हैं। अमेरिका के नेवादा को छोड़कर ज्यादातर राज्यों में वेश्यावृत्ति गैरकानूनी है। नेवादा अमेरिका का इकलौता ऐसा राज्य है, जहां वेश्यावृत्ति को कानूनी मान्यता दी गई है। हालांकि नेवादा की ही कई काउंटी में वेश्यावृत्ति गैरकानूनी भी है।




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