वो शख्स।
मुझको मुझसे ही मांग कर
ले गया वो शख़्स ।
आंखों के रास्ते दिल में
उतरगया वो शख़्स ।
करता रहा दिल से वो
दिल्लगी पता न चला ।
न जाने कब लूटकर चला
गया मुझे वो शख़्स ।
हर ख़ुशी अपनी मैंने तो
न्योछावर कर दी उस पर ।
रातों को जागने की सज़ा
मुझे दे गया वो शख़्स ।
न जाने किस अंदाज़ से
आँखों में समाकर ।
मेरे दिल की धड़कनों
में उतर गया वो शख़्स ।
मालूम न थ कैसी होती
है मुहब्बत मुश्ताक़ ।
सारी दुनिया से बेख़बर
कर गया वो शख़्स ।
डॉ मुश्ताक अहमद शाह
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