साहित्य चक्र

08 February 2023

कविताः शख्स



वो शख्स।
मुझको मुझसे ही मांग कर
ले गया वो शख़्स ।
आंखों के रास्ते दिल में
उतरगया वो शख़्स । 
करता रहा दिल से वो
दिल्लगी पता न चला ।
न जाने कब लूटकर चला 
गया मुझे वो शख़्स । 
हर ख़ुशी अपनी मैंने तो 
न्योछावर कर दी उस पर ।
रातों को जागने की सज़ा 
मुझे दे गया वो शख़्स । 
न जाने किस अंदाज़ से
आँखों में समाकर । 
मेरे दिल की धड़कनों 
में उतर गया वो शख़्स । 
मालूम न थ कैसी होती
है मुहब्बत मुश्ताक़ ।
सारी दुनिया से बेख़बर
कर गया वो शख़्स । 

                                   डॉ  मुश्ताक अहमद शाह


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