साहित्य चक्र

31 January 2017

स्त्रियों पर पुरुषों का अधिकार

                                





हमारे देश में स्त्रियों पर कई बहस और मुद्दें उठते रहे हैं। चाहे प्रचीन भारत की बात हो या फिर आधुनिक इंडिया की क्यों ना हो । मुद्दा यहीं नहीं, स्त्रियों के पहनाने से लेकर उनके अधिकारों तक में भी पुरुषों का अधिकार साफ देखने को मिलता है। अगर प्राचीन भारत की बात करें तो, उस समय भी स्त्रियों पर पुरुषों का अधिकार देखने को मिलता है। चाहे महाभारत हो या रामायण हर किसी में स्त्रियों पर पुरुषों का अधिकार था। वैसा ही आजकल देखने को मिलता है। आखिर कब तक हमारे समाज में स्त्रियों के अधिकारों का हनन होगा। एक तरफ देश को डिजिटल करने की बात हो रही है, तो वहीं देश की नारी अपने अधिकारों के लिए संघर्ष कर रही है। ये मैं अपने मन से नहीं सर्वे के अनुसार कह रहा हूं। आज हमारे देश में नारियों का जितना सम्मान होता है उससे कई गुना उन पर अत्याचार होते है। ये सर्वे बताते रहे है, कि हमारे देश की नारी कितनी सुरक्षित है। जहां आज भी एक नारी को अपने मन पंसद कपड़े पहने के लिए कई बार पूछना  और सोचना पड़ता है। आखिर में ये कपड़े पहनूं या नहीं पहनूं। कई सवाल उठते हैं। जहां एक बेटी को अपने मां-बाप के अधिकारों के तौर पर जीना पड़ता है। तो वहीं एक बहू को अपने सास-ससुर के अधिकारों में रहना पड़ता है। जो उनके अधिकारों का हनन है। अगर हम गांव देहात की बात करें तो ये अधिकारों का हनन दुगुना हो जाता है। गांव देहातों में तो स्त्रियों को अपने अधिकार से खाना खाने तक की इज्जत तक नहीं हैं। एक ओर देश तेज गति से आगे बढ़ रहा है तो वहीं दूसरी ओर स्त्रियां अपने अधिकारों के लिए आज भी संघर्ष कर रही है। जो एक चिंता का विषय है। आज भी हमारे देश में स्त्रियों का शोषण होता है। चाहे वह हिंदू ही क्यों या फिर मुस्लिम स्त्री ही क्यों ना हो। जहां एक ओर मुस्लिम राजनेता बड़े बड़े दावे करते नज़र आते है तो वहीं तीन तलाक मुद्दा ये साफ कर देता है कि देश में स्त्रियों का शोषण आज भी हो रहा है। वहीं अगर हिंदू धर्म की बात करें तो आज भी कई धार्मिक मंदिरों में स्त्रियों का प्रवेश वर्जित है। जिससे ये सिद्ध हो जाता है कि हिंदू धर्म में जो अधिकार पुरूषों के पास है वो स्त्रियों के पास बिल्कुल नहीं हैं। वैसे मेरा किसी धर्म के प्रति गलत सिद्ध का कोई मत नहीं है। मैं तो एक नारी के अधिकारों की बात कर रहा हूं। जो उनके लिए जरूरी है। जिससे एक नारी अपनी मर्जी से जीवन जी सके। इतना ही नहीं आज हमारे देश में एक नारी अकेली कई जाने से पहले दस बार सोचने को मजबूर होती है। यहीं नहीं आजकल एक लड़की को अकेला कई भेजने के लिए मां-बाप कई बार सोचने के लिए मजबूर है। इससे ये साबित होता है कि हमारे देश में स्त्रियां आज भी सुरक्षित नहीं है। वहीं कई लड़कियां पढ़ना तो चाहते है लेकिन अपने परिवार के फैसलों में बंधी रह जाती है। जिससे उसके अधिकार छिन्न हो जाते  है। वहीं देश के कई कोनों में स्त्रियोें का देह व्यापार चल रहा है। जिससे ये सिद्ध होता है कि हमारे देश में स्त्री की क्या दशा है। चाहे आज कोई कितना ही क्यों ना कह लें ......?  स्त्री अपने अधिकारों के लिए आज भी संर्घष कर रही है। जिसके लिए हमें मिलकर कदम उठाना होगा। आखिर क्यों हमारी देश की नारी संर्घष कर रही है। उसे भी जीने का अधिकार है। उसे भी अपने मनपंसद कपड़े पहने का अधिकार है। एक नारी से यह अधिकार कोई नहीं छिन सकता है। चाहे वह पुजारी हो या फिर मौलवी। मानव अधिकारों में साफ लिखा है, कि एक स्त्री को अपनी जिदंगी खुल कर जीने का अधिकार है। यहीं बात हमारा संविधान भी करता है।

 स्त्री सम्मान ही सबसे बड़ी पूंजी है।
स्त्री ही इस लोक की देवी है।।


                                                        संपादक- दीपक कोहली

        

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