साहित्य चक्र

29 January 2017

सुर - ताल - राग

                               सुर - ताल - राग 


वैसे आज मैं भारतीय संगीत की बात करूंगा। मैं आज आपको उस संगीत के बारे में बताऊंगा जो पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है। जिसके दिवाने पूरे विश्व में मिलेगें। मुख्यत: भारतीय संगीत का हिस्सा ख्याल, ठुमरी, टप्पा, ध्रुपद अादि है। ये सभी भारत की संगीत शैलियों में से एक है। जो पूरे विश्न में हमारे देश का मान बड़ती है। वैसे आपको बता दूं टप्पा भारत की प्रमुख संगीत शैलियों में से एक है। जिसकी उत्पति पंजाब और सिंध प्रांत के ऊंट चलाने वालों द्वारा की गई। इन गीतों में हीर-रांझा की प्रेम व विरह प्रसंगों को दर्शाया जाता है। वहीं ठुमरी में रस, रंग, भाव की झलक दिखाई पड़ती है। वैसे ठुमरी विभिन्न भावों को प्रकट करती है। वहीं अगर ताल की बात करें तो इसमें भारतीय व फारसी संगीत का मिश्रण नज़र आता है। वैसे संगीत भारत की प्राचीन सभ्यताओं में भी सुनने को मिलता है। जिससे यहां की संस्कृति का अंदाजा लगाया जा सकता है। वैसे रामायण में भी संगीत का जिक्र किया गया है। संगीत एक माध्यम है जिसे सुनकर हमें एक नई ऊर्जा  प्राप्त होती है। चाहे वह संगीत किसी भी भाषा में ही क्यों ना हो। संगीत की भाषा अलग हो सकती है। लेकिन सुर ताल कभी अगल नहीं हो सकते। क्योंकि संगीत एक कला औऱ संस्कृति है। जो हमें बहुत कुछ सीखाती है। जैसे ताल, सुर, राग के बिना संगीत अधूरा है, वैसे ही संगीत के बिना मानव अधूरा है। या कहे संगीत के बिना हमारा देश अधूरा है। संगीत ने ही हमें लता दी, आशा ताई, किशोर कुमार जैसे कई सितारे दिए हैं। जो आज हमारे देश की शान बने हुए है। वैसे भारत का संगीत से बहुत पुराना रिश्ता है। भारतीय संगीत वैदिक काल से भी पूर्व से चला आ रहा है। हिन्दू परंपरा के अनुसार संगीत ब्रह्मा जी ने नारद मुनि को वरदान के रूप में दिया था। वैसे गायन, वाद्य वादन और नृत्य तीनों कलाओं का समावेश संगीत को ही मान गया है। तीनों स्वत्रंत कला होते हुए भी एक - दूसरे के पूरक है। आपको बता दूं कि भारतीय संगीत दो भागों में बंटा है। 
प्रथम कर्नाटक संगीत जो दक्षिण भारत के राज्यों में प्रचलित है। वहीं दूसरा संगीत हिंदुस्तानी संगीत है। जो बाकी शेष भारत में प्रचलित है। भारत की संस्कृति में संगीत का बड़ा महत्व रहा है। वैसे भारत में धार्मिक - सामाजिक परंपराओं में संगीत का प्रचलन प्राचीन काल से चला आ रहा है। वहीं कुछ लोग संगीत को भारत की आत्मा भी मानने है। जिसके चलते आज हमारा देश संगीत में लोकप्रसिद्ध है। ताल - सुर- राग भारत के विशेष अंग है। ताल-सुर-राग के बिना ये देश हमारा अधूरा है। संगीत ही इस देश की शान थी, औऱ है, रहेगी भी..........।। 


                                                   संपादक- दीपक कोहली  


    




  

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