हमारे देश में कई राजनीतिक पार्टियां हैं, जैसे कांग्रेस, बीजेपी, बसपा, सपा, आप, इत्यादि। मेरा सीधा सवाल है- क्या यह सभी राजनीतिक पार्टियाँ सिर्फ पार्टी है या फिर एक प्रकार की कम्पनियाँ हैं। मेरे मन में यह सवाल देश की वर्तमान राजनीति को देखते हुए उत्पन्न हुआ है। आखिर सभी नियम कानून देश की जनता के लिए ही क्यों है ? हमारे देश की राजनीतिक पार्टियाँ क्यों अपने व नेताओं के लिए कड़े नियम नहीं बनाती है ?
हमारे देश की सभी राजनीतिक पार्टियाँ एक प्रकार से प्राइवेट कम्पनियाँ हैं, हो सकता है आपको मेरा यह कथन गलत लग रहा हो, यह कथन मैं इसलिए भी कह रहा हूँ, क्योंकि आम जनता यह जानना चाहती है कि आखिर नेताओं पर नियम कानून कब बनेंगे ? हमारे देश के सभी नेता लगभग एक ही कुएं के मेंढक हैं। चाहे वह किसी भी राजनीतिक पार्टी से संबंध रखता हो।
हमारे देश की विडम्बना देखिए जनता द्वारा चुना हुआ नेता खुलाआम बिक जाता है और हमारी जनता कुत्ते की तरह देखती रहती है। आखिर यह कैसा लोकतंत्र है ? मैं सवाल करता हूँ भारत के सर्वोच्च न्यायधीश से क्या राजनीतिक पार्टियों के लिए कोई नियम नहीं है। अगर हैं तो फिर एक ही परिवार व जाति के लिए सिर्फ शीर्ष पर क्यों बैठे हैं ? आज हमारा देश शिक्षित हो रहा है, तो फिर चुनाव लड़ने के लिए अभी तक कोई योग्यता व उम्र सीमा तय क्यों नहीं है ?
हाँ संविधान वक्त के साथ-साथ बदला जा सकता है, अगर जनहित में कार्य करने हो। मैंने अपने देश के राजनीतिक पार्टियों को कम्पनी इस लिए बोला क्योंकि इन पार्टियों में आज कम्पनियों की तरह कार्य हो रहा है। चाहे सदस्यों की संख्या दिखाने की बात हो या फिर चुनाव के समय पैसा बांटने की बात हो। मैं उम्मीद करता हूँ हमारे देश की जनता जल्द ही इन कम्पनियों को सही राह पर लेकर आएं, नहीं तो देश की आवाम का हाल वर्तमान से भी खतरनाक हो जाएगा।
- दीपक कोहली
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