साहित्य चक्र

08 February 2023

कविताः पिता




अपने परिवार की
मजबूत जड़ है पिता
पेड़ की तरह शीतल 
छांव है पिता
हर परेशानी में
मजबूत ढाल है पिता
टूटकर भी जो न बिखरने दे
वो मजबूत हाथ है पिता
कठिन स्थिति में भी जो
हंसता हुआ दिखे
वो अनुपम डोर है पिता
हमारे भविष्य के ताने-बाने बुनता
संघर्षशील है पिता
एक बेटी का सहारा है पिता
बेटे का सच्चा साथी है पिता
परिवार की मुस्कान है पिता
घर की हर ईंट में शामिल है पिता
हर घर की इज्ज़त और अभिमान है पिता
चट्टान सी शख्सियत है पिता
बच्चे के वजूद की पहचान है पिता
कठोर आवाज में जिसकी छिपा है प्यार
हिम्मत का ऐसा दरिया है पिता
कमर झुक जाती है जिसकी हमें निखारने में
परिवार की ऐसी शान है पिता


                         - तनूजा पंत


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