साहित्य चक्र

05 February 2023

अब भी उम्मीद है मुझे



अब भी उम्मीद है मुझे 
तेरे  लौट आने की
कि लौट आओगी तुम एक दिन अवश्य ही 
क्योंकि इतनी भी कमजोर नही था मेरा प्यार 
कि तुम तोड़कर दुर चली जाओगी मुझसे 
टूट कर भी अटूट चाहते हैं तुम्हें 
तो फिर कैसे मुँह मुड़कर चली जाओगी छोड़ हमें 
जानता हूँ मैं
तुम दुनियां के रस्मोरिवाज से डरती हो
रिश्ते नाते,परिवारों के बंधन में बंधी रहती हो
मेरे सुरक्षा हेतु परवाह करती हो
लेकिन यदि प्यार सच्चा हो 
तो किसी से डरने की जरूरत ही नही है 
जहाँ हम दोनो खुश रहे, वही सही है 
सबकुछ जायज होता है प्यार मे
साथ आ ही जाता है, लड़ते हुए परिवार मे 
अतः तुम अब डरो नहीं 
लौट आओ जाना न होगा तुम्हें कहीं 
बहुत ही उम्मीद तुमसे लगा रखे हैं 
कि लौटकर तुम्हें अब आना ही है 
अब भी है मुझे उम्मीद कि, लौट आओगी तुम


                          - चुन्नू साहा


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