अब भी उम्मीद है मुझे
तेरे लौट आने की
कि लौट आओगी तुम एक दिन अवश्य ही
क्योंकि इतनी भी कमजोर नही था मेरा प्यार
कि तुम तोड़कर दुर चली जाओगी मुझसे
टूट कर भी अटूट चाहते हैं तुम्हें
तो फिर कैसे मुँह मुड़कर चली जाओगी छोड़ हमें
जानता हूँ मैं
तुम दुनियां के रस्मोरिवाज से डरती हो
रिश्ते नाते,परिवारों के बंधन में बंधी रहती हो
मेरे सुरक्षा हेतु परवाह करती हो
लेकिन यदि प्यार सच्चा हो
तो किसी से डरने की जरूरत ही नही है
जहाँ हम दोनो खुश रहे, वही सही है
सबकुछ जायज होता है प्यार मे
साथ आ ही जाता है, लड़ते हुए परिवार मे
अतः तुम अब डरो नहीं
लौट आओ जाना न होगा तुम्हें कहीं
बहुत ही उम्मीद तुमसे लगा रखे हैं
कि लौटकर तुम्हें अब आना ही है
अब भी है मुझे उम्मीद कि, लौट आओगी तुम
- चुन्नू साहा
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