साहित्य चक्र

05 February 2023

कविताः युवा





तुम युवा हो आज के, नयी पीढी को कुछ सिखा देगे,
तुम ठान लो अगर तो इतिहास रच दोगे।

कदम कदम पर नया पथ अपनाओ तुम,
पथ कितना भी कठिन क्यों ना हौसला तुम रखो।

स्वास्थ्य शरीर को स्वस्थ रखने के लिए योग करो तुम
सूर्य नमस्कार के बारह प्रणायाम मिलकर रोज करो तुम।

रोगों से तुम्हें मुक्ति मिलेगी ऐसा कुछ कर दिखाओ तुम,
स्वास्थ्य शरीर में स्वस्थ मस्तिष्क का बास होगा ।

स्वाभिमान से जीने का हौसला अफजाई करो तुम
स्वामी विवेकानंद जैसा तेज चेहरे पर वैसा कर तुम।

जीवन के इस रंगमंच में खेलों को अपनाओं तुम ,
आज का भविष्य भी तुम हो कल का भविष्य भी तुम हो।

योग के गुरुओं का सम्मान करो तुम ताकि सीख उनसे मिले,
बाबा रामदेव देब जी सभी योग आचार्यों का मान रखो तुम।

हो अगर निरोगी काया तुम लम्बा जीवन पाओगे तुम,
शिक्षा का जितना ज्ञान बढाओगे उतना नाम कमाओगे।

छल कपट से दूर रहो तुम सत्य का मार्ग तुम अपनाओ,
जीत सत्य की एक दिन होती तुम फातखा लहराओगे।।


                                              - रामदेवी करौठिया


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