साहित्य चक्र

02 February 2023

भाव - पल्लवन



जीना इसी का नाम है।


ज़िन्दगी बड़ी ख़ूबसूरत है, हर पल को खुशी से जियो! जाने आनेवाला कल कैसा होगा? उसकी चिंता में इस पल  को  बेकार न करो! जिंदगी को खूबसूरत बनाना है कैसे ? इस पर विचार करो ! हर समस्याओं का समाधान तुम्हारे पास है, माना कि आज के दौर  में रहन-सहन, खान-पान बदला है, ऐसे में अपने आप को समाज में स्थापित करना चुनौती का सामना करने जैसा है और इन अपेक्षाओं पर खरे नहीं उतर पाते हैं तो निराशा, उदासी, आदि से घिरे हुए होते हैं, क्षण - प्रतिक्षण  मस्तिष्क में अनेकों सवाल लहरों की भांँति आते- जाते रहते हैं, अशांत मन  बेचैन रहता है, जब कोई तूफान आनेवाला होता है तो सागर शांत हो जाता है, ऐसे क्षण में व्यक्ति को एकांत में  आत्म - चिंतन मनन ,ध्यान  अवश्य करना चाहिए।





समाज में कुछ लोग ऐसे भी हैं जिनके पास आय का स्रोत नहीं है, लेकिन उनके पास एक ख़ूबसूरत - सा हृदय है, दिल खोल कर सभी का स्वागत करते हैं और ऐसे व्यक्ति मिलनसार बहुत होते हैं, दु:ख की घड़ी में परम मित्र एवं किसी फ़रिश्तें  से कम नहीं होते हैं, हरफ़नमौला हर हाल में मस्त रहते हैं, इनकी इच्छाएंँ औरों की अपेक्षा कम होती है, सादा जीवन , उच्च विचार, कम पैसे में भी, अपनी खुशियांँ ढूंँढ लेते हैं।

विषम परिस्थितियों में भी घबराते नहीं,  इनके पास जीवन का अनुभव होता है इनकी आंँखों ने कितने सावन - भादो देखा है, ज़िन्दगी का उतार - चढ़ाव इनसे बेहतर कौन समझ सकता है ? 

ज़िन्दगी जीने का कौशल तो इनके पास है। मेरी दृष्टिकोण से -  'डूबती कश्ती में तिनके का सहारा पाकर ख़ुशी से जीने का नाम ज़िन्दगी है और यह ख़ुशी दोगुनी तब हो जाती है जब नि:स्वार्थ भाव से दूसरों के लिए जीते हैं  तो ज़िन्दगी और प्यारी हो जाती है, चेतना प्रकाश चितेरी ने सच ही कहा है जीना इसी का नाम है।'


                                 - चेतना प्रकाश चितेरी



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