आओ-आओ हम सब जल बचाऍं,
शावर से कभी न नहाऍं।
जल की बूॅंद-बूॅंद बचाऍं।
जल से अन्न,फल,सब्जी सजाऍं।
बाग,उपवन में फूल खिलाऍं।
पशु-पक्षी,जीव-जंतु की प्यास बुझाऍं
जल हैं तो कल हैं,जल से ही जीवन हैं।
जल हैं बहुत अनमोल समझो जल का मोल।
नल व्यर्थ में मत खोल,जल अधिक मत ढोल।
जल बचाने का संदेश सबसे बोल।
- संगीता सूर्यप्रकाश मुरसेनिया
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