साहित्य चक्र

08 February 2023

कविताः हसीन चेहरा



वो चेहरों में एक हसीन चेहरे को  तरासती रही,
चेहरे तो बहुत देखें पर आपसा  दिल नही दिखा।

अपने आशियाने में तुम्हें बसा कर रख लिया,
बेफिक्र होकर जीने का मकसद बना लिया।

कल भी मोहब्बत हमारी तुमसे थी आज भी‌ रही,
थोड़ी सी दूरियां हो गई पर एहसास आज भी।

आंखों को बंद कर सपनों में बातें किया करते,
हालचाल सब पूछ लेते हैं पर बस देखते नहीं।

मरजिया हमारी चलतीं रहीं तुम मुस्कुराते रहें,
गोदी में सिर रखकर हम तुम्हें गीत सुनाते रहे।

बड़ी कशिश वो तुम्हारी आंखों में हम निहारते रहे,
फलक जमी पर नही टिकते जैसे बाहों में आ गये।

गुस्ताखियां हमसे हो जाती तो माफ जल्दी कर देते,
बहुत सी अदा थी तुममें वो आज तक नहीं दिखी।


                                        - रामदेवी करौठिया 


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