प्राचीन मान्यता के अनुसार जब सतयुग में श्री रामचंद्र 14 वर्ष का वनवास हुआ था। तब अयोध्या वासी बहुत दुखी हो गए थे और चौदह वर्ष के लंबे अंतराल के बाद जब उन्हें प्रभु श्री राम के अपनी नगरी में पुनः आगमन का समाचार प्राप्त हुआ तो सभी बहुत प्रसन्न हुए।
कार्तिक मास की अमावस्या को प्रभु श्री राम ने अपना चौदह वर्ष का वनवास खत्म करके अयोध्या नगरी में प्रवेश किया था।इस खुशी के अवसर पर अयोध्या वासियों ने अयोध्या को दुल्हन की भांति सजाया और घर-घर में दीप दान कर अपनी खुशी को व्यक्त किया। तभी से हर वर्ष कार्तिक मास की अमावस्या को दीपावली का पर्व मनाया जाता है।
यह कथा सतयुग की थी और अभी चल रहा है कलयुग चल रहा है। कलयुग में प्रभु श्री राम को फिर से वनवास मिला है और ये वनवास भारत की अदालतों ने दिया है, जिस की समय सीमा अवधि भी तय नही।
पता नही कब अवधपुरी के लोग अपने श्री राम को पुनः उन की नगरी में देख पाएंगे,क्योंकि अयोध्या जो श्री राम की नगरी है।उस में बावरी मस्जिद और मंदिर निर्माण का झगड़ा समाप्त होने के आसार नही दिख रहे।
जहाँ बीजेपी सरकार 1990 से "राम लाल हम आयेंगे, मंदिर वही बनायेंगे"का नारा सिर्फ और सिर्फ वोट बैंकिंग के लिए लगाती हैं। जब बीजेपी सत्ता में आती है तो सारे वादे दरकिनारे कर दिए जाते है।बेचारी जनता जो वर्षो से अपने प्रभु राम को मंदिर में देखने की आस लिए वोटिंग भी करती और केस की सुनवाई भी होती है। पर फैसला आज तक ना हुआ ना ही होता नजर आता है।
"मिलती है तो सिर्फ तारीख पर तारीख"
इसी आस में कितनी दीपावली निकल गयी, सरकारें आयी और निकल गयी।
पर ना मस्जिद का इंसाफ हुआ, ना मंदिर को न्याय मिला।
कब अयोध्या में फिर से वही दीपावली मनाई जायेगी।।
संध्या चतुर्वेदी
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