साहित्य चक्र

15 May 2024

कविताः मातृ दिवस



हैप्पी मदर्स डे 
हम सभी कितनी 
आसानी से 
तीन शब्दों में लिख देते हैं,
पर क्या उस मां की ममता के
त्याग और समर्पण को
सही मायनों में आंक पाते है?
हैप्पी लिख कर 
क्या हम उन्हें
सच में खुश रख पाते है ?
जीते जी क्या 
उनकी दबी ख़्वाहिशों को
क्या खुला आसमान दे पाते हैं?
क्या उनके दायित्वों का भार 
कभी बांट पाते हैं ?
क्या उनकी नम आंखों को
कभी चुप करा पाते हैं?
क्या उनकी ममता को
कभी मां बनने पर भी
क्या समझ पाते हैं हम?  
वो धरा सी हैं
हमारे अस्तित्व का
वो समूचा ब्रह्मांड हैं
हमारे मन की जिज्ञासाओं की,
उनके लिये तो सभी उपहार 
तुच्छ है,
हमारी सेवा, 
प्रेम, 
मृदु वाणी, 
उनके लिये सुखद ही नहीं
अपितु अनंत है।
नमन है उस मातृशक्ति को
भगवान के तुल्य 
उनकी असीम भक्ति को।


                              - अंशिता त्रिपाठी

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